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Friday, September 23, 2016

भारत-फ्रांस राफेल डील पहुची चरम पर, चीन और पाक हुए नतमस्तक-बढ़ी मुश्किले

Toc news

नई दिल्ली। खबरों की अनुसार भारत ने आज फ्रांस के साथ अत्याधुनिक राफेल विमानों को लेकर एक बड़ी डील की है। भारत और फ्रांस के बीच 36 राफेल विमानों को लेकर करारा हुआ है। राफेल विमान बेहद शक्तिशाली और कठिन से कठिन परिस्थितियों में ऑपरेशन को अंजाम देने में सक्षम हैं। भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन के पास भी ऐसे लड़ाकू विमान नहीं हैं।
फ्रांस के साथ हुए इस सौदे में जो 36 राफेल फाइटर प्लेन भारत को मिलने वाले हैं, वे अत्याधुनिक हथियारों और मिसाइलों से लैस है।  सबसे इनमें दुनिया की सबसे घातक समझी जाने वाली हवा से हवा में मार करने वाली मेटेओर (METEOR)मिसाइल खास है ये मिसाइल चीन तो क्या किसी भी एशियाई देश के पास नहीं है। राफेल प्लेन वाकई दक्षिण-एशिया में गेम-चेंजर साबित हो सकता है। 
रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर के अनुसार...
“आज हमने फ्रांस सरकार के साथ अंर्तदेशीय समझौता किया है, जिससे हमें एक POTENT EFFECTIVE फाइटर एयरक्राफ्ट मिला है जो वायुसेना को बेहद सख्त जरुरत थी।  ये पिछले 20 सालों में पहला फाइटर प्लेन का सौदा ह। इसके साथ फाइटर प्लेन के हथियार भी मिलेंगे।  साथ ही अगले पांच सालों के लिए स्पेयर पार्टस और मेंटेनस मिलेगा।  ये विमान दुश्मन की जमीन में डीप पैनिट्रैशन यानि दूर तक वॉर करने में सक्षम साबित होगा।  इस मिसाइल की रेंज करीब 150 किलोमीटर है। 
राफेल विमान डील ...
खबरों के अनुसार रक्षा मंत्रालय के उच्च सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार   भारत ने राफेल सौदे में करीब 710 मिलियन यूरो (यानि करीब 5341 करोड़ रुपये) लड़ाकू विमानों के हथियारों पर खर्च किए हैं।  गौरतलब है कि पूरे सौदे की कीमत करीब 7.8 बिलियन यूरो यानि करीब 59 हजार करोड़ रुपये (मंहगाई दर 3.5 से ज्यादा नहीं होगी किसी भी स्थिति में) है। 36 विमानों की कीमत 3402 मिलियन यूरो, विमानों के स्पेयर पार्टस 1800 मिलियन यूरो के हैं जबकि भारत के जलवायु के अनुरुप बनाने में खर्चा हुआ है 1700 मिलियन यूरो का. इसके अलवा पर्फोमेंस बेस्ड लॉजिस्टिक का खर्चा है करीब 353 मिलियन यूरो का. एक विमान की कीमत करीब 90 मिलियन यूरो यानि करीब 673 करोड़ रुपये है, लेकिन इस विमान में लगने वाले हथियार, सिम्यूलेटर, ट्रैनिंग मिलाकर एक फाइटर जेट की कीमत करीब 1600 करोड़ रुपये पडेगी। 
पायलट के लिए खास ...
सूत्रों के अनुसार, राफेल प्लेन में एक और खासयित है, वो ये कि इसके पायलट के हेलमेट में ही फाइटर प्लेन का पूरा डिस्पले सिस्टम होगा।  उसे प्लेन के कॉकपिट में लगे सिस्टम को देखने की जरुरत भी नहीं पड़ेगी। उसका पूरा कॉकपिट का डिस्पले हेलमेट में होगा।  पहला प्लेन अगले 36 महीने में भारत पहुंच जायेगा। सभी 36 प्लेन अगले 66 महीने में भारतीय वायुसेना में शामिल होने के लिए तैयार हो जायेंग। सूत्रों के अनुसार, प्लेन के आने में देरी इसलिए हो रही है क्योंकि राफेल बनाने वाली कंपनी को इसमें भारतीय वायुसेना की जरुरत के मुताबिक उपकरण लगाए गए हैं। भारत में आने के बाद इनकी स्कावड्रन ग्वालियर और सरसावा (सहारनपुर के करीब) स्थित होगी। 
सूत्रों के अनुसार -फ्रांस के साथ हुए सौदे में 50 प्रतिशत ऑफसेट क्लॉड का प्रवाधान है, इस 50 प्रतिशत का भी 74 प्रतिशत फ्रांस को भारत से लड़ाकू विमानों के लिए आयात करना होगा।

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