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Monday, October 31, 2016

न्यायपालिका का बोझ कम करने की जरूरत: मोदी

Toc News

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को देश में न्यायपालिका के समक्ष लंबित पड़े मामलों में कमी लाने की जरूरत पर बल दिया। मोदी ने भारतीय कानूनों का मसौदा तैयार करने में अच्छी प्रतिभाओं की जरूरत पर बल दिया और कहा कि यह देश के न्यायपालिका की बड़ी सेवा होगी।

दिल्ली उच्च न्यायालय के 50वीं वर्षगांठ समारोह में प्रधानमंत्री ने न्यायिक प्रणाली में समाज के निचले तबके के लोगों को शामिल करने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार देश में सबसे बड़ी वादकारी है। ऐसे में उन्होंने अपनी सरकार को अनावश्यक मुकदमेबाजी से बचने को कहा है। हमें न्यायपालिका पर बोझ कम करने की जरूरत है। हमें कड़े कानून बनाने होंगे। यह चुनी हुई सरकार की जिम्मेदारी है।

सर्वोच्च न्यायालय ने बीते शुक्रवार को कई उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्तियों पर कॉलेजियम की सिफारिशों पर कार्रवाई नहीं करने के लिए केंद्र सरकार की खिंचाई की थी। शीर्ष अदालत ने सरकार की निष्क्रियता को न्यायपालिका को पंगु बनाने वाला बताया था।

मोदी ने कहा कि मौजूदा समय में न्यायपालिका कई चुनौतियों का सामना कर रही है। यह हमारा काम है कि हम इस स्थिति में अपने लिए मौके तलाशें और अपनी क्षमता को बढ़ाएं। उन्होंने कहा कि अगर हम मिलकर काम करें, तो ऐसा कर सकते हैं। प्रधानमंत्री ने पिछले पांच दशकों से दिल्ली उच्च न्यायालय में योगदान देने वाले सभी लोगों के प्रति सम्मान व्यक्त किया।

 उन्होंने कहा कि सभी संबंधित पक्षों को जो भी उत्तरदायित्व संविधान के अनुसार दिए गए हैं, उन्हें पूरा करना होगा। अखिल भारतीय न्यायिक सेवा पर बहस हो रही है और यह विवाद में घिरी हुई है। लेकिन, तर्क और चर्चा लोकतंत्र का हिस्सा होते हैं।

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