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Sunday, October 9, 2016

पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर, पूर्व महापौर कृष्णा गौर समेत तीन आईएएस व एक नगरयंत्री के खिलाफ मामला दर्ज

पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर के लिए चित्र परिणाम
पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर

पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर, कृष्णा गौर समेत तीन आईएसएस पर लोकायुक्त ने दर्ज किया मामला
Toc News
भोपाल। राजधानी के बड़े तालाब के किनारे वीआईपी रोड से खानूगांव तक 2.8 किमी लंबी रिटेनिंग वॉल के निर्माण पर लोकायुक्त ने पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर, पूर्व महापौर कृष्णा गौर समेत तीन आईएएस व एक नगरयंत्री के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। 

सभी पर फुल टैंक लेवल (एफटीएल) के भीतर जाकर तालाब को पूरने का गंभीर आरोप लगा है। रिटेनिंग वाल पर 16 करोड़ रुपए में से 10 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम खर्च हो चुकी है। वहीं नगरनिगम आयुक्त छवि भारद्वाज ने इस पुरे मामले पर पूर्व उप लाकायुक्त से विध्याचल भवन में मुलाकात की।

कृष्णा गौर के लिए चित्र परिणाम
पूर्व महापौर कृष्णा गौर

        इस घोटाले की लिखित शिकायत मय शपथ-पत्र के साथ वकील सिद्धार्थ गुप्ता ने छह अगस्त को उप लोकायुक्त यूसी माहेश्वरी को सौंपा था। लोकायुक्त ने इसके बाद एक अक्टूबर को जांच प्रकरण पंजीबद्ध कर लिया। शिकायत में पूर्व सीएम व तत्कालीन नगरीय प्रशासन मंत्री बाबूलाल गौर, पूर्व महापौर कृष्णा गौर के साथ तत्कालीन नगर निगम आयुक्त विशेष गढ़पाले और तेजस्वी एस नायक का नाम शामिल है।

      वर्तमान नगर निगम कमिश्नर छवि भारद्वाज का नाम भी वकील सिद्धार्थ गुप्ता ने शिकायत में जोड़ा है। निगम कमिश्नर ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) भोपाल में मामले को लेकर झूठा शपथ-पत्र झील संरक्षण प्रकोष्ठ प्रभारी संतोष गुप्ता को दिया था। इसमें साफ कहा गया था कि बड़े तालाब के एफटीएल क्षेत्र में किसी प्रकार का कोई निर्माण नहीं हो रहा और न रिटेनिंग वॉल बनाई जा रही है।

इन पर लगे ये आरोप


  • पूर्व सीएम बाबूलाल गौर - मंत्री रहते हुए निगम को मार्च 2012 में प्रोजेक्ट बनाने के निर्देश दिए। पहले से बने सेप्ट के प्रोजेक्ट तक को इसके लिए रोक दिया।

  • पूर्व महापौर कृष्णा गौर - इनके महापौर रहते हुए ही केंद्र से मंजूरी मिली। खुद विरोध में थी, लेकिन फिर भी प्रोजेक्ट के लिए एमआईसी से मंजूरी दिलवाई।
  • विशेष गढ़पाले - केंद्र सरकार को बिना डीपीआर के ही सिर्फ कॉन्सेप्ट प्लान केंद्र को भेजा।

  • तेजस्वी एस नायक - एनजीटी और केंद्र सरकार के निर्देशों को नजरअंदाज कर कई विवादों के बाद भी गड़बड़ियों पर ध्यान नहीं दिया।

  • छवि भारद्वाज - ठेकेदार और अफसर तालाब के एफटीएल वाले हिस्सों को पूरते रहे मेडम देखती रही। सबसे बाद में प्रोजेक्ट पर रोक लगाई।

  • प्रकोष्ठ प्रभारी संतोष गुप्ता - वरिष्ठ अफसरों को पूरे मामले में गुमराह किया। टेंडर जारी कर काम शुरू करवाया।


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