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Wednesday, November 30, 2016
मप्र में 'पॉवरफुल अफसरों पर लागू नहीं होते आचरण नियम
TOC NEWS
जिनकी पकड़ नहीं होती, सिर्फ उन पर होती है त्वरित कार्रवाई
भोपाल। मप्र सरकार में अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी अलग-अलग गुट में बंटे हैं, यह कोई नहीं बात नहीं है। सरकार ने नेहरू गांधी परिवार की तारीफ कर मोदी सरकार पर कटाक्ष करने वाले आईएएस अधिकारी अजय गंगवार को ताबड़तोड़ कार्रवाई कर जिस ढंग से बड़वानी कलेक्टर पद से हटाया है, उससे अन्य अफसरों को सिविल सेवा आचरण नियम के दायरे में रहने का संदेश जरूर गया है, लेकिन इससे यह संदेश भी गया है कि जिन अफसरों की ऊपर पकड़ नहीं होती सरकार में वे जल्दी शिकार होते हैं। जबकि पहुंच वाले पॉवरफुल अफसरों पर सरकार मेहरबान ही रही है। सरकार में कुछ अफसर ऐसे हंै जो भाजपा कार्यालय में जाकर नेताओं को प्रशिक्षण देते हैं और कुछ संघ के कार्यक्रमों में शिरकत करते हैं। साथ ही केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ भी फेसबुक पर आग उगलते हैं। ऐेसे अफसरों पर भी सरकार मेहरबान है।
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इन अधिकारियों पर गिरी गाज
जेएन मालपानी, तत्कालीन आदिवासी विकास आयुक्त
दिसंबर 2015 में आदिवासी विकास आयुक्त रहते इनका एक ऑडियो वायरल हुआ। मामला सीएम तक पहुंचा, तत्काल अपर मुख्य सचिव राधेश्याम जुलानिया को जांच सौंपी। जांच रिपोर्ट के आधार पर मालपानी को निलंबित कर दिया। ऑडियेा में मालपानी अपने अधीनस्त अफसर से यह कहते हुए सुनाई पड़ रहे कि 'अकेले-अकेले खाओगे तो बदहजहमी हो जाएगी।
आरबी प्रजापति, तत्कालीन अशोकनगर कलेक्टर
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल ने राशन दुकान पर कार्रवाई के लिए अशोकनगर जिला अफसरों से कहा। इस दौरान कलेक्टर आरबी प्रजापति प्रशिक्षण पर थे। जब कलेक्टर प्रशिक्षण से लौटे तब उन्हें सीएम के सामने वीडियो कॉफ्रेंस में हाजिर होना पड़ा। पीएस ने राशन की दुकान पर कार्रवाई का सवाल पूछा तो कलेक्टर उलझ गए। हडबड़ी में कुछ कह गए। बाद में कलेक्टर को जिले से चलता करवा दिया।
अजय गंगवार, तत्कालीन बड़वानी कलेक्टर
नरसिंहपुर कलेक्टर सिबि चक्रवर्ती की तरह ये भी भावनाओं में बह गए और फेसबुक पर मोदी सरकार पर कटाक्ष कर दिया। विवाद बढ़ा तो पोस्ट हटा दी गई। अगले दिन ये सीएम के निशाने पर आ गए। इन्होंने भी सिविल सेवा आचारण नियम का घोर उल्लंघन किया और गुरुवार शाम को तबादला आदेश जारी कर दिया गया।
मधुकर अग्नेय, तत्कालीन भिण्ड कलेक्टर
फसल नुकसान होने पर महिला किसान कलेक्टर के पास पहुंची तो, कलेक्टर ने फटकार लगाई। इसका वीडियो वायरल हो गया। सरकार ने मुधकर अग्नेय की भिण्ड कलेक्टर से छुट्टी कर दी।
ज्ञानेश्वर पाटिल, तत्कालीन जिपं सीईओ भोपाल
भोपाल में पदस्थापना के दौरान विवादों में रहे। उन पर आरोप लगे तो सरकार ने तत्काल निलंबित कर दिया। हालांकि जांच के बाद उन्हें फिर कलेक्टरी मिल गई।
इन अधिकारियों पर सरकार मेहरबान
प्रमोद अग्रवाल, प्रमुख सचिव लोनिवि
दिसंबर 2015 में ही लोक निर्माण विभाग के रीवा में पदस्थ दो अफसरों का ऑडियो वायरल हुआ था। जिसमें रीवा के मुख्य अभियंता द्वारा एसडीओ अनिल मिश्रा से प्रमुख सचिव के नाम से पैसों की मांग करते हैं। चूंकि उस समय विधानसभा चल रही थी तो यह ऑडियो भी मुख्यमंत्री तक पहुंचा। सीएम ने विधानसभा में ही 15 दिन के भीतर ऑडियो की जांच कराने के आदेश दिए। जांच एमपीआरडीसी के एमडी मनीष रस्तोगी को सौंपी गई। अब छह महीने बीतने को हैं, लेकिन जांच का किसी को पता नहीं कहां चल रही है। जांच अधिकारी ने चुप्पी साध रखी है। ऑडियो में दोनों अफसर पैसों के बीच लेनदेन की बात कर रहे हैं। खास बात यह है कि अभी तक किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
सिबि चक्रवर्ती, नरसिंहपुर कलेक्टर
पिछले हफ्ते 19 मई को जब देश के पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणाम आए थे, तब इन्होंने भावुक होकर अपने फेसबुक पर अन्नाद्रमुक प्रमुख जयललिता को जीत की बधाई दे डाली। इनका यह कृत्य सिविल सेवा आचरण नियम का उल्लंघन है, लेकिन सरकार ने कल तक इनसे कोई स्पष्टीकरण भी नहीं मांगा।
प्रकाश जांगरे, तत्कालीन दतिया कलेक्टर
समय सीमा में काम नहीं होने पर पीडब्ल्यूडी के कार्यपालन यंत्री को थप्पड़ मारा। इसकी जांच हुई, लेकिन पीडब्ल्यूडी के अधिकारी-कर्मचारियों ने धरना प्रदर्शन किया। एक महीने बाद जांगरे की दतिया से छुट्टी कर दी। महीने भर मंत्रालय में रहे फिर कटनी का कलेक्टर बना दिया।
आरके मिश्रा, तत्कालीन पन्ना कलेक्टर
केंद्रीय स्कूल की प्राचार्य ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई कि मिश्रा उनसे देर रात तक अश्लील बातें करते हैं। मामला सामने आने के बाद सरकार ने तत्काल मिश्रा को कलेक्टर पद से हटा दिया। अपर मुख्य सचिव अरुणा शर्मा ने जांच रिपोर्ट सौंपी, जिसमें दोनों को दोषी पाया गया। सीएम के पास फाइल दबी है। मिश्रा फिर कलेक्टर बनने की लाइन में शामिल।
वी किरण गोपाल, तत्कालीन बालाघाट कलेक्टर
बालाघाट कलेक्टर रहते अपने गृहनगर हैदराबाद के लिए 10 करोड़ की सागौन की लकड़ी भेजने के आरोप लगे। एसआईटी को जांच में आरोप काफी सही मिले। विरोध होने पर वी किरण गोपाल को बालाघाट कलेक्टर से हटाया। दो महीने मंत्रालय में रहे। फिर हजारों करोड़ रुपए के बजट वाले एनआरएचएम का संचालक बना दिया गया। खास बात यह है कि लकड़ी घोटाले की जांच से किरण गोपाल को बरी कर निचले अफसरों पर आरोप मढ़ दिया गया है। फिलहाल जांच ठंडे बस्ते में चली गई है।
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