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Thursday, November 17, 2016

प्रदेश को कर्जदार बनाने और उद्योगपतियों को छूट देने को लेकर चर्चाओं का दौर गर्म


MODI SHIVRAJ के लिए चित्र परिणाम

अवधेश पुरोहित // 
TOC NEWS 

भोपाल । जैसा कि भारतीय जनता पार्टी के मामले में अक्सर लोग उसे बनिया, जैन पार्टी के नाम से संबोंधित करते नजर आते हैं चाहे मोदी की सरकार हो या शिवराज की सरकार दोनों ही सरकारों की कार्यप्रणाली से यह साफ नजर आता है कि सच में भाजपा की सरकार है उद्योगपतियों की शुभचिंतक ही ज्यादा दिखाई देती है।

एक ओर जहां यह शिवराज सरकार एक के बाद एक कर्ज लेकर इस प्रदेश को कर्जदार बनाने में लगी हुई है तो वहीं दूसरी ओर प्रदेश के उद्योगपतियों को यह हरसंभव मदद पहुँचाने में लगी हुई है, फिर चाहे वह इन उद्योपगतियों को सब्सिडी के नाम पर दी जाने वाली करोड़ों की राशि हो या फिर बिजली, पानी की बकाया राशि इन उद्योगपतियों से वसूली का मामला हो सवाल यह उठता है कि जिस भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश की सरकार के विद्युत कंपनियां एक झुग्गी-झोपड़ी वाले गरीब पर ३०० और ५०० रुपये की विद्युत बिल की बकाया राशि काट देने में रहम नहीं करते यही नहीं विद्युत चोरी करने जैसा आरोप लगाकर किसानों को जेल भिजवाने के लिए शिवराज सरकार की विद्युत कपंनियां कोई देरी नहीं करती हैं,

लेकिन वहीं दूसरी ओर प्रदेश के उद्योगपतियों पर यदि करोड़ों रुपए बकाया हो तो न तो उनकी विद्युत काटी जाती है और न ही उनसे विद्युत बिल की बकारा राशि की वसूली की दिशा में कोई कदम उठाया जाता है जबकि यदि इसी तरह के विद्युत एजेंसियों की बकाया राशि यदि किसान पर हो तो उसे जेल भेेजने में इन्हें शर्म तक नहीं आती। प्रदेश विधानसभा में डॉ. गोविंद सिंह द्वारा पूछे गये एक प्रश्न के उत्तर में राज्य के ऊर्जा मंत्री ने सदन में एक लिखित प्रश्न के जवाब में १९ मार्च २०१५ को जो जवाब दिया उससे यह साफ जाहिर होता है कि प्रदेश भाजपा भले ही गरीबों और किसानों के हितैषी होने का दावा करती हो लेकिन व्यवहारिक तौर पर ऐसा कुछ नहीं दिखाई देता है और जैसा कि लोग बीजेपी को बनिया जैन पार्टी के नाम से पुकारते हैं,

उसकी कार्यप्रणाली से यह साफ जाहिर होता है कि वह गरीबों की नहीं बल्कि उद्योगपतियों की पार्टी है, १९ मार्च २०१५ को पूर्व क्षेत्र वि.वि. कंपनी लिमटेड के अंतर्गत निगम मण्डलों के विरुद्ध बकाया राशि का विवरण जनवरी २०१५ की स्थिति में दर्शाया गया यदि उस पर निगाह डालें तो यह साफ जाहिर हो जाता है कि जो विद्युत कंपनियां एक गरीब पर ५०० रुपये बकाया होने के बाद  उसकी बिजली का कनेक्शन कटकर उसे बेइज्जत तो करते हैं लेकिन उद्योगपतियों पर करोड़ों रुपये बकाया होने के बावजूद भी न तो उनकी बिजल काटते हैं। ऐसा स्पष्ट डॉ. गोङ्क्षवदसिंह के द्वारा पूछे गये विधानसभा में ऊर्जा मंत्री के द्वारा दिये गये लिखित प्रश्न के उत्तर में साफ दिखाई देता है,

राज्य के ऊर्जा मंत्री के अनुसार छिंदवाड़ा की बालाजी इण्डस्ट्रीज सारसवाड़ा छिंदवाड़ा पर ८.७६ लाख, छिंदवाड़ा के ही वेंकटेशरफुट इण्डस्ट्रीज अजनिया पर ११.६ लाख, छिंदवाड़ा के ही एन पंजाब एग्रो इण्डस्ट्रीज अजनिया पर ६.१७ लाख, छिंदवाड़ा के ही प्रिज्म सीमेंट परासिया पर ११.१३ लाख, छिंदवाड़ा के ही मेसर्स कामधेनु फीड् बोरगांव पर १९.९२ लाख, छिंदवाड़ा के ही कृषणा पिंग अलाय प्रा.लि. बोरगांव पर ६७.११ लाख, गंगोत्री  आइल एण्ड एग्रो पार्ढुना पर २७.४९ लाख, छिंदवाड़ा के ही हरेराम काटन इण्डस्ट्रीज पार्ढुणा पर ६.११ लाख, मेसर्स जीएम एमपी स्टेट पनटवाड़ा पर ५१.३७ लाख, मेसर्स न्यू जलगांव इंजीनियरिंग बोरगांव पर १३.५ लाख, छिंदवाड़ा के ही नाफे ड मेहराखापा सौंसर पर ४८.३२ लाख, मेसर्स बालाघाट सीमेंट बैहर जिला बालाघाट पर २०.२३ लाख, मेसर्स नर्मदा प्लास्टिक इण्डस्ट्रीज बालाघाट पर २०.११ लाख, बालाघाट इण्डस्ट्रीज प्रालि पर १९८.५० लाख, मेसर्स समनिया इम्पेक्स रजेगांव बालाघाट पर ५.९७ लाख, मेसर्स एकता कास्टिंग जबलपुर पर ६.७१ लाख, वद्र्धमान दाल शाहपुरा पाटन पर ७.७१ लाख  रामवीर स्टोन ९.९१ लाख, जाका मार्बल कटनी पर ६.३१ लाख, मण्डला अंजली स्टील मनेरी पर ७.४२ लाख, नरङ्क्षसहपुर की मेसर्स क्वालिटी सीमेंट गाडरवारा पर ७.१२ लाख, कटनी के मेसर्स एएसएन बायोमास्क गुढ़ार (विलायतकलां) पर २२.३६ लाख, कटनी के ही मेसर्स स्वेल माईनस लि. गुजरी तहसील बहोरीबंद पर १६.८१ लाख, कटनी के ही  मेसर्स डाल्टेक कार्बाइड पुरैना पर  पर ५४.३५ लाख, आरडीएम केयर इंडिया प्रालि ग्राम इमरिया परियट, जबलपुर पर ११.९८ लाख, नर्मदा एलोंयस इंडिया प्रालि जिला मण्डल पर ६९.२५ लाख, राजस मार्बल्स इण्डस्ट्रीज जबलुपर पर १६.४४ लाख, सिल्वर पेपर मिल प्रालि  जबलपुर पर ७४.१० लाख, राधिका मार्बल्स जबलपुर पर ११.९२ लाख, मेसर्स धनलक्ष्मी साल्वेक्स प्रालि नरसिंहपुर पर २५.१८ लाख, मेसर्स गुरु अर्जुन मिनरल्स बसारी बीना पर ६.०१ लाख, मेसर्स रेवती मिनरल्स एण्ड केमील्स हीरापुर पर ८.९८ लाख,  मेसर्स ईस्टर्न मिनरल्स निवाड़ी पर ६८.५३ लाख, मेसर्स वन्देमारतम् गिट्टी उद्योग प्रतापपुरा पर २४.१२ लाख, मेसर्स बालाजी स्टोन क्रेशर प्रतापपुरा पर १४.०४ लाख, मेसर्स राही ग्रेनाइट इण्डस्ट्रीज प्रतापपुरा २५.८१ लाख, मेसर्स रुकमणी मिनरल्स निवाड़ी पर ७.९५ लाख, तो वहीं टीकमगढ़ की रामकुंवर कन्स्ट्रक्शन प्रतापगढ़ पर ६.९५ लाख, टीकमगढ़ की ही महामाया स्टोन पर ६.९५ लाख इन कम्पनियों पर बकाया की राशि की स्थिति जनवरी २०१५ की स्थिति की है

जिसका जवाब सदन में डॉ. गोविंद सिंह के प्रश्न के उत्तर में १९ मार्च २०१५ को विधानसभा में ऊर्जा मंत्री द्वारा दिया गया था, इसके बाद की क्या स्थिति है इन बकायादारों से राशि वसूली की कार्यवाही की गई या नहीं इसका विवरण अभी प्राप्त नहीं है लेकिन यदि इन समस्त कंपनियों पर बकाया राशि को देखने से यह साफ जाहिर हो जाता है कि इस सरकार की दोहरी नीति के चलते जहाँ इस प्रदेश को कर्जदार बनाया जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर बीजेपी अपने नाम के अनुरूप उसकी सरकार द्वारा बनिया जैन पार्टी का नाम सार्थक करते हुए उद्योगपतियों को भरपूर पाला पोसा जा रहा है।

अभी यह सूची लम्बी है और इसका विवरण देखने पर साफ जाहिर होता है कि यह सरकार कर्ज लेने और छोटे गरीबों पर दो सौ से चार सौ रुपये बकाया होने पर उनके कनेक्शन बेरहमी से काटने पर जरा भी हिचक नहीं रखती और जो उद्योगपति बिजली के बकाया राशि का तो करते ही हैं तो जहां यह स्थापित हैं वहां प्रदूषण फैलाकर लोगों को तमाम तरह की बीमारियों की ओर ढकेल रहे हैं उन पर रहम खाती नजर आती है।

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