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Thursday, November 24, 2016

मुआवजे के लिये किसान को चढऩा पड़ा सौ फिट ऊँचे टावर पर

70 फीट ऊंचे टावर पर जा चढ़ा डूब में गई जमीन के लिए मुआवजे को तरसा किसान

अवधेश पुरोहित @ TOC NEWS

भोपाल.  मध्यप्रदेश की सराकार यूँ तो गरीबों, किसानों और दलितों की हितैषी सरकार है लेकिन सवाल यह उठता है कि इसी सरकार में आम पीडि़त व्यक्ति को कभी टावर पर चढ़कर अपनी गुहार लगाने तो कभी जनसुनवाई के दौरान अधिकारियों के सामने मिट्टी का तेल और पेट्रोल जैसे घातक पदार्थ लेकर पहुंचकर यह धमकी देना कि यदि काम नहीं हुआ तो वह अपने ऊपर डालकर जान ते दे देगा और ऐसी ही घटना शुक्रवार को इंदौर के रीगल चौराहे पर कॉटन दलाल के साथ नौ करोड़ रुपयों की धोखाधड़ी होने और उसकी शिकायत पीएम से लेकर सीएम तक और सीएम से लेकर पुलिस के अधिकारियोंं तक किये जाने के बाद न्याय न मिलने से हताश होकर रीगल चौराहे पर अपने ऊपर पेट्रोल डालकर आग लगा लेने जैसी घटनाएं आखिर क्यों और किसके कारण घटित होती हैं 

इसके दोषी कौन हैं, इस पर विचार होना चाहिए तो वहीं ठीक इसी काटन दलाल की तरह रायसेन जिले के बिछुआ गांव का निवासी दामोदर प्रजापति (२६) को आखिर पाँच बीघा खेती जमीन सेमरी बाँध के डूब में आ जाने और उसका मुआवजा हासिल करने के लिये स्थनीय एसडीएम के चक्कर काटने से परेशान होकर सीएम हाउस के सामने टावर पर चढऩे की स्थिति क्यों पैदा हुई, जबकि इसी रायसेन जिले के अपने क्षेत्र में लोकप्रिय मुख्यमंत्री के चहेते लोक निर्माण मंत्री जिनके पास कुछ दिनों मंत्रीमण्डल में हुए फेरबदल के पहले राज्य के राजस्व मंत्री हुआ करते थे 

जिनका सम्पर्क हमेशा आम जनता से रहता है और इसका जीता जागता उदाहरण है उनके निवास पर जब भी फोन लगाओ तो एक ही जवाब मिलता है कि माननीय मंत्री जी क्षेत्र भ्रमण पर हैं चाहे फिर रात हो या दिन हर वक्त वह अपने क्षेत्र के मतदाताओं के साथ-साथ आमजन के प्रति हमेशा समर्पित रहते हैं तो वहीं दूसरी ओर इसी रायसेन जिले से राज्य के वनमंत्री गौरीशंकर शेजवार भी हैं और सत्ता और संगठन की ओर से बार-बार अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं को यह निर्देश दिये जाते हैं कि वह जनता के दुखदर्द में शामिल रहें और उनकी समस्याओं से रूबरू रहे ऐसी स्थिति में इस जिले से दो मंत्री शिवराज कैबिनेट से हैं और उनमें से एक मंत्री रामपाल तो हमेशा अपने क्षेत्र में रहते हैं 

लेकिन पिछले दिनों बेगमगंज के गांव के ग्रामीणों ने उनका अपनी समस्याओं को लेकर घेराव किया था तब कहीं जाकर उन्होंने पीएचई के अधिकारी को बुलाया और उनकी समस्या का निराकरण करने के निर्देश दिये इसके बाद उस क्षेत्र की क्या स्थिति है यह तो ग्रामीण जनें तो वहीं दूसरी ओर उन्हीं रामपाल के क्षेत्र में ऐसे कई गांव मिल जाएंगे जहां की छात्र-छात्राएं पेड़ के नीचे बैठकर अध्ययन करने पर मजबूर हैं तो वहीं इस क्षेत्र के नागरिकों के सामने कई समस्यायें मुंह बायें बैठी हुई हैं और इसका क्षेत्र भ्रमण के बाद ही पता चल सकेगा लेकिन अति लोकप्रिय मुख्यमंत्री और गरीबों के हितैषी और जिनका राजनीति में आना सिर्फ दरिद्र नारायण की सेवा करना ही मुख्य उद्देश्य है 

ऐसे मुख्यमंत्री के राज्य के उस जिले में जहां दो-दो मंत्री उनके कैबिनेट के सदस्य हों और इन मंत्रियों के क्षेत्र के नागरिकों को अपनी समस्याओं के लिये अधिकारियों के चक्कर काटने पड़ रहे हो और उसके बाद उनकी समस्या का समाधान नहीं हो पाया हो और उसे टावर पर चढऩे के लिये मजबूर होना पड़ रहा है कि सवाल यह उठता है कि आखिर राज्य में क्या हो रहा है । 

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