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14 वर्षीय छात्रा को युवक ने चार बार बनाया हवस का शिकार
महासमुंद/ भिलाई (ब्यूरो)। प्रदेश में मासूम बच्चियों के साथ अनाचार के दो शर्मनाक मामले बुधवार को उजागर हुए। पहली घटना भिलाई के जुनवानी में निजी स्कूल की है, जहां 4 साल की मासूम को स्कूल बस ड्राइवर ने अपनी हवस का शिकार बनाने की कोशिश की। दूसरा केस महासमुंद का है, जहां 14 साल की किशोरी से पुलिस कर्मी के भाई ने दुराचार किया था। गर्भवती हुई किशोरी की मां नहीं है तो पिता दिव्यांग।
शिकायत के बावजूद 8 महीने से पुलिस आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर रही थी तो पीड़ित परिवार पर मामला रफा-दफा करने का दबाव बनाया जा रहा था। आखिरकार पीड़िता ने दादा के साथ राजधानी में बाल संरक्षण आयोग अध्यक्ष की शताब्दी पांडेय से गुहार लगाई। आयोग से मिली फटकार के बाद महासमुंद पुलिस ने 18 अक्टूबर को आरोपी को गिरफ्तार किया।शहर से लगे गांव में कक्षा 7वीं की 14 वर्षीय छात्रा से वहीं के 22 वर्षीय युवक ने अनाचार किया। बालिका गर्भवती हो गई।
मितानीन मलेरिया जांच के दौरान उसके घर पहुंची, तब मामला सामने आया। 6 माह का गर्भ होने की पुष्टि हुई। पूछताछ में किशोरी ने राकेश साहू का नाम बताया। बोली आरोपी ने चार बार हवस का शिकार बनाया। 20 अगस्त को पुलिस ने राकेश साहू के विरुद्ध भादवि की धारा 376, 456, 506, 2, 3,5 एससी-एसटी एक्ट व पास्को एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया।एसआई संतोषी अग्रवाल को विवेचना अधिकारी बना दिया, लेकिन जानकारी आयोग को नहीं दी। वहीं एफआईआर के बाद से आरोपी शिकायत वापस लेने का दबाव बना रहे थे। इस पर पीड़िता का परिवार आयोग के स्थानीय सदस्यों से मिला, तब जानकारी रायपुर के पदाधिकारियों तक पहुंची। बावजूद पुलिस ने कार्रवाई में तेजी नहीं लाई।
पीड़िता ने रायपुर आकर आयोग अध्यक्ष शताब्दी पांडेय को सारी जानकारी दी। इस पर पांडेय ने फोन कर महासमुंद पुलिस के रवैये पर नाराजगी जताई। इसके बाद आनन-फानन में आरोपी मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया।डिलीवरी तक बालिका गृह में छत्तीसगढ़ बाल संरक्षण आयोग अध्यक्ष शताब्दी पांडेय ने बताया कि किशोरी जब मुझसे मिलने आई, तब उसकी सेहत खराब थी। पर्याप्त पोषण आहार नहीं मिल रहा है। बच्ची को बालिका गृह रायपुर में रखने का निर्देश दिया है। यहीं उसकी डिलीवरी होगी। शिशु को किशोरी का परिवार नहीं रखेगा तो उसे गोद दे दिया जाएगा।
भाई को बचाने महिला आरक्षक ने रोकी थी कार्रवाई :
आयोग अध्यक्ष पांडेय को डीएसपी मोहन मोटवानी ने स्वीकार किया कि कार्रवाई में देरी हुई है। आरोपी की बहन महिला आरक्षक है, जिसने संदेह जाहिर कर डीएनए टेस्ट कराने की मांग की थी। इस पर पांडेय ने कहा कि डीएनए टेस्ट कराने का फैसला लेना कोर्ट का काम है, पुलिस का नहीं।विवेचना अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई की अनुशंसा : पांडेय ने कहा कि आरोपी को गिरफ्तार करने में पुलिस ने लापरवाही की तो आयोग को जानकारी देने में भी देर की। ऐसे संवेदनशील मामले में विवेचना अधिकारी का रवैया गैरजिम्मेदाराना पाते हुए उसके विरुद्ध कार्रवाई करने वे एसपी को पत्र भेजेंगी।
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