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Friday, February 24, 2017

जांच के नाम पर अपनी ही सरकार को घेरा



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भोपाल। सतपुड़ा की वादियों में बसे पचमढ़ी में सत्तारूढ़ विधायकों को प्रशिक्षण शिविर के नाम पर यह नसीहत दिये जाने के बावजूद भी कि वह सदन में हंगामा ना खड़ा करें का असर कितना हुआ, यह तो जांच का विषय है लेकिन प्रशिक्षण वर्ग के कुछ ही चंद दिनों बाद ही मध्यप्रदेश विधानसभा में सत्तारूढ़ दल के विधायक द्वारा भिण्ड जिले के एक मामले को लेकर सरकार को इस तरह से घेरा कि सरकार ठीक से जवाब तक नहीं दे सकी, अपने आपको लोकतंत्र का हिमायती होने का दावा करने वाली भाजपा के विधायकों को भले ही मुंह बंद करने की नसीहत पचमढ़ी प्रशिक्षण शिविर में दी गई हो लेकिन राजनीति की कुछ फितरत भी अलग होती है क्योंकि पार्टी या संगठन गा सदस्य होने के बाद भी लोकतंत्र में विधायक एक जनप्रतिनिधि होता है और वह यह अच्छी तर यह जानता और समझता है कि उसे कब और कहां मुंह खोलना है।

शिविर में दी ई तमाम हिदायतों को दरकिार करते हुए भाजपा के भिण्ड के विधायक नरेन्द्रसिंह कुशवाह ने एक मामले को लेकर राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी, दरअसल प्रश्नकाल के दौरान भिण्ड जिले में १६ साल पहले स्कूलों के लिए हुई कंम्प्यूटर खरीलदी घोटााले का मामला कुशवाह ने उठाया तो सामान्य प्रशासन राज्यमंत्री लालसिंह आर्य ने जवाब में कहा कि मामले की हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट होता हुआ जांच के लिए आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) के पास लंबित है लेकिन इस मामले को उठाने वाले विधायक कुशवाह मंत्री के जवाब पर संतुष्ट न होकर मंत्री और सरकार को कटग्घरे में खड़ा कर दिया। 

कुशवाह ने कहा कि यह मामला १६ साल से अटका पड़ा है ईओडब्ल्यू सात सालों से जांच कर रहा है आज तक जांच पूरी होकर रिपार्ट सरकार के पास क्यों नहीं पहुंची जब मंत्री ने जवाब दिया कि जांच रिपोर्ट आते ही दोषियों पर कार्यवाही की जाएगी, तो कुशवाह ने अपनी ही पार्टी के लोगों को स दन में गुमराह करवाने का आरोप लगाते हुए इस बात का खुलासा कर डाला कि ईग्ओडब्ल्यू की जांच रिपोर्ट उनके पास मौजूद है जिसके बाद मतत्कालीन कलेक्टर और पूर्व सांस को दोषी ठहराया है, कुशवाह ने आरोप लगाया कि एक करोड़ बीस लाख के घोटाले में सराकार इन दोनों को बचाने मेें लगी है।

यही नहीं सत्तारूढ़ दल के विधायक ने मंत्री से पूछा कि पूर्व सांसद और संबंधित आईएएस अधिकारी पर कार्यवाही कब तक होगी उन्होंने मंत्री को पिछले मामले को लेकर चुनौती तक देते हुए कहा कि जांच रिपोर्ट आप कतक भले ही न पहुंची हो, मेरे पास है मैं आपको बता देता हूँ, आप कार्यवाही तो करें कुल मिलाकर भिंड के भाजपा विधायक ने जो मामला उठाया और उसपर सरकार की ओर से जो जवाब आया उससे यह साफ जाहिर होता है कि प्रदेश में भ्रष्टाचार के मामलों में क्या स्थिति है सवा करोड़ के इस घोटाले की जांच सात सालों से चल रही है, तो यह कल्पना की जा सकती है कि छोटे-मोटे मामलों की क्या स्थिति होगी। 

तो वहीं इस मामले को लेकर यह भी स्थिति दिखाई दी कि मंत्री के बयानों व सरकार की ओर से दी जाने वाली जानकारियोंं की प्रति लगातार विधायकों का अविश्वास किस तरह से बढ़ रहा है। कुल मिलाकर राज्य में हर मामले की स्थिति क्या है इस घटना से यह साफ जाहिर हो जाता है कि कहीं न कही कुछ तो है।

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