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Saturday, April 1, 2017

आज है ‘अप्रैल फूल’, पागल बनायें लेकिन जरा संभलकर

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हम सभी कभी न कभी, किसी न किसी फ्रैंक के शिकार जरूर हुए हैं, और इसी तरह ही हमने भी अपने दोस्तों को मूर्ख बनाया होगा। फर्स्ट अप्रैल ऐसा ही एक दिन है जिस दिन सभी लोग दूसरे को मूर्ख बनाने का मौका ढूंढते रहते हैं, और इस दिन की खास बात यह है कि इस दिन कोई आपके फ्रैंक का बुरा भी नहीं मानता है लेकिन इसके अलावा किसी अन्य दिन अगर उसी शख्स को बेवकूफ बनाया जाए तो वो बुरा मान जाएगा।

एक बात तो हर किसी के जहां में अति है कि आखिर इस दिन में ऐसा क्या है कि दुनियाभर में लोग इसे मानते हैं।मूर्ख दिवस एक मान्यता प्राप्त छुट्टी का दिन और कोई धार्मिक दिन नहीं है। लेकिन फिर भी इसे पूरे विश्व में मनाया जाता है।


कैसे हुई अप्रैल फूल की शुरुआत

अप्रैल फूल डे यानि मूर्खता दिवस की शुरुआत कैसे हुई और सबसे पहले इसको कहां व कैसे मनाया गया, ये सवाल सभी के मन में आता है। अप्रैल फूल डे के शुरुआत को लेकर कोई एक मान्‍यता या स्‍टोरी नहीं है, इसको लेकर कई अनेक मान्‍यताएं हैं। सर्वाधिक प्रचलित मान्यता ब्रिटेन के लेखक चॉसर की पुस्तक द कैंटरबरी टेल्स की एक कहानी पर आधारित है।

चॉसर ने अपनी इस पुस्तक में कैंटरबरी का उल्लेख किया है जहां 13वीं सदी में इंग्लैंड के राजा रिचर्ड सेकेंड और बोहेमिया की रानी एनी की सगाई 32 मार्च 1381 को आयोजित किए जाने की घोषणा की जाती है। कैंटरबरी के जन-साधारण इसे सही मान लेते हैं यद्यपि 32 मार्च तो होता ही नहीं है।

इस प्रकार इस तिथि को सही मानकर वहां के लोग मूर्ख बन जाते हैं, तभी से एक अप्रैल को मूर्ख दिवस अर्थात अप्रैल फूल डे मनाया जाने लगा। वैसे तो अप्रैल फूल डे पश्चिमी सभ्यता की देन है लेकिन यह विश्व के अधिकांश देशों सहित भारत में भी धूमधाम से मनाया जाता है।


अगली स्लाइड में पढ़ें Fool’s Day से जुड़ी और मान्यतायें

कुछ लोगों का मानना है कि 1582 में नए कैलेंडर का आविष्कार हुआ। इसके पहले के कैलेंडर के अनुसार एक अप्रैल से नए साल की शुरुआत होती थी। इस दिन लोग एक दूसरे को जोक्स भेज कर और उनके साथ प्रैंक करके उन्हे बेवकूफ बनाते थे। इस गेम में जब सामने वाला बेवकूफ बन जाता है तो उसे अप्रैल फूल के नाम से संबोधित किया जाता है। तभी से ये ट्रेंड पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हो गया।

उपरोक्‍त मान्‍यताओं के अलावा अप्रैल फूल डे को लेकर और भी कई मान्‍यताएं हैं। जिनमें एक यह भी है कि साल 1564 से पहले यूरोप के अधिकांश देशों मे एक जैसा कैलंडर प्रचलित था, जिसमें नया साल एक अप्रैल से शुरू होता था। 1564 में वहां के राजा चार्ल्स नवम् ने एक नया कैलेंडर अपनाने का आदेश दिया, जिसमें एक जनवरी से नया साल माना गया था।

ज्‍यादातर लोगो ने इस नए कैलंडर को अपना लिया, लेकिन कुछ लोगों ने इस नए कैलंडर को अपनाने से इनकार कर दिया। वे लोग एक अप्रैल को ही साल का पहला दिन मानते थे। इन लोगों को मूर्ख समझकर नया कैलंडर अपनाने वालों ने एक अप्रैल को ‘फूल्स डे’ के रूप में मनाया।

खैर, हमारी तो आपसे यही गुजारिश है कि आप भी अपने दोस्तों और जानने वालों के साथ इस दिन को मनायें, फनी जोक्स के साथ या फिर फ्रैंक्स करके उन्हें फूल बनायें लेकिन जो भी करें उसे एक लिमिट में रहकर करें ताकि किसी को बुरा न लगे और अपके रिशते भी बेहतर बने रहें।

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