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Sunday, July 23, 2017

वह गिड़गिड़ाती रही पर रसूलाबाद थानाध्यक्ष भूपेंद्र सिंह राठी नाबालिग से करते रहे रेप



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वो गिड़गिड़ाती रही पर उसकी सुनने वाला कोई नहीं था. घर में अकेली पाकर जनता के रक्षक कहे जाने वाले वहसी दरिंदों ने एक नाबालिग लड़की के साथ क्रूरता की सारी हदें पार कर दीं. घटना कानपुर देहात के रसूलाबाद की हैं. जहां एक पुलिस  इंस्पेक्टर ने पुलिस विभाग को शर्मसार कर दिया.

इंस्पेक्टर भूपेंद्र राठी ने एक नाबालिग लड़की को गांव से बाहर पुलिस स्टेशन ले जाकर उसके साथ रेप किया. थानेदार गांव के एक युवक की हत्या के मामले में गवाही के लिए लड़की को अपने साथ ले गया था फिर उसके साथ रेप किया.

गवाही के बहाने एक 15 साल की नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म करने के साथ ही उससे डराया और धमकाया भी.
लड़की दर्द से चीखती चिल्लाती रही पर उसकी कोई सुनने वाला नहीं था. अंतत: बेहोश हो जाने पर उसे पास के ही अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया. साथ ही उससे यह भी कहा कि अगर उसने यह बात किसी और को बताई तो उसके लिए अच्छा नहीं होगा.

क्या था मामला –

लड़की का कहना है कि गांव के ही एक युवक ने आत्महत्या कर ली थी. जिसकी गवाही देने के लिए पुलिस वाले ने उसे थाने ले गए. पूछताछ के बहाने थानेदार भूपेंद्र राठी ने रात में उसे अपने कमरे में बुलाकर सुसाइड केस में फंसाने की धमकी देकर उसके साथ रेप जैसा घिनौना काम किया. लड़की ने अपनी सारी आपबीती अपने पिता के साथ कानपुर आईजी आलोक सिंह को बताया.


जहां एक ओर सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने एंटी रोमियो स्क्वॉएड का गठन कर सूबे की महिलाओं को सुरक्षा का एहसास कराने का प्रयास किया, लेकिन यहां तो जिनके जिम्मे महिलाओं की सुरक्षा का जिम्मा है वो ही महिलाओं के साथ ऐसी वहशियाना हरकतों को अंजाम दे रहे हैं. इनके जैसे थानेदारों के कुकृत्य से पुलिस विभाग तो बदनाम होता ही है इसके साथ ही साथ सरकार को भी बदनामी झेलनी पड़ती है. साथ ही लोगों का विशेषतौर पर महिलाओं का पुलिस प्रशासन से भरोसा उठ जाता है.



योगी जी को इस तरह की घटना के जिम्मेदार लोगों को कड़ी से कड़ी कार्रवाई कर विभाग में ये संदेश देना चाहिए कि इस तरह की घटनाओं के बाद आरोपी कोई भी हो कड़ी कार्रवाई का सामना करना ही पड़ेगा. इससे जनता पर भी सरकार का भरोसा बढ़ेगा. पर दुर्भाग्य की बात ये है कि सरकारें चाहे जो रही हों ऐसी घटनाओं के बाद फौरन ही एक विभागीय अधिकारियों की कमेटी बनाकर उसे जांच सौंप दी जाती है. 

उसके बाद वही खानापूरी और आरोपी फिर से जनता के बीच में और इस बार तो उसका आत्मविश्वास और बढ़ा होता है कि वो चाहे जो करे उसका कुछ नहीं होने वाला है. इसके अलावा घटना के कुछ दिनों बाद वैसे ही मामला ठंडा हो जाता है और लोग उसे भूल जाते हैं. ऐसे लोगों को इस बात का भी फायदा मिलता है.

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