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Sunday, July 30, 2017

शिवराज सरकार का घोटाला : पीएचई के ईएनसी के लिये हुआ दो करोड़ का खेल ?

पीएचई के ईएनसी के लिए चित्र परिणाम

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अवधेश पुरोहित

भोपाल। शिवराज सरकार में अपने कार्यकाल के दौरान यूँ तो घोटाले दर घोटालों के कई ऐतिहासिक रिकार्ड बनाए जो इस प्रदेश के राजनैतिक इतिहास में हुए गुलाबी कांड या बांस रायल्टी कांड या टाट पट्टी कांडों को भी पीछे छोड़ दिया यूँ तो दिग्विजय ङ्क्षसह के शासनकाल में तबादला उद्योग का समय आता था तो लाखों के वारे-न्यारे हो जाया करते थे और राजधानी के होटलों की स्थिति यह हुआ करती थी कि तबादला उद्योग से जुड़े लोग जब राजधानी में अपना पड़ाव डालते थे तो होटलों में जगह तक नहीं मिलती थी।

खैर, सत्ता पलटी राजनीति के दौर में बदलाव आया भाजपा जो अपने आपको अन्य पार्टियों की तुलना में चाल, चरित्र और चेहरे के साथ-साथ पार्टी विथ डिफरेंस होने का ढिंढोरा पीटती थी उनके इस तरह के ढिंढोरे की और कार्यप्रणाली को लोगों ने इन वर्षों में समझा तो पता चला कि जिस कांग्रेसी शासनकाल में कलेक्टरों के स्थानान्तरण में सत्ता के दलालों और तबादला उद्योग से जुड़े लोगों के बीच जो लेनदेन हुआ करता था उस तुलना में कहीं अधिक भाजपा सरकार में तबादला उद्योग और पदस्थापना पर आज अधिकारियों को अपने राजनेताओं की भेंट पूजा करनी पड़ती है,
तो वहीं अभी तक तो किसी जिले की कलेक्टरी पाने के लिए एक करोड़ रुपए का लेनदेन होने की चर्चाएं सुर्खियों में रहती थीं, तो वहीं हाल ही में हुई प्रदेश के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के मुख्य अभियंता की पदस्थापन के लिये हुए दो करोड़ के लेनदेन की चर्चा इन दिनों जो चर्चाओं में है उसे लेकर लोग यह सवाल खड़े करते नजर आ रहे हैं कि क्या सच में अब कलेक्टरी से ज्यादा भाजपा शासनकाल में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी के विभाग प्रमुख का पद कलेक्टरी से ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया जो इस पद को पाने वाले उम्मीदवार को पद पाने के लिये दो करोड़ रुपये भेंट करने पड़ते हैं,
हालांकि इस पद की पदस्थापना जिन मंत्री को करना था उन मंत्री और उनके पीए के बारे में भी तरह-तरह की चर्चाएं बुंदेलखण्ड से लेकर राजनीति तक व्याप्त हैं तो वहीं यह चर्चा भी इन दिनों लोग चटकारे लेकर करते नजर आ रहे हैं कि जो मंत्री अपने क्षेत्र में एक उपक्रम को अपने जिले में चलाने के लिये एक करोड़ रुपये कलेक्टर के माध्यम से लेने की बात कर सकती हैं तो क्या लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के मुख्य अभियंता की पदस्थापना पर दो करोड़ रुपये नहीं वसूलेे जा सकते हैं और शायद यही वजह है कि राजपूत जैसे होनहार कौर कमाऊपूत होनहार पीए उनके स्टाफ में हैं,
विभाग में राजपूत की कार्यप्रणाली को लेकर भी तरह-तरह की चर्चाएं व्याप्त हैं तो लोग यह कहते नजर आ रहे हैं कि राजपूत ने अपने मंत्री के आड़ में क्या-क्या कारनामे किये यदि उनकी जांच कराई जाए तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के उस दावे की कि भ्रष्टाचारियों को बक्शा नहीं जाएगा की पोल खुलती नजर आएगी, तो वहीं यह भी साफ नजर आएगा कि मुख्यमंत्री भले ही प्रदेश के भ्रष्ट अधिकारियों को बक्शा नहीं जाने का ढिंढोरा पीटे लेकिन उनके इस दावे की चेतावनी का असर राजपूत के कार्यकाल की यदि जांच कराई जाए
तो कतई मुख्यमंत्री का यह दावा सफल होता नजर नहीं आएगा और किसानों क आंसू बहाने और सरकार पलटने जैसी ताकत रखने वाली प्याज जिसे महंगी कीमत में खरीदकर कम कीमत में बेचने का जो खेल इस सरकार में चला और आखिरकार अधिकारियों ने जिस तरह से प्याज के छिलके निकालकर भ्रष्टाचार की सड़ी प्याज के नाम पर राह तलाशकर भ्रष्टाचार का जो खेल खेल रहे हैं
वह भी राजनूत के द्वारा कुसुम मेहदेले के सचिव होने के दौरान जो खेल खेले गये उन खेलों की पोल भी इन्हीं प्याज के छिलकों की तरह उतरती नजर आएगी हालांकि उनके इस तरह के भ्रष्टाचार के कारनामों की पोल हाल ही में न्यू मार्केट की सब्जी मण्डी में प्याज की दुकान पर खड़े होकर विभाग के एक कर्मचारी ने जिस तरह से एक प्याज की दुकान पर प्याज की तरह राजपूत के भ्रष्टाचार के छिलकों का सिलसिलेवार ब्यौरा दिया यदि उस पर विश्वास किया जाए तो सुश्री कुसुम मेहदेले के यहां कार्य करते हुए राजपूत ने क्या-क्या खेल खेले उन सब खेलों की यदि जांच कराई जाए तो सबकुछ साफ हो जाएगा
और यह बात भी साफ हो जाएगी कि राजपूत ने इस भाजपा सरकार के कार्यकाल में जहां एक आईएएस अधिकारी को एक जिले की कलेक्टरी लेने के लिए एक करोड़ रुपये के लेनदेन की चर्चा को भी आगे बढ़ाकर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के मुख्य अभियंता के पद की स्थापना पर दो करोड़ रुपये ले डाले, हालांकि इस लेनदेन में प्याज के छिलकों की तरह बंटवारे हुए यह जांच का विषय है। इस संबंध में मंत्री स्टाफ के उन लोगों का कहना है
जिन्होंने पीएचई विभाग के मुख्य अभियंता के दो करोड़ रुपये पद प्राप्ति के लिये दिये और उसकी पाई-पाई वसूलने का श्रीगणेश इस तबादला उद्योग के मौसम के दौरान राजपूत से मिलकर पीएचई विभाग में जिस तरह से मनमाने स्थानान्तरण किये उनमें काफी लेनदेन होने की चर्चा विभाग में लोग चटारे लेकर सुनाई दे रहे हैं तो वहीं ईएनसी और राजपूत के चलते बीच इस तबादले के खेल का जो रायता मंत्री के यहां पदस्थ अन्य अधिकारियों ने ढोला उसके किस्से भी लोग सिलसिलेवार बड़ेे ही चटकारे लेकर सुनाते नजर आ रहे हैं।
इन सब राजपूत और ईएनसी पीएचई के बीच चली सांठगांठ के चलते जो खेल तबदालों के नाम पर खेला गया उस सबकी चर्चा भी सिलसिलेवार प्याज के छिलकों की तरह विभाग के लोग सुनाते दिखाई देते हैं। खैर, मामला जो भी हो यह मुख्यमंत्री की अपनी कार्यप्रणाली है उसमें कलेक्टर की पदस्थापना पर एक करोड़ रुपये लिये जाते हैं या विभाग प्रमुख की स्थापना पर दो करोड़ यह तो अपना-अपना सौदा पटाने का तरीका है।
लेकिन यह जरूर है कि राजपूत के अपने कारनामों के चलते पीएचई विभाग के ईएनसी के पद प्राप्त करने के लेनदेन में जिस तरह की चर्चाएं चल रही हैं उससे तो यही नजर आता है कि आईएएस अधिकारियों के जिले की कलेक्टरी पाने के दामों से कहीं अधिक अब पीएचई विभाग के ईएनसी का पद महत्वपूर्ण होता दिखाई दे रहा है।

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