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Wednesday, August 9, 2017

मनोज श्रीवास्तव ने एंटोनी डिसा को पढ़ाया कानून का पाठ

पूर्व मुख्य सचिव एंटोनी डिसा
प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव

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आज से रियल इस्टेट रेगूलेशन ऑथरिटी (रेरा ) में रजिस्टे्रशन के बिना भी बिल्डर कर सकेंगे रजिस्ट्री

@रवीन्द्र जैन

मध्यप्रदेश के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी व वाणिज्यिक कर विभाग के प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव ने प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव एंटोनी डिसा को न केवल कानून का नया पाठ पढ़ा दिया है बल्कि डिसा के नियम विरूद्ध निर्देशों को भी दरकिनार कर दिया है। मनोज श्रीवास्तव ने लगभग 9 पेज की लंबी नोटशीट लिखकर प्रदेश के महानिरीक्षक पंजीयक को साफ कह दिया है कि रेरा के पास किसी प्रकार से रजिस्ट्री पर रोक लगाने के अधिकार नहीं है। श्रीवास्तव के इस निर्देश के बाद आज से पूरे प्रदेश में बिल्डर रेरा में रजिस्टे्रशन कराए बिना भी अपनी संपत्तियों की रजिस्ट्री कर सकेंगे।

मुख्य सचिव से रिटायर होने के बाद राज्य सरकार ने एंटोनी डिसा को रेरा का अध्यक्ष नियुक्त किया है। डिसा ने कानून को पढ़े बिना निर्देश जारी कर दिए कि प्रदेश में जो भी बिल्डर 31 जुलाई तक रेरा में अपना रजिस्टे्रशन नहीं कराएगा वह अपनी संपत्ति की रजिस्ट्री नहीं कर सकेगा। डीसा के इस निर्देश के बाद 1 अगस्त से पूरे प्रदेश में रजिस्ट्री पर लगभग रोक लग गई है।

बिल्डर और संपत्ति क्रय करने वाले भी हैरान परेशान थे। इस संबंध में कुछ जिला पंजीयक ने वाणिज्यिक कर प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव से संपर्क कर मार्गदर्शन मांगा। श्रीवास्तव ने सभी को पहले मौखिक रूप से निर्देश दिए कि रेरा को रजिस्ट्री रोकने का अधिकार नहीं है। इस आधार पर कुछ जिलों में रजिस्ट्रियां होने लगी। बताया जाता है कि महानिरीक्षक पंजीयक श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव ने इस संबंध में राज्य सरकार से स्पष्ट मार्गदर्शन मांगा।

प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव ने मंगलवार को लगभग 9 पेज की नोटशीट महानिरीक्षक को भेजी है। इस नोटशीट में एक दर्जन से अधिक कानूनों का हवाला दिया गया है। इसके अलावा हाईकोर्ट-सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लेख भी किया गया है। नोटशीट के अंतिम पैरा में साफ लिखा है कि रेरा को केवल पैनल्टी लगाने और बिल्डर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार है लेकिन रजिस्ट्री रोकने के निर्देश देने का अधिकार नहीं है।

पहले भी उलझ चुके है एंटोनी डिसा

ऐसा लगता है कि प्रदेश के मुख्य सचिव रहे एंटोनी डिसा को कानून की समझ कम है। यही कारण है कि जब वे प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव परिवहन थे तब भी उन्होंने परिवहन विभाग के भर्ती नियमों को बगैर कैबिनेट में मंजूर कराए अपने स्तर पर बदल दिए थे। इसे लेकर काफी बवाल मचा था। यह मामला व्यापमं घोटाले से भी जुड़ा और सीबीआई परिवहन आरक्षक भर्ती मामले में भर्ती नियम बदलने की भी जांच कर रही है।

(लेखक न्यूज वर्ल्ड चैनल के स्टेट हेड है)

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