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देश में क्रिकेटरों को तो भगवान का दर्जा मिल जाता है लेकिन अन्य खेलों से जुड़े खिलाड़ियों की हालत किसी से नहीं छुपी है. कोई सब्जी बेचता है, तो कोई चाय, लेकिन परिस्थितियों से लड़कर ये अन्य खेलों से खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया है और देश का नाम रोशन किया है. लेकिन इन सबके बावजूद भी न तो सरकार उनकी तरफ देखती है न ही जनता. कुछ ऐसा ही एक समय भारत को 2012 के ओलंपिक्स में सिल्वर मैडल जिताने वाले विजय कुमार के साथ हुआ है. विजय इस समय नौकरी की तलाश में हैं.
विजय का भारतीय सेना के साथ कमीशन फरवरी में पूरा हो गया था. हालांकि, ओलिंपिक गोल्ड क्वेस्ट उन्हें हथियार तो दे रहा है लेकिन ट्रेनिंग उन्हें अपने पैसों से करनी पड़ेगी, और यकीन मानिए शूटिंग में पैसा लगता है. विजय के पास इतना पैसा भी नहीं है कि वो अपनी ट्रेनिंग कर सके.
अंग्रेजी अखबार न्यू इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए उन्होंने कहा ‘मैंने कई लोगों से बात की है. मैंने राज्य सरकार के कई विभागों से भी बात की है, लेकिन कुछ भी नहीं हुआ.’ ये पहला मौका नहीं है जब कोई खिलाड़ी हालात की मार झेल रहा हो.
उन्होंने कहा ‘मैं अब फरीदाबाद में रहने लगा हूँ, ताकि शूटिंग सेंटर के पास रह सकूं. अगर हरियाणा सरकार मुझे नौकरी देती है तो मुझे काफी ख़ुशी होगी. मैं उनका प्रतिनिधत्व भी करूंगा.’
विजय कुमार के पीछे इस समय कोई नहीं है, ऐसे में नौकरी हासिल करना भी कोई आसान बात नहीं होगी. उन्हें अपनी प्रैक्टिस पर भी रोजाना 15 हजार रुपये खर्च करने होंगे. सेना से रिटायर होने के बाद जो पेंशन उन्हें मिल रही है, उससे उनका घर ही चल जाये वही बहुत है.
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