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Wednesday, September 6, 2017

राम रहीम हत्या कराने के बाद लाशे अपने बगीचे में दफनवा देता, कब्र पर पेड़

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मलोट। ये दावा किया है डेरा सच्चा सौदा से जुड़े भक्त साधु गुरदास सिंह तुर ने उन्होंने जो आरोप लगाए हैं गुरदास का दावा है कि डेरे के पास बाग-बगीचों में हत्याओं के कई राज दफन हैं।

अगर इसकी ठीक से जांच कराई जाए तो पेड़ों की जड़ों से कंकाल भी निकल सकते हैं। गुरदास ने कहा कि डेरा बाबा के इशारे पर कई मर्डर हुए। गुफा के पास बगीचे में जहां लाशें दफनाई गईं, बाद में वहीं पर पेड़-पौधे लगा दिए गए।

वर्ष 1996 में 2002 तक स्वयं को डेरे का साधु बताने वाले गुरदास ने बताया कि डेरे का पूर्व मैनेजर फकीरचंद अब भी लापता है। जिस कमरे में फकीरचंद रहता था उसको ढहा कर जमीन की करीब 6 फीट तक खुदाई 2009-10 में कराई गई थी। इसी तरह से राजू उर्फ दिनेश नाम का लड़का भी वर्ष 2006 से लापता है। वह डेरे के प्रशासनिक ब्लॉक के तत्कालीन मैनेजर इंद्र सेन का सहायक था। उसको साधु बना कर नपुंसक कर दिया गया था। उसकी एक बहन भी है जिसे साध्वी बनाया दिया।

फिर उसके नाम से डेरे के सभी साधुओं के नाम की पॉवर ऑफ अटार्नी भी ले ली गई थी। तब से वह लापता है। मेरे बारे में डेरा बाबा ने कोर्ट में बयान दिया था कि गुरदास सिंह तुर डेरे का साधु नहीं है लेकिन असलियत यही है कि मैं डेरा का साधु रहा हूं, लेकिन वर्ष 2002 के बाद से मैंने डेरे में जाना छोड़ दिया क्योंकि तब तक डेरे में आपत्तिजनक गतिविधियां शुरू हो गई थीं। मैंने डेरा छोड़ दिया तो नपुंसक होने से भी बच गया। मैं पुराने डेरे के पास सुखसागर कॉलोनी में रहता हूं।
गुरदास ने बताया कि उनके आसपास रहने वाले लोग भी तसदीक करते हैं कि वह डेरे का ही साधु था।

डेरे ने 240 साध्वियां कुछ महीने के लिए घर भेजीं

मीडिया के कुछ लोगों की तरफ से ये दावा किया गया था कि 125 साध्वियां डेरे से वापस आई हैं जबकि भास्कर डॉट कॉम की टीम ने इन साध्वियों के बारे में हकीकत जानने की कोशिश की तो पता चला कि 240 साध्वियों को डेरे की मैनेजमेंट कमेटी ने कुछ महीने के लिए घर भेज दिया है और माहौल ठीक होने तक इन्हें वापस डेरे में बुला लिया जाएगा।

इनमें दो साध्वियां लंबी हलके के एक गांव की हैं। दोनों सगी बहनें हैं और एक साध्वी मलोट की है।


पंजाब के लंबी-मलोट की 3 साध्वियों के परिवारों से बात

घर वालों की तरफ से साध्वियों को किसी से नहीं मिलने दिया जा रहा। उन्होंने बताया कि उनकी दोनों बेटियां डेरे में पिछले 25-30 साल से रह रही हैं। दोनों को 10वीं तक पढ़ाकर डेरे में भेज दिया था।
उन्होंने बताया कि वैसे तो डेरे की तरफ से इन्हें साध्वियों का पूरा खर्च दिया जाता था परंतु बहुत सी साध्वियों के घर वाले इन्हें अपने घर से पूरा खर्च भेजते थे।

एक साल में 70,000 से एक लाख रुपये तक इनके रहन-सहन खाने-पीने अन्य खर्च के लिए भेजे जाते थे।
डेरे मे मानवता भलाई फंड के तहत भी यह साध्वियां लाखों रुपये डेरे को दान देती थीं और इस परिवार ने भी दोनों साध्वियों के नाम 5 लाख रुपये डेरे को मानवता भलाई फंड के रूप में दिये थे।

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