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भागलपुर. सृजन की संस्थापक मनोरमा देवी अधिकारियों और कर्मियों को तो मालामाल करती ही थी उनके रिश्तेदारों के खाते में भी लाखों रुपये जमा करा देती थी। जिला कल्याण पदाधिकारी अरुण कुमार के घर दबिश के दौरान एसआइटी को इस बात की जानकारी मिली।
अरुण ने भी खुद इस बात को एसआइटी के समक्ष कबूल किया कि उसके बेटे और बहू के खाते में भी लाखों रुपये डाले गए हैं।
समय-समय पर किए करोड़ों ट्रांसफर:
मनोरमा देवी सृजन घोटाले में सहयोग करने वाले अधिकारियों और कर्मियों के पत्नियों और रिश्तेदारों का भी खाता नंबर अपने पास रखती थी। जब-जब विभिन्न विभागों के आवंटन का चेक सृजन के खाते में ट्रांसफर होता था तब-तब मनोरमा उपहार स्वरूप अधिकारियों को चार से पांच प्रतिशत तक कमीशन देती थी। इसके अलावा उनके व उनके रिश्तेदारों के खाते में लाखों रुपये जमा करवा देती थी। उन्होंने इंदू गुप्ता के विभिन्न बैंक खातों में करोड़ों रुपये जमा कराए थे। घोटाले में नाम आने पर एसआइटी ने बंधन बैंक में इंदू गुप्ता के डेढ़ करोड़ रुपये फ्रीज कराए दिए हैं।
जेवर खरीदने के लिए दिए पैसे:
कल्याण पदाधिकारी ने एसआइटी के समक्ष कबूल किया कि वर्ष 2016 में मनोरमा देवी ने उन्हें व उनकी बहू रोशनी को जेवर खरीदने के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा धानगदरा, गुजरात की शाखा में रुपये हस्तांतरित किए थे। जिसमें से बहू ने करीब दो लाख रुपये की ऑनलाइन शॉपिंग भी की थी। शेष रुपये खाते में सुरक्षित हैं।
वहीं, 2017 में करीब 75 लाख रुपये का चेक सरकारी खाते में जमा करने के बजाए सृजन के खाते में ट्रांसफर कर दिया। जिसके बाद मनोरमा ने कल्याण पदाधिकारी के छोटे पुत्र अविनाश कुमार के खाते में 19 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए।
पत्नी के नाम बनायी अकूत संपत्ति:
अरुण ने एसआइटी को बताया कि उसने मनोरमा के सहयोग से पत्नी के नाम से करोड़ों रुपये की संपत्ति बनाई है। डूडा साही कॉम्प्लेक्स बाकरगंज, पटना में एक दुकान करीब डेढ़ करोड़ रुपये की पत्नी के नाम से रजिस्ट्री कराई। दूसरी दुकान पत्नी को उपहार स्वरूप 75 लाख रुपये का डूडा साही कॉम्प्लेक्स में लिखवाया। शास्त्रीनगर पटना में तीन कट्ठा जमीन पत्नी के नाम से लिखवाया। इस जमीन की कीमत डेढ़ करोड़ से ज्यादा है। इसके लिए लाखों रुपये एडवांस भुगतान किए गए हैं।
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