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Wednesday, September 6, 2017

जेल में भी मुसीबत बना राम रहीम, धंधा ठप और कैदियों में रोष, जानिए क्यों?



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बाहर था तो मुसीबत था, जेल के अंदर जाकर भी राम रहीम मुसीबत का सबब बन गया है। बाबा के कारण सब कुछ ठप हो गया है और कैदियों में काफी रोष है। दरअसल, राम रहीम की सुरक्षा के चक्कर में सुनारिया जेल के सारे धंधे 'ठप' हो गए हैं।

जेल में डेरामुखी के आने के बाद कैदियों से कोई भी काम नहीं कराया जा रहा है। इस कारण जेल में न तो कोई पेंटिंग तैयार की जा रही और न ही सिलाई केन्द्र में महिला कैदी पहुंच रही है। कैदियों को दिन भर बैरक के अंदर ही बंद रखा जा रहा है।

जेल में होते थे ये काम
प्रदेश सरकार के निर्देश पर जेल में अभी तक सिलाई केंद्र, हथकरघा व कड़ाई केंद्र, आरा मशीन, वुडन प्लेनर, कंबल बनाने का केंद्र, बुनाई, जिल्दसाजी, स्क्रीन प्रिंटिंग सहित अन्य केन्द्र चलाए जा रहे थे।

इसके अलावा कैदियों को कपड़ा, गमला, साबुन बनाने का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा था। इसके अलाव कैदियों के मनोरंजन के लिए भी जेल में कबड्डी, बास्केटबाल, वॉलीबाल, बैडमिंटन खेलने की जगह है।

काम के बिना कैदियों को नहीं मिल रही मजदूरी

प्रदेश सरकार के निर्देश पर जेल प्रशासन द्वारा कैदियों को आत्मनिर्भर बनाने और बाहर जाने के बाद कैदी अपराध छुड़ाने के लिए सभी काम शुरू किये गये थे। ताकि वह खुद का कामकाज करके जीवन बिता सके।

जेल के अंदर इन्हीं काम को करके कैदी को मजदूरी दी जाती है। मगर अब कैदियों को कुछ भी मजदूरी नहीं मिल रही है। सबसे ज्यादा प्रभावित गरीब तबके से आने वाले कैदी हो रहे है। उन्हें न तो परिवार की तरफ से रुपये पहुंचाए जाते हैं और अब न जेल में मजदूरी के रुपये मिल रहे हैं।

कैदी की मानसिकता पर पड़ता है नकारात्मक प्रभाव
मामले में जब एमडीयू की मनोवैज्ञानिक प्रो प्रोमिला बत्रा का कहना है कि कैदियों की मानसिकता को सही दिशा में करने के लिहाज से भी जेल में ऐसे कार्य शुरू किये जाते है। ताकि कैदियों का दिमाग अपराध की ओर दुबारा न जाये।

काम के अचानक बंद होने से निश्चित तौर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। लेकिन शारीरिक मेहनत के बाद दो तीन दिन का आराम भी सभी को अच्छा लगता है। बशर्ते वह एक सीमा तक हो, नहीं तो कैदी के अंदर चिड़चिड़ा पन आने की संभावना बन जाती है।

न कोई क्विज कंपटीशन हुआ न सांस्कृतिक कार्यक्रम

हालात को देखते हुए जेल में राम रहीम के आने के बाद न तो कोई क्विज कंपटीशन हुआ न सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इतना ही नहीं यहां पर कैदियों को संगीत भी सिखाया जा रहा था। मगर अब वह भी बंद हो गया है।

हाल ही में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत महिला कैदियों के लिए जेल में सिलाई सेंटर शुरू किया गया था। इसके तहत इस सिलाई सेंटर में जो महिला बंदी डिप्लोमा लेगी, उसे सरकारी नौकरी भी मिल सकती है और उसे पांच लाख रुपये तक का लोन भी मिलेगा।

इसमें छह माह काम सीखने के बाद डिप्लोमा मिलना था। यहां पेंटिंग बनाने में कुशल कैदियों ने शहीद सरदार भगत सिंह, नेताजी सुभाष चंद्र बोस के अलावा अन्य स्वतंत्रता सेनानियों की पेंटिंग बना रखी है। यह सभी जेल की दीवारों पर लगी है।

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