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Monday, December 25, 2017

पटवारी को भी तीन साल की कैद, 1.40 लाख का जुर्माना, भूमि के रिकार्ड में किया था हेरफेर

छतरपुर न्यायालय ने सेवानिवृत्त डिप्टी कलेक्टर को भेजा जेल, एक लाख का जुर्माना

Represnt By - TOC NEWS
रवि गुप्ता। भोपाल

अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन नगरी खजुरहो स्थित बेशकीमती भूमि के रिकॉर्ड में हेरफेर करने के मामले में छतरपुर कोर्ट ने अपना अद्वितीय फैसला सुनाया है। प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश आर. के. गुप्ता की न्यायालय ने तत्कालीन तहसीलदार एवं सेवानिवृत्त डिप्टी कलेक्टर और पटवारी को दोषी ठहराया है। न्यायालय ने दोनो आरोपियों को 3-3 साल की कठोर कैद के साथ 2.40 लाख रुपए के जुर्माना की सजा सुनाई।

उल्लेखनीय है कि तत्कालीन छतरपुर सीजेएम डी. पी. मिश्रा ने 10 जनवरी 2011 को उक्त मामले में फैसला सुनाते हुए सुखनंदन पटवारी को धारा 420 आईपीसी में 5 साल की कैद, 20 हजार रुपए जुर्माना तथा सुखनंदन और डीआर महेश्वर को धारा 467 में 7-7 साल की कैद के साथ 20-20 हजार रुपए के जुर्माना की सजा सुनाई थी। जिसकी अपील ऊपर के न्यायालय में की गई। जिसमें भी सजा कम करते हुए जुर्माना बढ़ाकर दोषी ठहराकर सजा सुनाई है। उक्त जानकारी छतरपुर न्यायालय के युवा एडवोकेट लखन राजपूत ने मीडिया को दी है।

कलेक्टर ने दर्ज करवाई थी एफआईआर
एडवोकेट लखन राजपूत ने बताया कि तत्कालीन कलेक्टर के समक्ष इस संबंध की शिकायत होने पर कलेक्टर ने तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी राजनगर नईमुद्दीन खान को जॉच के लिए शिकायत सौपी। जांच उपरांत श्री खान ने जांच प्रतिवेदन थाना खजुराहो में भेजकर डीआर महेश्वर और सुखनंदन चतुर्वेदी के खिलाफ फर्जीवाड़ा का मामला वर्ष 1992 में दर्ज कराया।

फैसला सुनाया और भेज दिया जेल
एडवोकेट लखन राजपूत ने बताया कि सुखनंदन पटवारी एवं डी. आर. महेश्वर ने सीजेएम के फैसले के खिलाफ  अपील सत्र न्यायालय में पेश की थी। एजीपी. अरुण देव खरे ने अभियोजन की ओर से कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष रखा। प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश आर. के. गुप्ता की अदालत ने शुक्रवार को अंतिम फैसला सुनाया। श्री गुप्ता की कोर्ट ने अपील खारिज कर दी। कोर्ट ने कारावास की सजा कम करते हुए जुर्माना की राशि बढ़ाकर सजा दी। सुखनंदन पटवारी को आईपीसी की धारा 420 में तीन साल की कठोर कैद, 40 हजार रुपए जुर्माना की सजा दी। साथ ही सुखनंदन और तत्कालीन तहसीलदार डीआर महेश्वर को आईपीसी की धारा 467 में 3-3 साल की कठोर कैद के साथ एक-एक लाख रुपए जुर्माना की सजा सुनाई। श्री गुप्ता की कोर्ट ने फैसले के बाद डीआर महेश्वर को जेल भेज दिया।

क्या था मामला
एडवोकेट लखन राजपूत ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन नगरी खजुराहो में स्थित खसरा नम्बर 1768/4 रकवा 1.092 हेक्टेयर भूमि मध्य प्रदेश शासन मेला मैदान के नाम से सरकारी रिकॉर्ड मे दर्ज थी। इस भूमि की प्रविष्टि तत्कालीन पटवारी शिवराम पाल ने की अपने कार्यकाल में की थी। 22 जनवरी 1989 को पटवार शिवराम ने सुखनंदन चतुर्वेदी पटवारी को चार्ज सौपा था। सुखनंदन ने खसरा पंचशाला में उक्त भूमि का रकवा 1.092 हेक्टेयर के स्थान पर रकवा 0.930 हेक्टेयर फर्जी रुप से दर्ज किया। और 1768/3 जो बैजनाथ गुप्ता के नाम पर दर्ज थी उसके स्थान पर अलग से प्रविष्टि कर 1768/3क, 1768/3ख रकवा 0.162 हेक्टेयर भूमि महाराज भवानीसिंह पुत्र विश्वनाथ सिंह के नाम दर्ज करके महाराज भवानी सिंह को भूमि स्वामी का हक दिया। तत्कालीन तहसीलदार डी. आर. महेश्वर निवासी विजय नगर, इंदौर ने सुखनंदन पटवारी द्वारा की गई फर्जी प्रविष्टि को 30 मई 1990 को प्रमाणित किया और बाद में अपना आदेश बदल कर मूल रजिस्ट्री प्रमाणीकरण के लिए पेश हो, ऐसा लिखकर दस्तावेज की कूटरचना की।

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