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Thursday, December 21, 2017

भारत के घोटालों की सूची (वर्ष के अनुसार)

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आजादी से अब तक देश में काफी बड़े घोटालों का इतिहास रहा है। नीचे भारत में हुए बड़े घोटालों का संक्षिप्त विवरण दिया गया है-

जीप खरीदी (१९४८)

आजादी के बाद भारत सरकार ने एक लंदन की कंपनी से २००० जीपों को सौदा किया। सौदा ८० लाख रुपये का था। लेकिन केवल १५५ जीप ही मिल पाई। घोटाले में ब्रिटेन में मौजूद तत्कालीन भारतीय उच्चायुक्त वी.के. कृष्ण मेनन का हाथ होने की बात सामने आई। लेकिन १९५५ में केस बंद कर दिया गया। जल्द ही मेनन नेहरु केबिनेट में शामिल हो गए।

साइकिल आयात (१९५१)

तत्कालीन वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के सेकरेटरी एस.ए. वेंकटरमन ने एक कंपनी को साइकिल आयात कोटा दिए जाने के बदले में रिश्वत ली। इसके लिए उन्हें जेल जाना पड़ा।

मुंध्रा मैस (१९५८)

हरिदास मुंध्रा द्वारा स्थापित छह कंपनियों में लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के १.२ करोड़ रुपये से संबंधित मामला उजागर हुआ। इसमें तत्कालीन वित्त मंत्री टीटी कृष्णामचारी, वित्त सचिव एच.एम.पटेल, एलआईसी चेयरमैन एल एस वैद्ययानाथन का नाम आया। कृष्णामचारी को इस्तीफा देना पड़ा और मुंध्रा को जेल जाना पड़ा।

तेजा ऋण

१९६० में एक बिजनेसमैन धर्म तेजा ने एक शिपिंग कंपनी शुरू करने केलिए सरकार से २२ करोड़ रुपये का लोन लिया। लेकिन बाद में धनराशि को देश से बाहर भेज दिया। उन्हें यूरोप में गिरफ्तार किया गया और छह साल की कैद हुई।

पटनायक मामला

१९६५ में उड़ीसा के मुख्यमंत्री बीजू पटनायक को इस्तीफा देने केलिए मजबूर किया गया। उन पर अपनी निजी स्वामित्व कंपनी 'कलिंग ट्यूब्स' को एक सरकारी कांट्रेक्ट दिलाने केलिए मदद करने का आरोप था।

मारुति घोटाला

मारुति कंपनी बनने से पहले यहां एक घोटाला हुआ जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का नाम आया। मामले में पेसेंजर कार बनाने का लाइसेंस देने के लिए संजय गांधी की मदद की गई थी।

कुओ ऑयल डील

१९७६ में तेल के गिरते दामों के मददेनजर इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने हांग कांग की एक फर्जी कंपनी से ऑयल डील की। इसमें भारत सरकार को १३ करोड़ का चूना लगा। माना गया इस घपले में इंदिरा और संजय गांधी का भी हाथ है।

अंतुले ट्रस्ट

१९८१ में महाराष्ट्र में सीमेंट घोटाला हुआ। तत्कालीन महाराष्ट्र मुख्यमंत्री एआर अंतुले पर आरोप लगा कि वह लोगों के कल्याण के लिए प्रयोग किए जाने वाला सीमेंट, प्राइवेट बिल्डर्स को दे रहे हैं।

एचडीडब्लू दलाली (१९८७)

जर्मनी की पनडुब्बी निर्मित करने वाले कंपनी एचडीडब्लू को काली सूची में डाल दिया गया। मामला था कि उसने २० करोड़ रुपये बैतोर कमिशन दिए हैं। २००५ में केस बंद कर दिया गया। फैसला एचडीडब्लू के पक्ष में रहा।

बोफोर्स घोटाला 

१९८७ में एक स्वीडन की कंपनी बोफोर्स एबी से रिश्वत लेने के मामले में राजीव गांधी समेत कई बेड़ नेता फंसे। मामला था कि भारतीय १५५ मिमी. के फील्ड हॉवीत्जर के बोली में नेताओं ने करीब ६४ करोड़ रुपये का घपला किया है।

सिक्योरिटी स्कैम (हर्षद मेहता कांड)

१९९२ में हर्षद मेहता ने धोखाधाड़ी से बैंको का पैसा स्टॉक मार्केट में निवेश कर दिया, जिससे स्टॉक मार्केट को करीब ५००० करोड़ रुपये का घाटा हुआ।

इंडियन बैंक

१९९२ में बैंक से छोटे कॉरपोरेट और एक्सपोटर्स ने बैंक से करीब १३००० करोड़ रुपये उधार लिए। ये धनराशि उन्होंने कभी नहीं लौटाई। उस वक्त बैंक के चेयरमैन एम. गोपालाकृष्णन थे।

चारा घोटाला 

१९९६ में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और अन्य नेताओं ने राज्य के पशु पालन विभाग को लेकर धोखाबाजी से लिए गए ९५० करोड़ रुपये कथित रूप से निगल लिए।

तहलका

इस ऑनलाइन न्यूज पॉर्टल ने स्टिंग ऑपरेशन के जारिए ऑर्मी ऑफिसर और राजनेताओं को रिश्वत लेते हुए पकड़ा। यह बात सामने आई कि सरकार द्वारा की गई १५ डिफेंस डील में काफी घपलेबाजी हुई है और इजराइल से की जाने वाली बारक मिसाइल डीलभी इसमें से एक है।

स्टॉक मार्केट

स्टॉक ब्रोकर केतन पारीख ने स्टॉक मार्केट में १,१५,००० करोड़ रुपये का घोटाला किया। दिसंबर, २००२ में इन्हें गिरफ्तार किया गया।

स्टांप पेपर स्कैम

यह करोड़ो रुपये के फर्जी स्टांप पेपर का घोटाला था। इस रैकट को चलाने वाला मास्टरमाइंड अब्दुल करीम तेलगी था।

सत्यम घोटाला

२००८ में देश की चौथी बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी सत्यम कंप्यूटर्स के संस्थापक अध्यक्ष रामलिंगा राजू द्वारा ८००० करोड़ रूपये का घोटाले का मामला सामने आया। राजू ने माना कि पिछले सात वर्षों से उसने कंपनी के खातों में हेरा फेरी की।

मनी लांडरिंग

२००९ में मधु कोड़ा को चार हजार करोड़ रुपये की मनी लांडरिंग का दोषी पाया गया। मधु कोड़ा की इस संपत्ति में हॉटल्स, तीन कंपनियां, कलकत्ता में प्रॉपर्टी, थाइलैंड में एक हॉटल और लाइबेरिया ने कोयले की खान शामिल थी।


बोफर्स घोटाला- ६४ करोड़ रु.

मामला दर्ज हुआ - २२ जनवरी १९९०

सजा - किसी को नहीं

वसूली - शून्य

एच.डी. डब्ल्यू सबमरीन- ३२ करोड़ रु.

मामला दर्ज हुआ - ५ मार्च १९९०

(सीबीआई ने अब मामला बंद करने की अनुमति मांगी है।)

सजा - किसी को नहीं

वसूली - शून्य

(१९८१ में जर्मनी से ४ सबमरीन खरीदने के ४६५ करोड़ रु. इस मामले में १९८७ तक सिर्फ २ सबमरीन आयीं, रक्षा सौदे से जुड़े लोगों द्वारा लगभग ३२ करोड़ रु. की कमीशनखोरी की बात स्पष्ट हुई।)

स्टाक मार्केट घोटाला- ४१०० करोड़ रु.

मामला दर्ज हुआ - १९९२ से १९९७ के बीच ७२

सजा - हर्षद मेहता (सजा के १ साल बाद मौत) सहित कुल ४ को

वसूली - शून्य

(हर्षद मेहता द्वारा किए गए इस घोटाले में लुटे बैंकों और निवेशकों की भरपाई करने के लिए सरकार ने ६६२५ करोड़ रुपए दिए, जिसका बोझ भी करदाताओं पर पड़ा।)

एयरबस घोटाला- १२० करोड़ रु.

मामला दर्ज हुआ - ३ मार्च १९९०

सजा - अब तक किसी को नहीं

वसूली - शून्य

(फ्रांस से बोइंग ७५७ की खरीद का सौदा अभी भी अधर में, पैसा वापस नहीं आया)

चारा घोटाला- ९५० करोड़ रुपए

मामला दर्ज हुआ - १९९६ से अब तक कुल ६४

सजा - सिर्फ एक सरकारी कर्मचारी को

वसूली - शून्य

(इस मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव हालांकि ६ बार जेल जा चुके हैं)

दूरसंचार घोटाला-१२०० करोड़ रुपए

मामला दर्ज हुआ - १९९६

सजा - एक को, वह भी उच्च न्यायालय में अपील के कारण लंबित

वसूली - ५.३६ करोड़ रुपए

(तत्कालीन दूरसंचार मंत्री सुखराम द्वारा किए गए इस घोटाले में छापे के दौरान उनके पास से ५.३६ करोड़ रुपए नगद मिले थे, जो जब्त हैं। पर गाजियाबाद में घर (१.२ करोड़ रु.), आभूषण (लगभग १० करोड़ रुपए) बैंकों में जमा (५ लाख रु.) शिमला और मण्डी में घर सहित सब कुछ वैसा का वैसा ही रहा। सूत्रों के अनुसार सुखराम के पास उनके ज्ञात स्रोतों से ६०० गुना अधिक सम्पत्ति मिली थी।)

यूरिया घोटाला- १३३ करोड़ रुपए

मामला दर्ज हुआ - २६ मई १९९६

सजा - अब तक किसी को नहीं

वसूली - शून्य

(प्रधानमंत्री नरसिंहराव के करीबी नेशनल फर्टीलाइजर के प्रबंध निदेशक सी.एस.रामाकृष्णन ने यूरिया आयात के लिए पैसे दिए, जो कभी नहीं आया।)

सी.आर.बी- १०३० करोड़ रुपए

मामला दर्ज हुआ - २० मई १९९७

सजा - किसी को नहीं

वसूली - शून्य

(चैन रूप भंसाली (सीआरबी) ने १ लाख निवेशकों का लगभग १ हजार ३० करोड़ रु. डुबाया और अब वह न्यायालय में अपील कर स्वयं अपनी पुर्नस्थापना के लिए सरकार से ही पैकेज मांग रहा है।)

केपी- ३२०० करोड़ रुपए

मामला दर्ज हुआ - २००१ में ३ मामले

सजा - अब तक नहीं

वसूली - शून्य

(हर्षद मेहता की तरह केतन पारेख ने बैंकों और स्टाक मार्केट के जरिए निवेशकों को चूना लगाया।)


2011

  • हसन अलि खान घोटाला
  • दैवास एन्ट्रीक्स सौदा काण्ड
  • नकद पैसे से वोट काण्ड

2010

  • २जी स्पेक्ट्रम घोटाला
  • आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाला
  • कॉमनवेल्थ खेल घोटाला
  • २०१० हाउसिंग लोन घोटाला मुम्बई
  • बेलेकेरी पोर्ट घोटाला

2009

  • झारखण्ड चिकित्सालय धन काण्ड
  • चावल निर्यात घोटाला
  • ओडिया खदान घोटाला
  • मधु कोडा खदान घोटाला

2008

  • हसन अली ख़ान टैक्स चोरी मामला 
  • सत्यम घोटाला

2003

  • ताज कॉरीडोर काण्ड

2001

  • केतन पारेख सुरक्षा घोटाला

1997

  • सुखराम टेलीकॉम घोटाला
  • एसएनली काण्ड

1996

  • चारा घोटाला

1992

  • हर्षद मेहता सुरक्षा घोटाला

इस लेख की सामग्री पुरानी है। कृपया इस लेख को नयी मिली जानकारी अथवा नयी घटनाओं की जानकारी जोड़कर बेहतर बनाने में मदद करें।

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