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Monday, December 4, 2017

कुछ भाषणों को खुद भुलाना चाहेंगे राहुल गांधी

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राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बन रहे हैं. पिछले कुछ समय में उनके ट्वीट और भाषण आश्चर्यजनक रूप से सुधरे हैं. उनके वन लाइनर को काटने के लिए कई बार विरोधी पार्टी के कई मंत्रियों को उतरना पड़ता है.

इन सबके बाद भी राहुल गांधी के कुछ पुराने वीडियो और भाषण हैं जिनसे वो अब पीछा छुड़ाना चाहेंगे. नए, बदले और बेहतर राहुल गांधी के दौर में उनके कई ऐसे भाषण हैं जो उनके पीछे लंबे समय तक पड़े रहे. 
कुछ भाषणों में बोलने की सामान्य गड़बड़ियां थीं. मसलन उनका कहना कि गुजरात में हर एक में से दो बच्चा कुपोषण का शिकार है. तो कुछ में सामान्य राजनीतिक समझ की कमी. जैसे दलितों के उत्थान पर बोल रहे राहुल ने ज्यूपिटर की एस्केप वेलोसिटी की जरूरत बताई थी. राहुल जो कहना और समझाना चाहते थे उसमें कोई गलती नहीं थी, मगर आम जनता के मुद्दे को रॉकेट साइंस बना देना भारत जैसे देश में तो समझदारी नहीं कहा जाएगा. 
इसी तरह राहुल गांधी ने बंगलुरू के एक स्कूल में जब छात्राओं से स्वच्छ भारत और मेक इन इंडिया पर सवाल पूछे थे तो लड़कियों ने उल्टे जवाब दिए थे. जिसके बाद ये खबर कई जगह सुर्खियों में रही थी. 
कांग्रेस का हाथ हर धर्म के साथ, चुनाव चिन्ह की ऐसी दार्शनिक व्याख्या आपने पहले कभी नहीं सुनी होगी. हालांकि राहुल शायद भूल गए थे कि हाथ का पंजा हमेशा से कांग्रेस का चुनाव चिन्ह नहीं था. 
इसी तरह राहुल गांधी ने बंगलुरू के एक स्कूल में जब छात्राओं से स्वच्छ भारत और मेक इन इंडिया पर सवाल पूछे थे तो लड़कियों ने उल्टे जवाब दिए थे. जिसके बाद ये खबर कई जगह सुर्खियों में रही थी.
कांग्रेस का हाथ हर धर्म के साथ, चुनाव चिन्ह की ऐसी दार्शनिक व्याख्या आपने पहले कभी नहीं सुनी होगी. हालांकि राहुल शायद भूल गए थे कि हाथ का पंजा हमेशा से कांग्रेस का चुनाव चिन्ह नहीं था. 

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