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Thursday, December 21, 2017

पैकेज्ड प्रॉडक्ट्स पर MRP से ज्यादा वसूल सकते है होटल-रेस्ट्रोरेन्स : सुप्रीम कोर्ट...?


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*नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि होटलों और रेस्टोरेंट्स को बोतलबंद मिनरल वॉटर या अन्य पैकेज्ड प्रॉडक्ट्स को MRP  पर बेचने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।*

*अदालत के मुताबिक, होटल और रेस्टोरेंट्स  सर्विस देते हैं और उन्हें लीगल मिट्रॉलजी एक्ट के तहत नहीं चलाया जा सकता। होटल एंड रेस्टोरेंट्स एसोसिएशंस ऑफ इंडिया (एफएचआरएआई) बनाम केंद्र सरकार मामले में कोर्ट ने यह फैसला दिया है।*

एफएचआरएआइ ने इस सिलसिले में स्पेशल लीव पटीशन दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि होटल और रेस्तरां फूड और ड्रिंक्स सर्व करते हैं, वे सर्विस देते हैं और यह कंपोजिट बिलिंग के साथ मिला-जुला ट्रांजेक्शन है और इन इकाइयों पर एमआरपी रेट के लिए दबाव नहीं डाला जा सकता।

खबरों के मुताबिक, सरकार ने एफएचआरएआई के खिलाफ अपने हलफनामे में कहा था कि होटलों और रेस्टोरेंट्स में प्री पैकेज्ड प्रॉडक्ट्स के लिए एमआरपी रेट से ज्यादा चार्ज लेना लीगल मीटरोलॉजी एक्ट के तहत अपराध है

और मिनरल वॉटर को एमआरपी पर बेचने पर होटलों और रेस्तराओं के मैनेजमेंट स्टाफ को जेल और जुर्माना हो सकता है। सुनवाई के दौरान मौजूद एक वकील ने बताया कि कोर्ट ने कहा कि होटलों और रेस्टोरेंट्स में कई और सर्विस दी जाती हैं।

 एमआरपी के उल्लंघन के लिए कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती। अधिकारियों ने पुराने स्टैंडड्र्स ऑफ वेट्स ऐंड मेजर्स एक्ट के तहत होटलों और रेस्टोरेंट्स के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी थी। उनका कहना था कि होटलों और रेस्तराओं को मिनरल वॉटर जैसे प्रॉडक्ट्स पर एमआरपी के हिसाब से पैसा लेना चाहिए। एफएचआरएआई ने इस सिलसिले में इस नियम के तहत भेजे गए नोटिस को एक जनहित याचिका के जरिए दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।

दिल्ली हाई कोर्ट की सिंगल जज बेंच ने कहा था कि होटल और रेस्तराओं में बोतलबंद पानी पर एमआरपी से ज्यादा चार्ज वसूलना स्टैंडड्र्स ऑफ वेट ऐंड मेजर्स एक्ट के प्रावधानों का उल्लंघन नहीं है क्योंकि इसे होटल या रेस्तरां द्वारा अपने ग्राहकों को कमोडिटीज की बिक्री या ट्रांसफर नहीं माना जा सकता। इस मामले को खत्म कर दिया गया क्योंकि कोर्ट ने कहा था कि संबंधित पक्ष नए कानून को समझकर इस बात का जायजा ले सकते हैं कि क्या इसे गलत तरीके से लागू किया किया जा रहा है। इस सिलसिले में मंगलवार का फैसला एफएचआरएआई की तरफ से केंद्र सरकार के खिलाफ दायर स्पेशल लीव पटीशन पर आधारित था।

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