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Sunday, March 25, 2018

मेडिकल सर्विस कारपोरेशन के महाप्रबंधक वीरेंद्र जैन को एसीबी की टीम ने एक लाख 15 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया

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राजधानी रायपुर में एसीबी की टीम ने आज एक बड़ी कार्रवाई की है। एसीबी की टीम ने घूस लेते मेडिकल सर्विस कारपोरेशन के एक बड़े अधिकारी को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया है। ये कार्रवाई आज शाम की है। मिली जानकारी के मुताबिक मेडिकल सर्विस कारपोरेशन के महाप्रबंधक वीरेंद्र जैन को एसीबी की टीम ने एक लाख 15 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है। 


सीजीएमएससी छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन का जीएम वीरेंद्र जैन एक दवा सप्लायर से एक लाख 15 हजार रिश्वत लेते पकड़ा गया। उसने दवा कारोबारी को कलर्स मॉल की पार्किंग में रिश्वत के पैसे लेकर बुलवाया था। पैसों का लेन-देन होते ही एंटी करप्शन ब्यूरो एसीबी की टीम ने उसे पकड़ लिया।

एसीबी के एसपी मनीष शर्मा ने बताया कि वीरेंद्र जैन संविदा में है। दवाओं के तकनीकी परीक्षण से लेकर वर्क आर्डर जारी करने और भुगतान से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी वही देख रहा था। वासुदेव इंटरप्राइजेस ने दिसंबर में 2 करोड़ की दवा सप्लाई की थी। दवा का पेमेंट अभी तक नहीं मिला था। 

इंटरप्राइजेस के संचालक आकाश मिश्रा कई बार उससे पेमेंट रिलीज करने के लिए मिल चुके थे। वीरेंद्र जैन कोई न कोई तकनीकी त्रुटि बताकर उनका भुगतान रोक रहा था। पिछले दिनों उसने तीन लाख रिश्वत मांगी। उसकी पहली किश्त के रूप में एक लाख पंद्रह हजार लेना तय हुआ। आकाश मिश्रा ने रिश्वत के संबंध में एसीबी से शिकायत की।

अफसरों ने शिकायत की पुष्टि के लिए जांच की। आकाश को टेप दिया। उसने वीरेंद्र जैन से बातचीत रिकार्ड की। रिकार्डिंग सुनने के बाद ही मैनेजर को रंगे हाथों पकड़ने का प्लान बनाया गया। गौरतलब है कि राज्य के सभी मेडिकल कॉलेज से लेकर जिला अस्पतालों तक दवाओं की सप्लाई सीजीएमएससी के माध्यम से ही की जाती है। करोड़ों की दवाओं की खरीदी से संबंधित सारे फैसले एजेंसी ही करती है। इसमें ज्यादातर अफसर या तो प्रतिनियुक्ति पर हैं या संविदा पर। 

वीरेंद्र ने पैसे देने के लिए ऑफिस नहीं बुलाया। उसने बड़ी चालाकी से आकाश को पचपेढ़ीनाका के पास स्थित कलर्स मॉल की पार्किंग में बुलवाया। वह पहले से पहुंच चुका था। अपनी गाड़ी से थोड़ी दूर रहका उसने आकाश को फोन किया। आकाश ने केमिकल मिलाए हुए पैसे एक लिफाफे में रखे थे। उसने पहुंचते ही वीरेंद्र को पैसों का लिफाफा दे दिया। उसी समय थोड़ी दूर पर मौजूद डीएसपी परिहार और उनकी टीम ने वीरेंद्र को घेरकर पकड़ लिया। उसने थोड़ा विरोध किया लेकिन अफसरों की घेरेबंदी के कारण कुछ नहीं कर सका। 

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