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Sunday, April 29, 2018

अंजली वर्मा ने मारी बाजी, 96.33% अंक पाकर प्रदेश में हाईस्कूल टॉपर

यूपी बोर्ड की हाईस्कूल परीक्षा में 96.33% अंक पाकर पूरे प्रदेश में टॉप करने वाली अंजलि वर्मा साइंटिस्ट बनना चाहती है। अंजलि ने गणित में 100, अंग्रेजी व विज्ञान में 99-99, ड्रॉइंग में 98 और हिन्दी में 92 अंक हासिल किए हैं। अम्बेडकरनगर की मूल निवासी अंजलि के पिता आसाराम वर्मा एक किसान हैं और मां चक्रवती अम्बेडकरनगर के ही प्राथमिक विद्यालय भारी डीह टांडा में प्रधानाध्यापिका के पद पर कार्यरत हैं।
अंजलि की बड़ी बहन दीक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय में बीए तृतीय वर्ष की छात्रा है जबकि छोटा भाई आदर्श कक्षा चार में पढ़ रहा है। अंजलि के टॉप करने की सूचना मिलने के बाद स्कूल प्रबंधन ने ढोल-नगाड़ा बजवाकर खुशी का इजहार किया। पूरे स्कूल में जश्न का माहौल रहा। पेश है अंजलि से बातचीत के प्रमुख अंश-
प्रश्न: पूरे यूपी में आपने टॉप किया है। क्या इतनी बड़ी उपलब्धि की कल्पना की थी।
उत्तर: पूरे साल मेहनत से पढ़ाई की थी। स्कूल के शिक्षकों ने भी काफी मेहनत की। कई बार टेस्ट कराया गया। प्री-बोर्ड एग्जाम भी लिया गया। सबमें मुझे अच्छे नंबर मिले थे। अच्छे नंबर से पास होने की उम्मीद तो थी लेकिन पूरे प्रदेश में टॉप करूंगी ये नहीं सोचा था।
प्रश्न: पढ़-लिखकर क्या बनना चाहेंगी। आगे की क्या योजना है।
उत्तर: मेरा सपना साइंटिस्ट बनने का है। इसलिए विज्ञान वर्ग से पढ़ाई कर रही हूं। 12वीं के बाद इंजीनियरिंग में दाखिला लूंगी और फिर विज्ञान के क्षेत्र में नये अविष्कार करने का सपना है। मेरे प्रेरणा स्रोत पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम हैं।
प्रश्न: आपका सबसे पसंदीदा विषय कौन सा है। बोर्ड परीक्षा की तैयारी कैसे की।
उत्तर: मेरा पसंदीदा विषय गणित है जिसमें मुझे 100 में से पूरे 100 नंबर मिले हैं। मैं प्रतिदिन घर पर 6 से 7 घंटे पढ़ाई करती थी। इनमें से दो घंटे गणित और बाकी समय अन्य विषयों के लिए देती थी। मैंने हमेशा लिख-लिखकर पढ़ाई की जिसने मुझे सर्वश्रेष्ठ नंबर हासिल करने में मदद की।
प्रश्न: क्या स्कूल के अलावा ट्यूशन का भी सहारा लेना पड़ा।
उत्तर: मेरा मानना है कि स्कूल में यदि ठीक से पढ़ाई करें तो ट्यूशन की आवश्यकता नहीं है। मैं नियमित रूप से स्कूल जाती थी, कभी क्लास नहीं छोड़ी। शिक्षक भी मेहनत से पढ़ाते थे। जो भी स्कूल में पढ़ाया जाता था उसे घर पर जरूर दोहराती थी। इसलिए कभी ट्यूशन की आवश्यकता महसूस नहीं हुई।
प्रश्न: अपनी सफलता का श्रेय किसे देंगी।
उत्तर: मैं अपनी सफलता का श्रेय अपने स्कूल के शिक्षकों और अभिभावकों को देना चाहूंगी। उनकी मदद के बगैर यह उपलब्धि संभव नहीं थी। प्रधानाचार्या रजनी शर्मा, प्रबंधक रणजीत सिंह सर ने हमेशा मदद की।
डिप्टी सीएम ने मोबाइल पर दी अंजली को बधाई
अंजलि वर्मा को उपमुख्यमंत्री और माध्यमिक शिक्षा मंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने फोन कर बधाई दी। रविवार को जब पूरा स्कूल जश्न में डूबा था तो उपमुख्यमंत्री ने अंजली को फोन किया और उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी।

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