विपत्ति में अकेले पड़ गये आसाराम, नरेंद्र मोदी तक ने कर लिया किनारा
आसाराम के पास ऐश्वर्य की कोई कमी नहीं थी। 2 करोड़ से ज्यादा भक्त। अपार दौलत। जहां जाएं वहां कद्रदानों की भीड़। बिजनेसमैन, पॉलिटिसियन कौन नहीं थे आसाराम के साथ। क्या सत्ता पक्ष क्या विपक्ष, केन्द्र की सरकार क्या राज्य की सरकारें, मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री तक आसाराम के मुरीद रहे। मगर, जब वक्त पलटा तो कोई काम न आया।
भक्तों में उम्मीद जगी थी कि नरेंद्र मोदी सत्ता में आए हैं तो वे उन्हें बचा लेंगे जो आसाराम के भक्त रहे थे, मगर बेकार।
भक्त कहा करते थे कि कांग्रेस ने साजिशन आसाराम बापू को फंसाया है, मोदी राज में निष्पक्ष जांच होगी, आसाराम जरूर छूट जाएंगे। बेल नहीं मिलेगी, ऐसा तो किसी ने सोचा भी नहीं था।
अटल बिहारी वाजपेयी भी आसाराम से मिलने-जुलने वाले नेताओं में शामिल थे। तस्वीर यूट्यूब.कॉम।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह, मोतीलाल वोरा, कमलनाथ...कितने नाम गिनाए जाएं सब आसाराम के मिलने-जुलने वाले, उनसे आशीर्वाद लेने वाले रहे।
मुख्यमंत्रियों में शिवराज सिंह चौहान, रमन सिंह, वसुंधरा राजे, नरेंद्र मोदी जैसे नेता रहे जिन्होंने आसाराम के सामने शीश झुकाए।
2008 में आसाराम के मुटेरा आश्रम में 2 बच्चों की हत्या का मामला सामने आने के बाद से राजनीतिक दलों ने पैंतरा बदलना शुरू कर दिया था। नेताओं ने दूरी बनानी शुरू कर दी। बीजेपी के कतिपय नेता और साधु-संत की ओर से ये आवाज़ जरूर उठी कि एक संत को फंसाया जा रहा है, लेकिन नाबालिग से बलात्कार और एक के बाद एक सामने आते रहे दूसरे मामलों ने उनकी ज़ुबान भी बन्द कर दी।
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