मोदी सरकार की ‘अडॉप्टर अ हेरिटेज’ नीति के तहत डालमिया ग्रुप ने लाल किले को गोद लिया है। भारत के इतिहास में पहली बार किसी कॉर्पोरेट घराने ने ऐतिहासिक विरासत को गोद लिया है। इस बीच सरकार के इस कदम पर कांग्रेस सहित कई राजनीतिक दल विरोध जता रहे हैं। कांग्रेस ने इसे ऐतिहासिक धरोहरों का ‘निजीकरण’ करार दिया है। कांग्रेस ने पूछा है कि लालकिले के बाद अगला नंबर किसका है?
कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा है कि लाल किले को डालमिया समूह को सौंपने के बाद, अगला प्रतिष्ठित स्थान कौन सा है जिसे भाजपा सरकार किसी निजी इकाई को पट्टे (लीज) पर देगी?
कांग्रेस ने इस सवाल के साथ विकल्प भी दिए हैं। विकल्प में 1-संसद, 2-लोक कल्याण मार्ग, 3-सुप्रीम कोर्ट और 4- उपरोक्त सभी शामिल है।
मोदी सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा कि डालमिया समूह ने गोद ले लिया लालकिला, अगली डील ताजमहल की। कांग्रेस ने लम्बी कुर्बानियां दे कर जिस लाल किले को हासिल किया जो हमारी सम्प्रभुता और शान की निशानी है। मोदी कृपा से वो लालकिला किसी और का हुआ।
बता दें कि देश की ऐतिहासिक प्राचीर लाल किला डालमिया भारत ग्रुप की देखरेख में पांच सालों के लिए होगा। देश की इस धरोहर को संवारने के लिए डालमिया ग्रुप ने सरकार से 25 करोड रुपए में डील की है। बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, डालमिया भारत ग्रुप के सीईओ महेंद्र सिंघी ने कहा कि लाल किला में 30 दिनों के अंदर काम शुरू कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि लाल किला उन्हें शुरुआत में पांच वर्षों के लिए मिला है। कांट्रैक्ट को बाद में बढ़ाया भी जा सकता है। हर पर्यटक उनके लिए एक कस्टमर होगा और इसे उसी तर्ज पर विकसित किया जाएगा।
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