Pages

click new

Wednesday, May 30, 2018

मोदी द्वारा नीतीश के बार-बार कथि‍त अपमान की वजह से जेडी (यू)-बीजेपी गठबंधन के रिश्तों में दरार

संबंधित इमेज
TOC NEWS @ www.tocnews.org
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बीजेपी के साथ असहजता बढ़ती जा रही है. ऐसी खबरें आ रही हैं कि कई घटनाओं और पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा नीतीश के बार-बार कथि‍त अपमान की वजह से जेडी (यू)-बीजेपी गठबंधन के रिश्तों में फिर से दरार आनी शुरू हो गई है.
पिछले दो हफ्तों में कम से कम चार बार नीतीश कुमार ने बीजेपी के बड़े भाई जैसे कथि‍त रवैए पर नाखुशी जाहिर की है. गत 17 मई को नीतीश कुमार ने आल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की, जो मोदी सरकार के सिटीजनशिप बिल के खिलाफ अभियान चला रहे हैं. यह बिल बीजेपी के लिए राजनीतिक रूप से काफी संवदेनशील मसला है.
इस बिल में कहा गया है कि पड़ोसी देशों के हिंदुओं को अगर धर्म के आधार पर परेशान किया जाता है तो उन्हें भारत में नागरिकता दी जाए. नीतीश कुमार ने आसू के प्रतिनिधिमंडल को भरोसा दिया कि वह पीएम मोदी को पत्र लिखकर इस बिल को रोकने की मांग करेंगे. इसका मतलब यह है कि मोदी सरकार यदि संसद में यह बिल लाती है तो जेडी (यू) इसका विरोध कर सकती है.
नोटबंदी पर यू-टर्न
साल 2016 में नोटबंदी के बाद गत 26 मई को नीतीश कुमार ने पहली बार इस पर सवाल उठाए. पटना में आयोजित एक बैंकिंग सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘मैं नोटबंदी का प्रबल समर्थक था, लेकिन इससे कितने लोगों को फायदा हुआ? कुछ ताकतवर लोगों ने अपनी नकदी एक जगह से दूसरे जगह भेज दी, गरीब परेशान हुए.’ विपक्षी दलों ने भी नोटबंदी के मामले में मोदी सरकार पर ऐसे ही आरोप लगाए थे.
बाढ़ राहत पर भी नाखुशी
इसके एक दिन बाद ही नीतीश कुमार को नाराज करने का एक और वाकया हो गया. मोदी सरकार ने बिहार सरकार को बाढ़ राहत के लिए 1,750 करोड़ रुपये देने को कहे थे, लेकिन बिहार को वास्तव में सिर्फ 1,250 करोड़ रुपये ही मिले. नीतीश कुमार इस बाढ़ राहत पैकेज से खुश नहीं हैं.
विशेष पैकेज की फिर उठी मांग
29 मई को नीतीश कुमार ने ट्वीट कर कहा कि बिहार और अन्य पिछड़े राज्यों को विशेष दर्जा देने की मांग पर वित्त आयोग को पुनर्विचार करना चाहिए. यह नीतीश कुमार की काफी पुरानी मांग है. लेकिन बीजेपी के साथ उनके सरकार बनाने के बाद से ही यह ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ था. अब उन्होंने इस दबे मसले को फिर से बाहर निकाला है. यह मसला उन्होंने ऐसे समय में बाहर निकाला है, जब विपक्ष 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए मोदी विरोधी मोर्चा बनाने की कोशिश कर रहा है.
ऐसा लगता है कि नीतीश कुमार अपनी स्थिति में ऐसी सुविधाजनक बदलाव करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि एनडीए या एनडीए के बाहर के लोगों से मोलतोल कर सकें.

No comments:

Post a Comment