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Monday, May 28, 2018

भाजपा सांसद ज्योति धुर्वे फर्जी जाति मामले में घिरी आखिर क्यों है

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फर्जी निकला, सांसद ज्योति धुर्वे का जाति प्रमाण पत्र
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भोपाल! अनुसूचति जनजाति विभाग की उच्च स्तरीय छानबीन समिति के ढुलमुल रवैए की वजह से फर्जी जाति मामले में घिरी भाजपा सांसद ज्योति धुर्वे अपना दूसरा कार्यकाल भी पूरा कर लेंगी।छानबीन समिति ने ज्योति धुर्वे के जाति को लेकर दिए गए आवेदन पर समिति ने साल भर में एक बार भी सुनवाई नहीं की।

जबकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर फर्जी जाति प्रमाण पत्रों की पड़ताल के लिए गठित छानबीन समिति हर महीने या फिर तीन महीने में एक बार जातियों से जुड़े मामलो पर फैसला देती है। पिछले साल 2 मई 2017 को धुर्वे के जाति प्रमाण पत्र को अमान्य करने का फैसला देने के बाद प्रकरण में किसी भी प्रकार के नए तथ्य नहीं जोड़े गए हैं।इसके बाद से धुर्वे के जाति प्रमाण पत्र की फाइल अस्थाई तौर पर बंद हैं।
अनुसूचित जनजाति विभाग की राज्य स्तरीय छानबीन समिति ने पिछले साल 2 मई को बैतूल सांसद ज्योति धुर्वे के जाति प्रमाण पत्र को अमान्य करते हुए बैतूल कलेक्टर को ज्योति के खिलाफ अपराधिक प्रकरण दर्ज करने के निर्देश दिए थे।धुर्वे का जाति प्रमाण पत्र अमान्य होने के तत्काल पर राजनीतिक दखल के चलते छानबीन समिति ने ज्योति की याचिका मान्य की।
इसके बाद से छानबीन समिति ने ज्योति प्रकरण में एक बार भी सुनवाई नहीं की।छानबीन समिति से जुड़े सूत्रों ने बताया कि समिति के फैसले पर पुनर्विचार करने का आवेदन प्रस्तुत करने के बाद से ज्योति ने खुद की जाति को लेकर किसी भी तरह का नया तथ्य पेश नहीं किया।जिसके आधार पर छानबीन समिति अपना पिछला फैसला रद्द कर सके।यही कारण है कि छानबीन समिति ने ज्योति से जुड़े प्रकरण में एक बार भी नए सिरे से विचार नहीं किया है।
पिता की जाति का एक दस्तावेज भी पेश नहीं कियाlज्योति धुर्वे आदिवासियों के लिए सुरक्षित बैतूल लोकसभा सीट से लगातार दूसरी बार भाजपा सांसद हैं। 2009 में जब पहली बार वे लोकसभा चुनाव जीती थीं तभी उनकी जाति को लेकर शिकायत की गई थी,लेकिन तब 5 साल के भीतर इस मामले की जांच नहीं हो पाई थी,इसलिए वह शिकायत स्वत: खारिज हो गई। 2014 में भाजपा के टिकट पर फिर से बैतूल से सांसद बनीं।
इस बार उनके जाति प्रमाण पत्र की हाईकोर्ट के निर्देश पर जांच करवाई।राज्य स्तरीय छानबीन समिति ने पाया है कि ज्योति धुर्वे ने खुद के आदिवासी होने का जो प्रमाण पत्र दिया है वह वैध नहीं हैं, इसलिए उसे निरस्त कर दिया है।बताया गया कि ज्योति धुर्वे के पिता बालाघाट में पवार जाति से हैँ।ज्योति की शादी बैतूल जिले के रहने वाले प्रेम धुर्वे से हुई थी। धुर्वे गोंड आदिवासी थे।
उन्हीं की जाति के आधार पर ज्योति को 31 अक्टूबर 2002 को बैतूल के भैंसदेही ब्लॉक से जातिप्रमाण पत्र जारी हुआ था।छानबीन समिति के सामने जाति संबंधित जो तथ्य रखे थे, वह पति की जाति से संबंधित थे।पिता की जाति से संबंधित एक भी दस्तावेज उन्होंने समिति के सामने पेश नहीं किया।इसी के आधार पर उनका अजजा वर्ग का जाति प्रमाण पत्र निरस्त किया गया था।

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