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Saturday, June 2, 2018

खुले में शौच से मुक्ति के लिये ग्रामीणों को शर्म और घृणा के भाव बताना जरूरी

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खुले में शौच से मुक्ति के लिये ग्रामीणों को शर्म और घृणा के भाव बताना जरूरी
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सामुदायिक व्यवहार परिवर्तन के तहत अधिकारियों को दिया गया प्रशिक्षण, एकजुट होकर मैदानी अमला करे शिद्दत से कार्य- जिपं. सीईओ

अनूपपुर : राम मनोहर सिंह – 9584933114
अनुपपुर | जिले को खुले में शौचमुक्त करने के लिये जिला प्रशासन द्वारा प्रारंभ किये गये जन कल्याणकारी कार्यक्रम में सामुदायिक सहभागिता के प्रयासों को बल देने कलेक्टर श्रीमती अनुग्रह पी एवं जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती डॉ. सलोनी सिडाना के नेतृत्व में जिला, जनपद एवं ग्राम स्तरीय मैदानी अमले को एकजुट कर रणनीति प्रारंभ की गई है।
खुले में शौच से मुक्ति के लिये कार्ययोजना के तहत जिला पंचायत सभागार में यूनिसेफ की सहयोगी संस्था फीड बैक के प्रशिक्षक श्री राहुल द्वारा सामुदायिक व्यवहार परिवर्तन संचार के तहत विस्तार पूर्वक बिन्दुवार जानकारी दी गई। प्रशिक्षण कार्यक्रम में जिला पंचायत की सीईओ श्रीमती डॉ. सलोनी सिडाना सहित विभिन्न विभागों के जिलाअधिकारी, खण्डस्तरीय अधिकारी, कर्मचारियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। जिला पंचायत सीईओ श्रीमती सलोनी सिडाना ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत सभी से घर-घर शौचालय निर्माण एवं उपयोग की दिशा में पुरजोर प्रयास करने तथा इस कार्य को व्यक्तिगत भाव से 2 माह की सीमा में पूर्ण करने की अपेक्षा व्यक्त की गई।
उन्होंने कहा कजले के प्रत्येक शासकीय सेवक एवं शासन के लाभ के पदों पर कार्य करने वालों के यहां शौचालय होना तथा उसका उपयोग होना नितांत आवश्यक है। आपने कहा वर्तमान दौर में शौच समाज पर कलंक है। आपने खुले में शौच से मुक्ति के लिये चलाऐ जा रहे अभियान में सभी से पूर्ण मनोयोग व समर्पण से कार्य करने की अपेक्षा व्यक्त की। प्रशिक्षक श्री राहुल ने बताया कि खुले में शौच से अनेकों बिमांरियां फैलती है जो बहुत ही खतरनाक है आपने बताया कि शोध से यह पता चला है कि खुले में शौच के बजह से 0-1 साल तक के प्रति घण्टा 14 बच्चों की मृत्यु हो रही है जो बेहद दर्दनाक है इन कारणों से देश की जी.डी.पी. ग्रोथ भी कम हुई है खुले में शौच से हर गांव मुक्त हो जाये तो हम समृद्धि की दिशा में अग्रसर हो सकते है।
उन्होने बताया कि खुले में शौच से मुक्ति के लिये चलाये जा रहे अभियान के तहत गांव-गांव जाकर ग्रामीणों को प्रोत्साहित कर उन्हे शौचालय निर्माण एवं उपयोग की समझाईश दी जाये तथा खुले में शौच से शर्म और घृणा के भाव से अवगत कराया जाये। आपने कहा कि थोडे से सामुहिक प्रयास से जिले को खुले में शौच से मुक्त किया जा सकता है।

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