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Sunday, December 16, 2018

राफेल मामले में पलटी मोदी सरकार, SC से की गलती सुधारने की अपील

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राफेल मामले में पलटी मोदी सरकार, SC से की गलती सुधारने की अपील
TOC NEWS @ www.tocnews.org
कांग्रेस ने तथ्यात्मक गलती के जरिए सर्वोच्च न्यायालय को गुमराह करने और झूठ बोलने के लिए शनिवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा, वहीं केंद्र ने फैसले में 'गलतियों को सुधारने के लिए' शीर्ष अदालत का रुख किया. राफेल सौदे में कथित अनियमितता की जांच वाली कई याचिकाओं को सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को 'कैग रपट' पर भरोसा कर खारिज कर दिया था. इस मामले में कांग्रेस ने मोदी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि कैग रपट का कोई भी हिस्सा न तो संसद में पेश किया गया और न ही यह सार्वजनिक है.
इसबीच कांग्रेस मामले के संबंध में महान्यायवादी और कैग को लोक लेखा समिति(पीएसी) के समक्ष तलब करने का दबाव बना रही है, वहीं केंद्र ने सर्वोच्च न्यायाल में याचिका दाखिल कर कहा है कि वह 'फैसले में गलतियों को सही करवाना चाहती है' और इसके साथ ही उसने दावा किया कि 'गलती शायद गलत व्याख्या की वजह से हुई है.'
दोनों पक्षों के बीच विवाद की मुख्य वजह फैसले का पैराग्राफ 25 है, जिसमें प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा है, "विमान की कीमत की जानकारी हालांकि कैग के साथ साझा की गई और कैग रपट की जांच पीएसी ने की. रपट का केवल संपादित हिस्सा ही संसद में पेश किया गया और यह सार्वजनिक है."
लोक लेखा समिति(पीएसी) के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि वह महान्यायवादी और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक(कैग) को तलब करने का दबाव बनाएंगे और उनसे पूछेंगे कि कब सीएजी की रपट पेश की गई और कब पीएसी ने उसकी जांच की.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने यहां मीडिया से कहा कि सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष सही तथ्य पेश नहीं किए और अदालत में सरकार ने 'झूठ' बोला है. उन्होंने कहा, "सरकार ने वहां दिखाया कि कैग रपट पेश की गई है और पीएसी ने उसकी जांच की है."
खड़गे ने कहा, "सरकार ने अदालत में यह झूठ बोला कि कैग रपट को सदन और पीएसी में पेश किया गया है. उन्होंने अदालत में यह भी कहा कि पीएसी ने इसकी जांच की है. उन्होंने दावा किया कि रपट सार्वजनिक है. यह कहां है? क्या आपने इसे देखा है? मैं पीएसी के अन्य सदस्यों के समक्ष इस मामले को ले जाने वाला हूं."
कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने यहां मीडिया को संबांधित करते हुए कहा कि शुक्रवार का फैसला 'तथ्यात्मक रूप से गलत' था, जिसके लिए मोदी नीत केंद्र सरकार जिम्मेदार है. सिब्बल ने कहा, "फैसले में तथात्मक गलती है, जिसके लिए सरकार जिम्मेदार है, न कि अदालत. अगर आप अदालत को गलत तथ्य देंगे और उस आधार पर अदालत तथ्यात्मक दावे करती है, तो इस मामले में सरकार जिम्मेदार है."
उन्होंने कहा, "हमें महान्यायवादी को पीएसी में तलब करना चाहिए और उनसे पूछना चाहिए कि क्यों इस प्रकार के दावे अदालत के समक्ष किए गए और क्यों ऐसे हलफनामे पेश किए गए, जो सच्चाई नहीं दर्शाते हैं." पूर्व कानून मंत्री ने कहा, "अदालत के समक्ष इस तरह के गलत तथ्य पेश करने के लिए महान्यायवादी जिम्मेदार हैं. यह एक संगीन मुद्दा है और संसद में इसपर चर्चा होनी चाहिए. पीएसी महान्यायवादी को बुलाएंगे."
इस ओर ध्यान दिलाते हुए कि सर्वोच्च न्यायालय ने कीमत के मुद्दे या फिर विमान के तकनीकी पहलुओं पर फैसला नहीं सुनाया, सिब्बल ने मोदी सरकार को फैसले को खुद के लिए क्लीन चिट बताने पर निशाना साधा. सिब्बल ने भाजपा के प्रमुख नेताओं द्वारा फैसले को मोदी सरकार के लिए क्लीन चिट बताने और कांग्रेस पर राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाने वाले बयानों के संदर्भ में कहा, "यह बचकानी बात है कि सरकार और भाजपा जीत का दावा कर रही है."
वहीं मामले में विपक्ष की ओर से जोरदार हमले झेल रही केंद्र सरकार ने रक्षा मंत्रालय में उपसचिव के जरिए फैसले के पैराग्राफ 25 में हुई गलती को सही करने का आग्रह किया है, जिसमें दावा किया गया है कि यह गलत व्याख्या की वजह से हुआ और फलस्वरूप सार्वजनिक रूप से विवाद पैदा हुआ.
केंद्र ने कहा कि कीमत की जानकारियों के संबंध में बयान(फैसले के पैरा 25 से) के बारे में ऐसा प्रतीत होता है कि वह भारतीय संघ द्वारा 31 अक्टूबर को अदालत के निर्देश पर कीमतों के विवरण के साथ सौंपी कई टिप्पणी पर आधारित हैं. इसके साथ ही केंद्र ने कहा कि यह तथ्यात्मक रूप से सही है कि सरकार ने कैग के साथ कीमतों के विवरण साझा किए हैं.

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