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Thursday, April 18, 2019

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफिले की तलाशी लेना पड़ा महंगा, EC के आदेश के बाद IAS हुआ सस्पेंड

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नई दिल्ली: कर्नाटक के एक IAS अधिकारी को पीएम मोदी के काफिले की तलाशी लेनी इतनी महंगी पड़ गई, शायद किसी ने नहीं सोचा ना था। काफिले की तलाशी से खफा अधिकारियों ने एक इशारे के बाद इस IAS को सस्पेंड कर दिया। इस अधिकारी का नाम मोहम्मद मोहसिन बताया जा रहा है। अब इस अधिकारी का कसूर क्या है ये भी जान लीजिए।

मोहम्मद मोहसिन का क्या था कुसूर

  • दरअसल मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओडिशा के संबलपुर में चुनावी दौरा किया था और उस वक्त कर्नाटक बैच के आईएएस अफसर मोहम्मद मोहसिन संबलपुर में जनरल ऑब्जर्वर के तौर पर नियुक्त थे।
  • उन्होंने पीएम मोदी के काफिले की तलाशी लेने की कोशिश की। इस बात को लेकर पीएमओ ने चुनाव आयोग से शिकायत की।
  • उसके बाद चुनाव आयोग को एसपीजी सुरक्षा के बावजूद तलाशी लेने की जानकारी मिली और चुनाव आयोग ने निर्देशों के उल्लंघन के आरोप में आईएएस मोहम्मद मोहसिन को सस्पेंड कर दिया।
  • कहा जा रहा है कि निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों से अलग अधिकारी ने कार्रवाई की थी।
आपको बता दें, एसपीजी सुरक्षा प्राप्त लोगों को ऐसी जांच से छूट प्राप्त होती है। लेकिन इसके बावजूद मोहम्मद मोहसिन ने पीएम मोदी के काफिले की तलाशी लेने का बड़ा कदम उठाया। जिससे नाराज चुनाव आयोग के आदेश के बाद मोहम्मद मोहसिन को सस्पेंड कर दिया गया।

कौन हैं आईएएस मोहम्मद मोहसिन?

  • मोहसिन साल 1996 बैच के कर्नाटक कैडर के आईएएस अफसर हैं, जिन्हें जनरल ऑब्जर्वर के तौर पर नियुक्त किया गया था।
  • मोहम्मद मोहसिन पटना के रहने वाले हैं और कर्नाटक सरकार में सचिव (सोशल वेलफेयर विभाग) हैं। वे कर्नाटक कैडर से आईएएस बने हैं।
  • उन्होंने पटना यूनिवर्सिटी से एम कॉम की पढ़ाई की है और साल 1994 में वो यूपीएससी सिविल सर्विसेज की पढ़ाई करने दिल्ली आए थे।
  • पहले अटेंप्ट में वो सिविल सर्विसेज प्री परीक्षा में सफल नहीं हो पाए और उसके बाद उन्होंने वापस तैयारी की।
  • उसके बाद वो इस परीक्षा में सफल हुए, हालांकि उनके नंबर कम रह गए और वो आईएएस नहीं बन सके।
आपको बता दें, साल 1969 में जन्मे मोहम्मद मोहसिन ने फिर तैयारी की और 1996 बैच से आईएएस अधिकारी बने। उन्होंने उर्दू स्टडीज के साथ अपनी पढ़ाई की थी। उनकी लिंक्डइन प्रोफाइल के अनुसार वो कर्नाटक सरकार के शिक्षा विभाग और अन्य विभागों में अधिकारी रह चुके हैं। वो कर्नाटक में कई प्रशासनिक पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं। वे शुरुआत में एसडीएम पद पर रहे और उसके बाद जिला पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग में डेप्यूटी कमिश्नर आदि पदों पर कार्य कर चुके हैं।

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