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Friday, November 29, 2019

राजस्व न्यायालय का निर्णय : पुत्री को पैतृक संपत्ति हक से किया वंचित, दावा खारिज


 विशेष ख़बर  :  विनय जी डेविड  : 9893221036 
भोपाल संभाग के क्षेत्र में इस फैसले से लंबित प्रकरणों में बड़ा बदलाव आएगा, मामला इस प्रकार है कि ग्राम  कान पोहरा तहसील व जिला रायसेन मध्य प्रदेश के दयाचंद किरार के द्वारा दिनांक 20.05 2015 को अपनी सात पुत्रियों के नाम जमीन के खाते में प्रविष्ट कराएं जिसे रायसेन तहसीलदार द्वारा 05.06 2015 को प्रमाणित किया।
इस आदेश के विरुद्ध उनकी एक अन्य पुत्री सरोज बाई पत्नी शिरीष कुमार के द्वारा अनुविभागीय अधिकारी रायसेन के समक्ष अपील प्रस्तुत की अपील में सरोज बाई द्वारा निवेदन किया गया कि मैं दयाचंद किरार की आठवीं पुत्री हूं मेरे द्वारा अपनी मर्जी से विवाह कर लिया था इससे नाराज होकर मेरे पिता मुझे अपना हक नहीं दे रहे हैं इससे नाराज होकर वह जमीन सात बहनों में ही बांट रहे हैं मुझे अकेला मेरे हक से वंचित कर रहे हैं।
अनुविभागीय अधिकारी रायसेन द्वारा दिनांक 4.10 2017 को सरोज बाई की उक्त अपील अनुविभागीय अधिकारी द्वारा स्वीकार की गई और तहसीलदार रायसेन का उक्त आदेश निरस्त कर दिया साथ ही आदेश किया गया कि नामांतरण पजी में अपील करता सरोज बाई का नाम अंकित किया जावे अनुविभागीय अधिकारी के उक्त आदेश से व्यथित होकर दयाचंद किरार आयुक्त न्यायालय भोपाल मध्य प्रदेश मैं अपील प्रस्तुत की जहां दया चंद की ओर से अधिवक्ता श्री अशोक विश्वकर्मा द्वारा अपील प्रस्तुत कर माननीय आयुक्त महोदय के समक्ष व्यक्त किया कि अनुविभागीय अधिकारी द्वारा जो आदेश पारित किया गया है।
वह विधि विरुद्ध एवं नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के विपरीत है अनुविभागीय अधिकारी रायसेन द्वारा विधिक भूल की है सरोज बाई ऐसा कोई भी दस्तावेज प्रस्तुत करने में सफल नहीं हुई है जिसको वह बता सके कि वह अपील करता दयाचंद की वेद संतान है।
अनुविभागीय अधिकारी को जब विचारण न्यायालय की पूर्ण सकती है तो वह सरोज बाई की गवाही भी ले सकते थे परंतु अनुविभागीय अधिकारी द्वारा ऐसा ना कर बड़ी विधिक भूल की है एवं अभिलेख का सूक्ष्म परीक्षण भी नहीं किया है अनु विभाग अधिकारी द्वारा जो आदेश पारित किया गया है वह निरस्त किए जाने योग्य है सरोज बाई के विद्वान अधिवक्ता श्री जगदीश जैन का मुख्य तर्क था कि तहसीलदार रायसेन द्वारा नामांतरण पंजी में मात्र सात बहनों का नाम जोड़ना अवैध कृत्य है।
एक बहन को छोड़कर साथ में बंटवारा करना तहसीलदार की बड़ी विधिक त्रुटि है दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों का श्रवण करने के पश्चात माननीय पर आयुक्त भोपाल श्री एच एस मीणा द्वारा दयाचंद किरार के अधिवक्ता श्री अशोक विश्वकर्मा के तर्कों से सहमत होते हुए निर्णय दिया कि उत्तराधिकार के संबंध में सरोज बाई को सक्षम न्यायालय में जाकर पहले उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्राप्त करना चाहिए।
तत्पश्चात नामांतरण हेतु निवेदन करना चाहिए माननीय अपर आयुक्त महोदय द्वारा श्री अशोक विश्वकर्मा अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत अपील को स्वीकार करते हुए माननीय अनुविभागीय अधिकारी रायसेन के आदेश को निरस्त कर दिया साथ ही यह आदेश दिया कि तहसील रायसेन के तहसीलदार द्वारा दिया गया आदेश स्थिर रखा जावे

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