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Monday, January 27, 2020

आदित्य बिड़ला की महान एल्युमिनियम प्लांट (हिंडाल्को) बरगवां (सिंगरौली) द्वारा मौखिक आश्वासन के बाद आंदोलन कराया गया समाप्त या गंभीर षणयंत्र

आदित्य बिड़ला की महान एल्युमिनियम प्लांट (हिंडाल्को) बरगवां (सिंगरौली) द्वारा मौखिक आश्वासन के बाद आंदोलन कराया गया समाप्त या गंभीर षणयंत्र

TOC NEWS @ www.tocnews.org
जिला ब्यूरो चीफ सिंगरौली  // नीरज गुप्ता  7771822877 
सिंगरौली. आखिर कार एक बार फिर यह साबित हो ही गया कि ईस्ट इंडिया कम्पनी की नीति से देश वासियों पर राज किया जाना आसान हैं | जिसे चरितार्थ किया गया बरगवां विस्थापितों के विरुद्ध | जिस प्रकार से हिंडाल्को विस्थापितों द्वारा किये जा रहे भूख हड़ताल को सरे आम रौंदा गया हैं | 
उससे यह तो साबित होता नजर आ रहा हैं कि हम कम से कम एक बार और किसी न किसी ईस्ट इंडिया कम्पनी की नीति पर चलने वाली कम्पनी के गुलाम आवश्य ही होंगे | जिसका आगाज आज मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिला के बरगवां स्थित हिंडाल्को द्वारा किया जा चुका है | जिसके मुख दर्शन स्थानीय जनप्रतिनिधि, जिला प्रशासन व हमारी ही दोनों राज्य व केंद्र सरकारें ही हैं | बड़े बुजुर्ग का यह कहना कि इतिहास एक बार पुनः जरूर दोहराता ही हैं | यह साबित होने की एक छोटी सी पहल कहना कही से गलत न होगा | 

एक बार फिर आश्वासन का हुआ खेल 

गौरतलब है कि जिस प्रकार हिंडाल्को विस्थापितों द्वारा किये जा रहे भूख हड़ताल को मात्र मौखिक आश्वासन के साथ समाप्त करवाने में सफलता प्राप्त किया गया | जिससे यह तो तय माना जा रहा कि एक बार फिर आश्वासन की जीत हुआ हैं | और विस्थापितों की हार | आखिर इसका जिम्मेदार कौन, कौन बताएगा ???? 

क्या हिंडाल्को प्रबंधक विस्थापितों की समस्याये निपटायेगा या होगा एक और गंदा खेल

आश्वासन पे आश्वासन के बीच यह सवाल का उठना लाजमी होता दिख रहा हैं कि क्या हिंडाल्को प्रबंधक विस्थापितों की समस्याये निपटा पायेगा या यह खेल निरंतर जारी रहने के आसार लगातार होता रहेगा | क्योंकि जिस प्रकार आज हिंडाल्को प्रबंधक व जिला प्रशासन द्वारा मात्र मौखिक आश्वासन के साथ विस्थापितों के साथ खेला गया गंदा खेल से यह तो साफ हैं कि हिंडाल्को अभी भी विस्थापितों की मांगों को पूरा करने के मूड़ में नही हैं | फिर यह आश्वासन किस काम का यह कौन बताएगा ???

क्या प्रशासन, जनप्रतिनिधि विस्थापितों का हक दिलापाएंगे या फिर होगा कई और आश्वासन

जिस प्रकार उक्त भूख हड़ताल को मात्र मौखिक आश्वासन के साथ डरा-धमका कर समाप्त करने में सफलता प्राप्त किया गया हैं | इससे यह सवाल उत्पन्य जरूर होता नजर आ रहा हैं कि क्या जिला प्रशासन व स्थानीय जनप्रतिनिधि विस्थापितों को न्याय दिला पाएंगे या कई और आश्वासन दिलाने में होंगे सफल यह कौन बतायेगा???

आखिर किस कमी से एक और आश्वासन के साथ समाप्त हुआ विस्थापितों का भूख हड़ताल 

स्थानीय विस्थापितों की माने तो अनुभव की कमी व खुद की राजनीति चमकाने में कई बार कोशिश करने में लगे रहे नारायण दास विश्वकर्मा द्वारा उक्त भूख हड़ताल के माध्यम से विस्थापितों का बनाया गया एक भद्दा मजाक, जिसका जीता जागता सबूत यह हैं कि खुद की राजनीति रोटी सेंकने दिनांक 26/01/2020 को शाम से ही स्थानीय विस्थापितों को बहकाने / भड़काने व्हाट्सएप पर एक संदेश वायरल कर दिया गया | जिसमें यह बताया गया कि -

 आवश्यक सूचना 

आज दिनांक 26/01/2020 दिन रविवार को भी  39 सूत्रीय मांगो को लेकर धरना प्रदर्शन एवं भूख हड़ताल लगातार जारी है, इसके निराकरण के सम्बन्ध में सूचना प्राप्त हुई है कि कल दिनांक 27/01/2020 को माननीय जिला कलेक्टर एवं उपखण्ड अधिकारी देवसर निराकरण हेतु हिंन्डाल्को 1 नं. गेट पर उपस्थित होने वाले हैं, जिसमें आप सभी श्रमिक एवं  विस्थापित अपने-अपने विस्थापित कार्ड ,गेट पास एवं समस्त जरुरी दस्तावेज कल सुबह ही अपने साथ में  लेकर उपस्थित होवें। 
                   मीडिया सेल 

महान विस्थापित एवं श्रमिक संघ सिंगरौली मध्य प्रदेश 

जसके बाद स्थानीय विस्थापितों द्वारा उग्र हो स्वयं का आपा खो हिंडाल्को गेट नंबर 1 को बंद करने उकसाया भी गया | गमिनियत यह रही कि सिंगरौली पुलिस प्रशासन हमेशा की भांति मुस्तैद नजर आई | जिससे वहां कोई अप्रिय घटना नही घटी वरना स्थिति कुछ और भी हो सकती थी | जिसकी पूरी जिम्मेदारी उक्त भूख हड़ताल को संचालित करने वाले नारायण दास की ही माना जाना कही से भी गलत नही माना जा सकता | 

उक्त हड़ताल संचालनकर्ता ने लगाए सी.एस.आर. प्रमुख यशवंत कुमार पर गम्भीर आरोप

वही उक्त भूख हड़ताल को संचालित करने वाले नारायण दास की माने तो उक्त भूख हड़ताल को कुचलने कम्पनी के सी0एस0आर0 प्रमुख यशवंत कुमार हिंडाल्को के विश्वस्थ कर्मचारियों को भी उक्त भूख हड़ताल में सम्लित करवा व हमला करवाने लाठीयो के कई गड्ढे भी तैयार किये गए थे | जिससे उक्त भूख हड़ताल को आज के आज कुचला जा सके | और ऐसा हुआ भी | जिससे यह तो स्पस्ट हैं कि जिस प्रकार हिंडाल्को विस्थापितों की आवाज को कुचला जा रहा है | कभी ईस्ट इंडिया कम्पनी भी देशवाशियों की आवाज कुचला करती थी | तब हम गुलाम हुए होंगे | और ऐसी आशंकाएं हैं कि जल्द से जल्द एक बार फिर हम गुलाम अवश्य ही होने वाले हैं |

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