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Sunday, January 26, 2020

ईस्ट इंडिया कम्पनी की भांति आदित्य बिड़ला की महान एल्युमिनियम प्लांट (हिंडाल्को) बरगवां (सिंगरौली) द्वारा स्थानीय विस्थापियों को गुलाम बनाने की पहल हुई तेज

आदित्य बिड़ला की महान एल्युमिनियम प्लांट (हिंडाल्को) बरगवां (सिंगरौली) द्वारा स्थानीय विस्थापियों को गुलाम बनाने की पहल हुई तेज 

TOC NEWS @ www.tocnews.org
जिला ब्यूरो चीफ सिंगरौली  // नीरज गुप्ता  7771822877 
सिंगरौली . गौरतलब है कि देश के तमाम नागरिकों द्वारा देश की आजादी का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाना हर देशवासियों का अधिकार भी है और जिम्मेदारी भी, जिसे बड़े हर्सोल्लास से मनाया भी जाता हैं | परन्तु अगर इसके और पीछे चले तो कोई यह नही बता पाता कि आखिर-कार हम गुलाम ही किन कारणों से हुए थे | आखिर वो कौन सी मनहूस घड़ी थी जब ईस्ट इंडिया कम्पनी देश मे पहली बार कदम रखा था | और वो कौन सा कारण था | जिस वजह से ईस्ट इंडिया कम्पनी देश मे कदम जमाया था | 
आखिर कभी न कभी कही न कही ईस्ट इंडिया कम्पनी देश मे पहली बार ठीक वैसे ही आई होगी जैसे आज देश के कई विभिन्न स्थानों में गैर सरकारी कंपनियों द्वारा वहां के स्थानीय विस्तापितों के खेत खलियान, जमीन, घर ले कर उन्हें छोड़ देते है भूखों मरने को ठीक वैसे ही जैसे आज ईस्ट इंडिया से तर्ज पर कई गैर सरकारी कंपनियां जो देश के कई विभिन्न स्थानों में स्थापित हो वहां के स्थानीय विस्तापितों के साथ अन्याय, व अत्याचार करने के अलावा कुछ और नही करती हैं | वैसे तो देश के तमाम स्थानों में यह देखने को मिल ही जाता हैं | जिसमे मुख्य रूप हम सिर्फ मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिला में स्थित बरगवां में आदित्य बिड़ला के महान एल्युमिनियम प्लांट (हिंडाल्को) की ही बात किया जाए तो उसके अधिकारी - कर्मचारी किसी ईस्ट इंडिया कम्पनी के अधिकारियों के ही भांति खुद को समझ वहां के विस्तापितों के साथ अन्याय व अत्याचार करने में कम नही आका जा सकता |

देश के गणतंत्र पर्व में भी विस्थापित भूख हड़ताल में

जी हां हम बात कर रहे हैं बरगवां में स्थित हिंडाल्को की | जंहा पूरा देश पूरे हर्सोल्लास के साथ गणतंत्र दिवस का पर्व मनाकर एक - दूसरे को खुसिया ब्यप्त करते नजर आए, वही बरगवां स्थित हिंडाल्को के स्थानीय विस्तापितों द्वारा गणतंत्र दिवस के पर्व पर भी खुद की खेत, खलिहान और जमीन, घर सब कुछ दे भूखों मरने की कगार में जीवन ब्यतीत कर कम्पनी के गेट नम्बर 1 के सामने भूख हड़ताल करने को मजबूर हैं | जो दिनांक 17/01/2020 से धरना प्रदर्शन व हड़ताल करते आ रहे | जो दिनांक 21/01/2020 से लगातार भूख हड़ताल में तब्दील हो चुका हैं | भूख हड़ताल में 8 विस्थापितों राजेन्दर प्रसाद साकेत, विजय साकेत, राम केश साकेत, त्रिलोकी नाथ साहू, हरि प्रसाद साकेत, संतालिया देवी विश्कर्मा, बीरमति पाल, धनाऊ साकेत सहित 5 पुरुष व 3 महिला भूख हड़ताल में सम्लित रहे | मजाल हैं कि सिंगरौली शासन - प्रशासन या कम्पनी प्रबंधन या देश के चौथे स्तम्भ कहे जाने वालों के सशक्त प्रहरी व सिंगरौली जिला मीडिया बंधु (कुछ को छोड़ कर) इतना सब होने के बाद भी किसी ने उक्त मामले को देश को दिखाने की जरूरत भी की हो|

प्रशासन एवं कम्पनी के बीच हुये अनुबन्ध पर अमल नही

विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार जब कम्पनी स्थापित होने से पहले प्रशासन से जो अनुबंध हुआ था | उसको आज तक हिंडाल्को के अधिकारियों - कर्मचारियों द्वारा मानने को भी तैयार नजर नही आ रहे | जबकि प्रशासन व कम्पनी के बीच हुये अनुबंधों के अनुसार स्थानीय विस्तापितों को व उनके बच्चों को भी रोजगार मुहैया कराना, उन्हें अन्यत्र वसाने और उनके जीवन यापन करने के सभी जरूरतों को मुहैया कराने का अनुबंध मात्र कागजों तक ही सीमित रह गई | जो अब वो भी कही धूल खाती नजर आ रही हैं | जबकि प्रशासन और कम्पनी के बीच हुई अनुबंध के अनुसार मुख्य रूप से विस्तापितों को स्वस्थ, शिक्षा, सड़क, बिजली, पानी, स्वरोजगार और नौकरी सम्लित हैं | हिंडाल्को कम्पनी से मुख्य रूप से क्रयन्वित गावँ बरगवां, बरहवाटोला, ओडगडी, गिधेर, धौडर और बरैनिया सम्लित हैं | जिनके विस्तापितों के विकास का दायित्व भी इन्ही कम्पनी के अंतर्गत आता हैं | परन्तु जमीनी हकीकत काल के गाल में समाने जैसा ही हैं |

बार - बार आंदोलनों के बाद भी स्थित और बनी बिकराल

विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार हिंडाल्को के स्थापना से लेकर अब तक विस्तापितों के साथ हो रहे अन्याय व अत्याचार को देखते हुए जिले के कई राजनैतिक संघठनों व राजनैतिक पार्टियों द्वारा भी अनगिनत बार धरना प्रदर्शन किया गया | पर स्थानीय विस्तापितों की स्थित और बिकराल रूप लेता गया |

कम्पनी में नौकरी में गड़बड़ झाला

विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार कम्पनी में अगर किसी भी स्थानीय लोगों को नौकरी मिली हैं तो उसके पीछे रोजगार पाने वालों की काबिलियत को न देखते हुए उनके द्वारा कितना पहचान की ताकत को ज्यादा तवज्जो दिया गया | जिससे जिनकी भी खेत, खलियान या जमीन, घर को कम्पनी ने लिया हैं उन्हें या तो सम्मान का नौकरी नही दिया गया या उनके बच्चों को यह कह कर नही दिया गया कि वो अभी वालिक नही | हैरत तो यह हैं कि जब कम्पनी स्थापित हो रही थी तब के 15 या 17 वर्ष के नौजवान अभी तक वालिक (18 वर्ष ) के नही हो पाए हैं | जिससे यह कहना कि कम्पनी में रोजगार देते वक्त गड़बड़ झाला का किया जाना कहीं से भी गलत नही माना जा सकता |

सी0एस0आर0 (सामाजिक दायित्व) में घोटाले ही घोटाले

विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार कम्पनी के सी0एस0आर0 में लगभग 3 - 4 करोड़ का फंड क्षेत्र के विकास के लिए आना बताया जा रहा हैं लेकिन जब पत्रकार की बात कुछ महीने पहले सी0एस0आर0 प्रमुख यसवंत कुमार से हुई तब उनके द्वारा बताया गया कि क्षेत्र के विकास के लिए कम्पनी द्वारा मात्र 1 करोड़ ही मिलते हैं जिसमें कम्पनी के अंदर खुद कम्पनी के खर्च से ले कर क्षेत्र के विकास तक सम्लित हैं | परन्तु कम्पनी का ही खुद का इतना खर्च हो जाता हैं कि क्षेत्र के विकास के बारे में सोचना बहुत दुश्वार हो जाता हैं फिर भी कोई माई का लाल नही जो इतने कम फंड में यसवंत कुमार जैसा मैनेजमेंट कर सके | यशवंत कुमार का कहना हैं कि जितना क्षेत्र का विकास वो करते हैं इतने फंड में, उतना विकास कही कोई भी नही किया होगा | यशवंत कुमार के यह दावे कितना सच हैं यह तो कम्पनी प्रबंधन ही बता सकते हैं | पर जिस तहजिज से कम्पनी के सी0एस0आर0 प्रमुख यशवंत कुमार द्वारा पत्रकार को वयान दिया गया ऐसा लगता हैं पत्रकार का खुद का अनुभव यह कहता हैं कि इस तरह का तहजिज कोई गली का गुंडा या मवाली ही इस तरह का ब्यवहार किसी पत्रकार से करता होगा |

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