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Monday, May 4, 2020

लॉक डाउन में जबलपुर में धड़ल्ले से बिकी अवैध शराब, आबकारी विभाग की भूमिका संदिग्ध माफियाओं का राज कायम

लॉक डाउन में जबलपुर में धड़ल्ले से बिकी अवैध शराब, आबकारी विभाग की भूमिका संदिग्ध माफियाओं का राज कायम

TOC NEWS @ www.tocnews.org
जिला ब्यूरो चीफ जबलपुर // प्रशांत वैश्य : 79990 57770
  • लॉक डाउन में खुलेआम बिकी शराब आबकारी विभाग की भूमिका संदिग्ध 
  • आबकारी विभाग सोता रहा कुंभकरण की नींद में, पुलिस पकड़ती रही अवैध शराब

जबलपुर । शहर में लॉक डाउन के 41 दिन पूरे होने के बाद भी माफियाओं के हौसले बुलंद हैं लॉक डाउन के दौरान माफियाओं में शहर में शराब की पूर्ति कर रखी थी. जहां एक तरफ जनता लग्न का पालन कर रही थी.

वहीं दूसरी तरफ शराब माफिया नियमों की धज्जियां उड़ा रहे थे आखिर क्या वजह थी जबलपुर का आबकारी विभाग माफियाओं को पकड़ने में बेबस नजर आ रहा था वहीं दूसरी जबलपुर के तमाम थाना क्षेत्रों में शराब की पेटियां भर भर के पकड़ी जा रही थी यह अपने आप में आबकारी विभाग के ऊपर एक बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह दर्शाता है कहीं ना कहीं अधिकारी और माफियाओं की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है. 
आबकारी के सेनापति कहे जाने वाले जिला सहायक आबकारी अधिकारी कंट्रोलर धांसू लाल मरावी की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है आखिर क्या वजह है कि थाने की पुलिस शराब पकड़ लेती है और क्राइम ब्रांच शराब पकड़ लेती है. यदि आबकारी विभाग जानबूझकर शराब माफियाओं पर कार्यवाही नहीं कर रहा इसका मतलब साफ है लॉक डाउन के दौरान एक बड़ा नजराना आबकारी विभाग के चुनिंदा अधिकारियों के पास पहुंच रहा है.
गौरतलब है कि कमलनाथ सरकार के दौरान 12 सौ करोड़ रुपए का ठेका आवंटित किया गया लेकिन उस तारीख के बाद कमलनाथ सरकार गिर गई और ठेके बंद हो न जाने मध्य प्रदेश को किसकी नजर लग गई और आप कारी के ठेके बंद हो गए ऐसे में शराब माफिया तिलमिला गए और उन्होंने उल जलूल दामों में अपने पैसों की वसूली करने के लिए सर आपको खफाना शुरू कर दिया इस पूरे शराब को खपाने के खेल में कहीं ना कहीं आपकारी की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है
क्योंकि अगर आबकारी की मानें तो उन्होंने पहले ही शराब की दुकानों को सील बंद कर दिया था ऐसे में इतनी बड़ी मात्रा में शराब पूरी जबलपुर को नहलाने के लिए काफी था लेकिन हर बार आबकारी विभाग इन सवालों से छुपता बस्ता नजर आ रहा है 
यहां तक कि आबकारी आयुक्त खुद इन सवालों का जवाब देने से मीडिया से कतराते नजर आए ऐसे में सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि यदि इतने कड़े पहरे कर्फ्यू में लोगों के बाद भी शराब माफिया इतने सक्रिय है तो आम दिनों में लाखों और करोड़ों के वारे न्यारे आपकारी के आशीर्वाद से हो ही जाते होंगे सरकार और पुलिस के आला अधिकारियों को चाहिए ऐसी विकट महामारी के दौर में यह दिखलाता है आपातकाल की स्थिति में भी लोग अपनी जेबें भर रहे हैं ऐसे विफल रहे अधिकारियों को क्यों नहीं निष्कासित करना चाहिए।

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