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Tuesday, July 28, 2020

राम मंदिर के 2000 फीट नीचे गाड़ा जा रहा "टाइम कैप्सूल' जिससे भविष्य में 400-1000 साल बाद के लोगों को पता चल सके कि..






गुणवंत सिंह बघेल ( महाराष्ट्र स्टेट ब्यूरो चीफ )  ANI NEWS INDIA

राम मंदिर के 2000 फीट नीचे गाड़ा जा रहा "टाइम कैप्सूल' जिससे भविष्य में 400-1000 साल बाद के लोगों को पता चल सके कि..


राममंदिर था है और रहेगा आने वाले दशकों दशक तक इसलिए इस कैप्सूल को धरती में गाड़ा जा रहा है जिससे भविष्य में 400-1000 साल बाद के लोगों को पता चल सके कि उनके पूर्वज क्या बोलते थे क्या करते थे और सभी प्रकार की जानकारी इस कैप्सूल में मिलेंगी जिससे उनको अपने इतिहास में जानकारी अच्छी और सच्ची सच्ची मिले
राम मंदिर के संघर्ष से जुड़े सारे ऐतिहासिक तथ्यों को एक टाइम कैप्सूल में पृथ्वी के 2000 फीट भीतर गाड़ा जाएगा ताकि सारी जानकारियां सुरक्षित रह सकें । वर्तमान के तथाकथित सेक्युलर धोखेबाज़ धर्मविरोधी, को नहीं मालूम भारत के प्रधानसेवक श्री नरेंद्र मोदी जी की समझ वहाँ से शुरू होती है जहाँ तुम सेक्युलर धोखेबाज़ों जयचंदो सोचना खत्म करते हो!
टाइम कैप्सूल’ एक बॉक्स होता है, जिसमे वर्तमान समय की जानकारियां भरी होती हैं। देश का नाम, जनसँख्या, धर्म, परंपराएं, वैज्ञानिक अविष्कार की जानकारी इस बॉक्स में डाल दी जाती है। कैप्सूल में कई वस्तुएं, रिकार्डिंग इत्यादि भी डाली जाती है। इसके बाद कैप्सूल को कांक्रीट के आवरण में पैक कर जमीन में बहुत गहराई में गाड़ दिया जाता है।
ताकि सैकड़ों-हज़ारों वर्ष बाद जब किसी और सभ्यता को ये कैप्सूल मिले तो वह ये जान सके कि उस प्राचीन काल में मनुष्य कैसे रहता था, कैसी भाषाएं बोलता था। टाइम कैप्सूल की अवधारणा मानव की आदिम इच्छा का ही प्रतिबिंब है। अयोध्या में बनने जा रहे राम मंदिर की नींव में एक टाइम कैप्सूल डाला जाएगा।
पाषाण युग से ही मानव की सोच रही है कि वह भले ही मिट जाए लेकिन उसके कार्यों को आने वाली पीढ़ियां याद रखे। इसी सोच ने मानव को इतिहास लेखन के लिए प्रेरित किया होगा। किसी प्राचीन गुफा की खोज होती है तो उसकी दीवारों पर हज़ारों वर्ष पुराने शैलचित्र पाए जाते हैं। ये भी एक तरह के टाइम कैप्सूल ही है, जो एक ख़ास तरह की स्याही से दीवारों पर उकेरे गए थे।
उनकी स्याही में इतना दम था कि हज़ारों वर्ष पश्चात् की पीढ़ियों को अपनी कहानी पढ़वा सके। भारत के प्राचीन मंदिरों में स्थापित शिलालेखों का उद्देश्य यही था, जो आधुनिक काल में टाइम कैप्सूल बनाने वालों का है। भविष्य की पीढ़ियों को वर्तमान के बारे में बताने की ललक ने टाइम कैप्सूल की अवधारणा को जन्म दिया ।
राम राम सत्य है 

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