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Saturday, May 22, 2021

मानसिक , सामाजिक प्रताड़ना के बाद अंततः 7 वर्ष पश्चात पत्रकार तरुण तेजपाल बरी । दुष्कर्म का झूठा मामला

 


हिंदुस्तान में फर्जी दुष्कर्म से संबंधित मामले अंतर्गत विशेष रूप से सामाजिक एवं मानसिक प्रताड़ना से जुड़े हुए क्रम में लगभग 80 से 85% लोग बरी हो जाते हैं । इसी तरह का मामला पत्रकारिता जगत से जुड़े हुए जाने-मने पत्रकार तरुण तेजपाल के संबंध में वर्ष 2012 में सामने आया था । उन्हीं के स्टाफ की एक महिला ने उनके ऊपर दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया था । दुष्कर्म का मामला तरुण तेजपाल के विरुद्ध गोवा में दर्ज किया गया था । लगभग 7 वर्ष तक लगातार सामाजिक एवं मानसिक प्रताड़ना झेलने के बाद यह मामला पूरी तरह से झूठा निकला । इस मामले में आज तरुण तेजपाल को गोवा की स्थानीय अदालत ने बरी कर दिया है । जाने-माने पत्रकार तरुण तेजपाल के बरी होने के साथ ही कई प्रश्न इस मामले में सामने आ गए है । क्या यह मामला राजनीतिक रूप से दर्ज कराया गया था अथवा व्यक्तिगत रूप से संबंधित महिला ने तरुण तेजपाल को बदनाम करने एवं ब्लैकमेल करने के उद्देश्य से मामला दर्ज कराया ।

 

7 वर्षों तक चला प्रख्यात पत्रकार पर यह मामला ।

 

राष्ट्रीय स्तर पर पिछले 20 वर्षों के अंतराल में तरुण तेजपाल तहलका डॉट कॉम के नाम से उस समय सुर्खियों में आए थे जब एनडीए की सरकार अर्थात अटल बिहारी वाजपेई जी की सरकार केंद्र में थी । उन्होंने संबंधित स्टिंग ऑपरेशन के माध्यम से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना नाम रोशन किया था इससे पहले तरुण तेजपाल लगभग 40 वर्षों से पत्रकार का क्षेत्र में बड़े स्तंभ कही जाते हैं । उन्होंने देश के बड़े-बड़े पत्रकारिता संस्थानों में काम किया ।ये केस गोवा के मापुसा के सेशन कोर्ट में चल रहा था। एडिशनल जज क्षमा जोशी ने इस साढ़े सात साल पुराने केस में पिछले महीने फैसला सुरक्षित रखा था। तेजपाल के कहने पर केस की सुनवाई बंद कमरे में की गई। इस मामले में गोवा पुलिस का पक्ष स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर फ्रांसिस्को तवोरा ने रखा, वहीं वकील राजीव गोम्ज और आमिर खान ने कोर्ट में तेजपाल का केस लड़ा।तेजपाल के खिलाफ दुष्कर्म के मामले में कोर्ट 27 अप्रैल को फैसला सुनाने वाली थी, लेकिन जज क्षमा जोशी ने फैसला 12 मई तक स्थगित कर दिया था। फिर 12 मई को फैसला 19 मई तक के लिए टाल दिया गया था। इसके बाद फिर 2 दिन के लिए टालते हुए 21 मई को फैसला सुनाने के लिए कहा था। कोर्ट का कहना था कि कोरोना महामारी के चलते स्टाफ की कमी है इसलिए फैसला टाला जा रहा है।

2013 में तेजपाल के साथ काम करने वाली एक युवती ने उन पर गोवा के एक फाइव स्टार होटल की लिफ्ट में रेप का आरोप लगाया था। 30 नवंबर 2013 को तेजपाल को गिरफ्तार किया गया था। इससे पहले उन्होंने अग्रिम जमानत के लिए अपील भी की थी, लेकिन कोर्ट ने उन्हें कोई राहत देने से इनकार कर दिया था। मई 2014 से तेजपाल जमानत पर हैं।


 

 

महिला सहकर्मी ने लगाया था आरोप ,तेजपाल का निजी जीवन

 


\’तहलका\’ मैगजीन के पूर्व संस्थापक और संपादक तरुण तेजपाल पर नवंबर 2013 में उनकी एक महिला सहकर्मी ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। आरोपों के मुताबिक गोवा में हुए तहलका के \’थिंक फेस्ट\’ इवेंट के दौरान तेजपाल ने पणजी के एक फाइव स्टार होटल की लिफ्ट में दो बार महिला का यौन उत्पीड़न किया था। इस मामले में केस दर्ज होने के बाद 30 नवंबर को उनकी गिरफ्तारी हुई थी। हालांकि जून 2014 में जमानत मिलने के बाद से ही वे बाहर चल रहे हैं।

तेजपाल का जन्म 15 मार्च 1963 को पंजाब के जालंधर शहर में हुआ था। उनके पिता भारतीय सेना में थे, जिसके चलते उन्हें देश के अलग-अलग हिस्सों में रहने का मौका मिला। तेजपाल ने चंडीगढ़ की पंजाब यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में स्नातक (ग्रेजुएट) की पढ़ाई की है। तेजपाल की शादी साल 1985 में हुई थी और उनकी पत्नी का नाम गीता बत्रा है। दोनों कॉलेज में साथ थे। उनकी दो बेटियां हैं, एक का नाम टिया और दूसरी का कारा है।

पत्रकारिता करते हुए पब्लिशर भी बने 


 56 साल के तरुण तेजपाल भारत के प्रसिद्ध पत्रकार, लेखक और उपन्यासकार रहे हैं। उनके पास पत्रकारिता का 30 साल से ज्यादा का अनुभव है। साल 1980 में \’द इंडियन एक्सप्रेस\’ ग्रुप में नौकरी करते हुए उन्होंने अपने पत्रकारिता जीवन की शुरुआत की थी। इसके बाद \’इंडिया-2000\’ नाम की एक मैगजीन में नौकरी करने के लिए वे नई दिल्ली आ गए।


1984 में वे बतौर सीनियर सब-एडिटर \’इंडिया टुडे\’ मैगजीन के लिए काम करने लगे। 1994 में \’फाइनेंशियल एक्सप्रेस\’ को ज्वॉइन कर लिया। इसके बाद वे \’आउटलुक पत्रिका\’ के साथ जुड़े और अगले कई सालों तक वहीं काम करते रहे। इसी दौरान उन्होंने खुद की पब्लिशिंग कंपनी \’इंडिया इंक\’ शुरू की। ये वही कंपनी है, जिसने 1998 में अरुंधति रॉय का उपन्यास \’द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स\’ छापा था। जिसे बुकर प्राइज मिला था।

‘आउटलुक’ छोड़ने के बाद मार्च 2000 में उन्होंने एक अन्य पत्रकार अनिरुद्ध बहल के साथ मिलकर ऑनलाइन इंवेस्टिगेटिव वेबसाइट ‘तहलका डॉट कॉम’ शुरू की। साल 2004 में ये एक टैब्लॉइड न्यूजपेपर में तब्दील हो गई, वहीं 2007 में इसे मैगजीन का रूप दे दिया गया।

तहलका के स्टिंग 


 साल 2000 में तहलका ने पहला स्टिंग ऑपरेशन क्रिकेट में होने वाली मैच फिक्सिंग को लेकर किया। एक साल बाद 2001 में उनका दूसरा स्टिंग ऑपरेशन रक्षा सौदों में होने वाली दलाली को लेकर था। जिसका नाम \’ऑपरेशन वेस्ट एंड\’ था।


\’ऑपरेशन वेस्ट एंड\’ के तहत जिन फुटेज को रिलीज किया गया, उसमें काल्पनिक हथियार सौदा कराने के बदले सरकारी अफसर और नेता कैमरे पर रिश्वत लेते दिखे थे। इस स्टिंग के सामने आने के बाद तत्कालीन सत्तारुढ़ पार्टी के अध्यक्ष और रक्षामंत्री को इस्तीफा देना पड़ा था। इस स्टिंग ने दुनियाभर में सनसनी बटोरी थी और तरुण तेजपाल को इससे काफी प्रसिद्धि भी मिली थी।

उपन्यासकार भी हैं तेजपाल

 

साल 2005 में उन्होंने अपना पहला नॉवेल ‘आल्केमी ऑफ डिजायर’ लिखा था। इसके बाद साल 2009 में उनका दूसरा नॉवेल ‘द स्टोरी ऑफ माय एसेसिनेशन्स’ आया। साल 2011 में उनका नॉवेल ‘द वैली ऑफ मास्कस’ आया था।


 अवॉर्ड्स और सम्मान


 साल 2001 में \’एशियावीक\’ मैगजीन ने तेजपाल को एशिया के 50 सबसे शक्तिशाली संचारकों (कम्युनिकेटर्स) की लिस्ट में शामिल किया था।


साल 2001 में ही \’बिजनेसवीक\’ ने उन्हें एशिया में सबसे आगे रहने वाले 50 लीडर्स की लिस्ट में रखा था।

साल 2007 में द गार्जियन ने उन्हें उन 20 लोगों में शामिल किया था जो भारत के नए अभिजात वर्ग का गठन करते हैं।

साल 2006-07 में उनके डेब्यू नॉवेल \’द आल्केमी ऑफ डिजायर\’ ने \’ले प्रिक्स मिले पेजेस\’ अवॉर्ड जीता था।

साल 2009 में बिजनेसवीक मैगजीन ने तरुण तेजपाल का नाम उस साल के लिए भारत की 50 सबसे शक्तिशाली शख्सियतों की लिस्ट में रखा था।

साल 2010 में तेजपाल को इंटरनेशनल प्रेस इंस्टिट्यूट के इंडिया चेप्टर के तहत \’अवॉर्ड फॉर एक्सीलेंस इन जर्नलिज्म\’ से नवाजा गया था।

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