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Saturday, September 21, 2024

कलेक्टर श्री सक्सेना ने 108 एम्बुलेंस व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए की बैठक


कलेक्टर श्री सक्सेना  ने 108 एम्बुलेंस  व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए की बैठक 


जबलपुर/कलेक्टर श्री दीपक सक्सेना ने आज जिले में एम्बुलेंस संचालन व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक की। जिसमें अपर कलेक्टर श्रीमती मिशा सिंह, शहरी क्षेत्र के सभी एसडीएम,सीएमएचओ डॉ.संजय मिश्रा और स्टेट कोऑर्डिनेटर 108 एंबुलेंस श्री नितिन बाजपेई सहित अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

बैठक में कलेक्टर सक्सेना ने कहा कि जिस अस्पताल के लिए 108 एंबुलेंस से मरीज को रेफर किया जाता है, उसी अस्पताल में जाए।इस दौरान यदि एम्बुलेंस चालक किसी अन्य हॉस्पिटल में मरीज को ले जाता है, तो तत्काल इसकी शिकायत करें।

उन्होंने कहा सामान्य तौर पर मरीज को शासकीय अस्पताल में ही इलाज के लिए रेफर किया जाता है। विगत दिन एंबुलेंस चालक द्वारा निर्धारित अस्पताल में मरीज को न पहुंच कर अन्य प्राइवेट अस्पताल में पहुंचने के कारण उन्होंने कहा कि इसमें कमीशनखोरी की संभावना दिखाई देती है ।अतः उन्होंने स्टेट कोऑर्डिनेटर 108 एम्बुलेंस से कहा है कि विगत 01 अगस्त से 15 सितंबर तक जिले में 108 एंबुलेंस द्वारा कहां-कहां से किस-किस मरीज को किस-किस अस्पताल में पहुंचाया गया, इसकी पूरी जानकारी दें ताकि इसका अध्ययन कर संबंधित पर ठोस कार्रवाई की जा सके।

इसके साथ ही उन्होंने जिले के कुछ अस्पतालों के 45 दिनों की इंडोर पेशेंट की रिपोर्ट भी मांगे हैं। उन्होंने कहा कि एंबुलेंस सेवा एक महत्वपूर्ण सेवा है उसमें किसी प्रकार की दाग नहीं लगना चाहिए। शासकीय एंबुलेंस सेवा का फायदा उठाकर प्राइवेट हॉस्पिटल वाले अपनी रोटी न सेंके।इस अवसर उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं की सुनिश्चितता में मरीज के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं की जावेगी।

Sunday, September 15, 2024

झोलाछाप डॉक्‍टरों द्वारा किये जा रहे अनैतिक चिकित्‍सकीय व्‍यवसाय को प्रतिबंधित करने कलेक्‍टर ने जारी किया आदेश


झोलाछाप डॉक्‍टरों द्वारा किये जा रहे अनैतिक चिकित्‍सकीय व्‍यवसाय को प्रतिबंधित करने कलेक्‍टर ने जारी किया आदेश

जबलपुर // विनय जी. डेविड 9893221036

जबलपुर। झोलाछाप चिकित्‍सकों एवं गैर मान्‍यताधारी व्‍यक्तियों द्वारा किये जा रहे अनैतिक चिकित्‍सकीय व्‍यवसाय को नियंत्रित करने के लिए कलेक्‍टर दीपक सक्‍सेना ने जिले में संचालित अमानक क्‍लीनिक एवं चिकित्‍सकीय स्‍थापनाओं को प्रतिबंधित करने की कार्यवाही के निर्देश अनुभागीय दंडाधिकारियों, विकासखंड चिकित्‍सा अधिकारियों, सिविल अस्‍पतालों के प्रभारी अधिकारियों एवं शहरी सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र के प्रभारियों को दिए है। 

 इस बारे में जारी आदेश में कलेक्‍टर श्री सक्‍सेना ने कहा है कि अपात्र व्‍यक्तियों द्वारा फर्जी चिकित्‍सकीय डिग्री अथवा सर्टिफिकेट का प्रयोग कर झोलाछाप चिकित्‍सकों के रूप में अमानक चिकित्‍सकीय पद्धतियों का उपयोग कर रोगियों का उपचार किया जा रहा है। उन्‍होंने आदेश में अनुभागीय दंडाधिकारियों, विकासखंड चिकित्‍सा अधिकारियों, प्रभारी अधिकारी सिविल अस्‍पताल रांझी, मनमोहन नगर एवं सिहोरा तथा शहरी सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र के प्रभारियों को निर्देश दिए है कि अपात्र व्‍यक्तियों अथवा झोलाछाप चिकित्‍सकों द्वारा किये जा रहे अनैतिक चिकित्‍सकीय व्‍यवसाय को नियंत्रित करने हेतु अमानक क्‍लीनिक व चिकित्‍सकीय स्‍थापनाओं को तत्‍काल प्रतिबंधित किया जाये। 

 श्री सक्‍सेना ने कहा है कि बिना उचित पंजीयन के अमानक चिकित्‍सकीय संस्‍थाओं का संचालन मध्‍यप्रदेश उपचर्यागृह तथा रूजोपचार संबंधी स्‍थापनाएं (रजिस्‍ट्रीकरण तथा अनुज्ञापन) अधिनियम 1973 की धारा 3 का उल्‍लंघन है एवं ऐसा करना दण्‍डनीय अपराध है। इसके लिए 3 वर्ष का कारावास एवं 50 हजार रूपये के जुर्माने से दंडित भी किया जा सकता है। उन्‍होंने बिना वैधानिक डिग्री प्राप्‍त किये अपने नाम के आगे डॉक्‍टर की उपाधि का इस्‍तेमाल करने वाले चिकित्‍सकीय व्‍यवसाय करने वाले व्‍यक्तियों के विरूद्ध भी कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं। 

 कलेक्‍टर ने झोलाछाप एवं अपात्र व्‍यक्तियों के विरूद्ध की गई कार्यवाही की जानकारी निर्धारित प्रपत्र में मुख्‍य चिकित्‍सा एवं स्‍वास्‍थ्‍य कार्यालय के नोडल अधिकारी नर्सिंग होम डॉ. आदर्श विश्‍नोई को उपलब्‍ध कराने के निर्देश भी अनुभागीय दंडाधिकारियों, विकासखंड चिकित्‍सा अधिकारियों, प्रभारी अधिकारी सिविल अस्‍पताल रांझी, मनमोहन नगर एवं सिहोरा तथा शहरी सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र के प्रभारियों को दिए हैं।

Monday, September 2, 2024

कांबिंग गस्त में कई वर्षों से फरार मामलों के पकड़े गए 511 वारंटी पकड़े गए

 


जबलपुर. पुलिस अधीक्षक जबलपुर श्री आदित्य प्रताप सिंह (भा.पु.से.) द्वारा अपराधों की रोकथाम हेतु गुंडे, बदमाशों एवं असामाजिक तत्वों के विरुद्ध उनके आपराधिक रिकार्ड को दृष्टिगत रखते हुए प्रतिदिन प्रतिबंधात्मक कार्यवाही कराई जा रही है.

वहीं थानों में लंबित वारंटो की तमीली तथा मामलों में फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए कांबिंग गस्त हेतु आदेशित किए जाने पर दिनॉक 30-08-24 की रात्रि 12 बजे से आज दिनांक 31.08.24 के प्रातः 5 बजे तक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शहर सुश्री सोनाक्षी सक्सेना (भा.पु.से. ), अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (अपराध) श्री समर वर्मा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शहर (यातायात) श्री प्रदीप कुमार शेण्डे, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) श्री सूर्यकांत शर्मा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) श्रीमति सोनाली दुबे, तथा समस्त नगर पुलिस अधीक्षकों/उप पुलिस अधीक्षक/एसडीओपी के मार्गदर्शन में समस्त थाना प्रभारी शहर एवं देहात द्वारा हमराह स्टाफ के कॉम्बिग गस्त की गयी। कॉम्बिग गस्त के दौरान वारंटी एवं लंबित मामलों में फरार आरोपियों की गिरफ्तारी हेतु प्रत्येक थाने में 2-3 टीमें बनाई गई, एक टीम के प्रभारी थाना प्रभारी स्वयं थे, अन्य टीम के प्रभारी उप निरीक्षक सहायक उप निरीक्षक स्तर के अधिकारी थे। टीमों के द्वारा दबिश देते हुए कॉम्बिंग गस्त के दौरान कई वर्षों से फरार 209 गैर म्यादी वारिटयों एवं 302 गिरफ्तारी वारंटियों को पकडा गया तथा 133 जमानती वारंट तामील किए गए। इसी प्रकार अवैध शराब कारोबारियों के ठिकानों पर दबिश देते हुये 35 आरोपियों को पकड़कर 17 लीटर कच्ची तथा 531 पाव देशी/विदेशी शराब जप्त की गयी।

Saturday, August 31, 2024

मध्य प्रदेश सरकार पर चार लाख करोड़ का कर्ज : क्या प्रदेश की जनता को कर्ज में डुबोने की योजना में है भाजपा सरकार?



  • पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का तंज- ''कर्ज़ लो और घी पियो'' के सिद्धांत पर चल रही है मोहन सरकार
  • कांग्रेस की ओर से अकेले योद्धा बनकर कमलनाथ ने मोहन सरकार को घेरा
  • कमलनाथ ने जताई दलितों पर हो रहे अत्‍याचारों पर चिंता


विजया पाठक, एडिटर, जगत विजन

एक कहावत है आदमी को केवल उतना ही पैर पसारना चाहिए जितनी लंबी चादर हो। लेकिन मध्यप्रदेश के परिप्रेक्ष्य में यह बात बिल्कुल उलट साबित हो रही है। दरअसल मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव प्रदेश के विकास को लेकर लगातार कार्य तो कर रहे हैं, लेकिन विकास का यह कार्य वे उधार लिये हुए पैसों से कर रहे हैं। सोचने वाली बात यह है कि आखिर मध्यप्रदेश के सिर से कर्ज का यह बोझ कब समाप्त होगा। पहले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 18 सालों तक 04 लाख करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज प्रदेश पर छोड़़ा है। वहीं, अब मोहन सरकार लगातार कर्ज लेकर प्रदेश के विकास की इबारत लिखने की तैयारी में है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब आरबीआई और विश्व बैंक प्रदेश की जनता से इन करोड़ों रुपये के उधार का कर्ज वसूल करने के लिये आतुर हो जायेगा। इसके साथ ही पूर्व मुख्‍यमंत्री कमलनाथ ने प्रदेश में दलितों पर हो रहे अत्‍याचारों पर भी काफी चिंता व्‍यक्‍त की है। उन्‍होंने कटनी जीआरपी थाने की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि दलित समाज प्रदेश में असुरक्षित है और उन पर काफी अत्‍याचार हो रहे हैं।

05 हजार करोड़ के लोन की है तैयारी

मध्यप्रदेश में चल रही योजनाओं पर आर्थिक संकट मंडरा रहा है। राज्य सरकार वित्तीय जरूरतें पूरा करने के लिए लगातार बाजार से कर्ज उठा रही है। सरकार एक बार फिर 05 हजार करोड़ का लोन लेने जा रही है। सरकार यह कर्ज दो किश्तों ढाई-ढाई हजार करोड़ के रूप में ले रही है। इसके पहले भी सरकार इसी माह 05 हजार करोड़ का लोन ले चुकी है। प्रदेश सरकार पर 31 मार्च 2024 की स्थिति में 03 लाख 75 हजार करोड़ का कर्ज हो चुका है। वित्तीय संकट को देखते हुए वित्त विभाग ने 33 विभागों की 73 योजनाओं पर पाबंदी लगाई है। यानी विभागों को इन योजनाओं पर पैसे खर्च करने के पहले वित्त विभाग से अनुमति लेनी होगी। हालांकि वित्त विभाग के अधिकारियों के मुताबिक राशि निकालने से पहले वित्त की मंजूरी का मतलब यह नहीं है कि योजनाएं बंद हो गई हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मुख्यमंत्री को घेरा

भाजपा शासन के समय सबसे ज्यादा कर्ज लेने की बात से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ खासे नाराज हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देते हुए स्पष्ट कहा है कि मध्य प्रदेश सरकार कर्ज के दलदल में धंसती जा रही है। यह कर्ज दो बार में ढाई-ढाई हजार करोड़ रुपए के रूप में लिया जाएगा। कर्जखोरी को लेकर कमलनाथ ने राज्य सरकार को निशाने पर लिया है। कमलनाथ ने कहा कि 'मध्य प्रदेश की डॉ. मोहन यादव सरकार कर्ज़ लो और घी पियो के सिद्धांत पर चल रही है। सरकार एक बार फिर से पाँच हज़ार करोड़ का कर्ज़ लेने जा रही है। प्रदेश पर पहले से ही 3.8 लाख करोड़ का कर्ज़ है। कमलनाथ ने कहा 'प्रदेश को कर्ज़ के दलदल में डुबाने वाली भाजपा सरकार के मुंह से आज तक यह नहीं सुना कि अगर प्रदेश के ऊपर कर्ज़ बढ़ रहा है तो सरकार फ़िज़ूल ख़र्च में कमी करने के लिए कोई क़दम उठाने जा रही है। लगातार कर्ज़ लेने के बावजूद न तो प्रदेश में निवेश बढ़ा है, न रोज़गार बढ़ा है, न नौकरी बढ़ी है, न ही गेहूं और धान का समर्थन मूल्य बढ़ाया गया है और न ही लाड़ली बहनों को तीन हज़ार रुपये प्रति महीने दिए जा रहे हैं।

प्रदेश दिवालियेपन की कगार पर न पहुंच जाये

कमलनाथ ने लिखा है कि जब समाज के किसी वर्ग के कल्याण में यह पैसा ख़र्च नहीं हो रहा तो ज़ाहिर है, यह सारा कर्ज़ भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है और सत्ता और संगठन मिलकर पैसे की बंदरबांट कर रहे हैं। अगर मोहन यादव सरकार इसी तरह कर्ज़ लेती रही तो प्रदेश दिवालियेपन की कगार पर पहुँच जाएगा। उन्होंने मुख्यमंत्री यादव से कहा कि उन्हें अपनी वित्तीय नीतियों के बारे में फिर से सोचना चाहिए और इस तरह के क़दम उठाने चाहिए जिससे प्रदेश कर्ज़ के दलदल से बाहर आ सके।

06 अगस्त को लिया था पांच हजार करोड़ का कर्ज

उल्लेखनीय है कि इससे पहले, छह अगस्त को मोहन सरकार ने पांच हजार करोड़ का कर्ज लिया था। इसके बाद लाड़ली बहना योजना के लाभार्थियों को राखी के लिए 250 रुपए और 1250 रुपए की मासिक किश्त, कर्मचारियों को महंगाई भत्ते के बकाया एरियर्स की राशि का भुगतान किया गया है। छह अगस्त को लिए गए कर्ज में 11 साल और 21 साल की अवधि में ब्याज का भुगतान करना तय किया गया है। राज्य सरकार औसतन हर महीने 2000 करोड़ का कर्ज ले रही है। इस महीने तो ये दस हजार करोड़ तक पहुंच गया है। मध्य प्रदेश की वित्तीय स्थिति पहले ही चिंताजनक है अब एक और नया कर्ज, एमपी सरकार के वित्तीय संकट के दलदल में फंसने का इशारा कर रहा है।

कमलनाथ की चेतावनी, कब रूकेगा दलितों पर अत्‍याचार

पूर्व मुख्‍यमंत्री कमलनाथ ने कटनी जीआरपी थाना प्रभारी के आफिस में नाबालिग बच्‍चे और उसकी दादी के साथ हुई मारपीट का वीडियो एक्‍स पर अपलोड किया है। उन्‍होंने एक्‍स पर लिखा है कि जीआरपी थाने में हुई मारपीट बताती है कि मध्‍यप्रदेश में दलितों पर अत्‍याचार दिनोंदिन बढ़ते जा रहे हैं। प्रदेश की भाजपा सरकार दलितों के साथ बड़े ही बेरहमी से पेश आ रही है। प्रदेश के दलित अत्‍याचारों से परेशान हैं।

कैग भी जता चुका है राजकोषीय घाटे पर चिंता

हाल ही में कैग ने अपनी रिपोर्ट में सरकार के बढ़ते राजकोषीय घाटे पर चिंता जताते हुए कहा था कि सरकार को ज्यादा कर्ज लेने के बजाय राजस्व बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। साथ ही, नुकसान उठा रहे उपक्रमों के कामकाज की समीक्षा कर उनमें सुधार की रणनीति बनाई जाना चाहिए। बजट तैयार करने की प्रक्रिया ऐसी हो, ताकि बजट अनुमान और वास्तविक बजट के बीच के अंतर को काम किया जा सके।

इन योजनाओं पर लगाई गई पाबंदी

वित्त विभाग ने जिन 73 योजनाओं पर अनुमति लेना जरूरी किया है, उनमें नगरीय विकास एवं आवास योजना की 08 योजनाएं हैं। इसमें कायाकल्प अभियान, महाकाल परिसर विकास योजना, नगरीय क्षेत्रों में अधोसंरचना निर्माण, एमनी अर्बन डवलपमेंट प्रोजेक्ट पर रोक लगाई गई है। इसके अलावा कृषि विभाग की समर्थन मूल्य पर किसानों से फसल उपार्जन पर बोनस, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, मुख्यमंत्री पुलिस आवास योजना, ऋण समाधान योजना, औद्योगिकीकरण अधोसंरचना विकास, डेस्टिनेशन मध्यप्रदेश इंवेस्ट ड्राइव, क्लस्टरों की स्थापना, वेदांत पीठ की स्थापना, रामपथ गमन अंचल विकास योजना, मुख्यमंत्री बालिका स्कूटी योजना, मुख्य जिला मार्गों एवं अन्य का नवीनीकरण, लाडली बहना आवास योजना, मुख्यमंत्री आवास योजना, युवक-युवतियों को रोजगार प्रशिक्षण, ग्रामीण परिवहन नीति के क्रिय़ान्वयन, मां तुझे प्रणाम, स्टेडियम एवं अधोसंरचना निर्माण जैसी योजनाएं शामिल हैं।

इन 52 योजनाओं से हटाई गई रोक

वहीं, वित्त विभाग ने 52 योजनाओं से खर्च की पाबंदी को खत्म कर दिया है। जुलाई माह में वित्त विभाग ने 47 विभागों की 125 योजनाओं पर रोक लगाई थी। इसमें से 52 पर रोक हटा ली गई है। बताया जा रहा है कि आरबीआई से कर्ज लेने के बाद इन विभागों से रोक हटा ली गई है। उधर, बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता सतेन्द्र जैन के मुताबिक "प्रदेश में कोई भी योजना बंद नहीं हुई है। वित्त विभाग की अनुमति लेना वित्तीय अनुशासन की प्रक्रिया होती है। प्रदेश सरकार के पास पैसों की कमी नहीं है। लगातार नई योजनाओं पर काम हो रहा है और पुरानी योजनाओं का भी लाभ लोगों को मिल रहा है।" इधर, कांग्रेस ने सरकार द्वारा लगातार कर्ज लिए जाने को लेकर निशाना साधा है। कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता भूपेन्द्र गुप्ता आरोप लगाते हैं "सरकार की अधिकांश योजनाएं कर्ज लेकर चल रही हैं।