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(होशंगाबाद // टाइम्स ऑफ क्राइम)
जिले के खाद्य कार्यालय में व्याप्त भर्रा शाही की कलई अब धीरे धीरे खुलने लगी है। पूर्व मे यहां पर पदस्थ रहने वाले सहायक आपूर्ति अधिकारी आर. पी. गुप्ता ने किस तरह से खाद्य आवंटन का घालमेल एक फर्जी राशन दुकान के माध्यम से किया जिसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। मामले की जानकारी जिला प्रशासन को मिलने के बाद जॉच कराए जाने के बाद मामले में सच्चाई उजागर होने के बाद भी दोषी कर्मियों के खिलाफ कार्यवाही न किया जाकर मामले को ठंडे बस्ते में डालना चर्चा का विषय बना हुआ है और प्रशासन की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा दिया है।जिले की तहसील इटारसी के प्रतिबधिंत क्षेत्र सी पी ई में एक कतिपय संस्था द्वारा खाद्य विभाग के आला अधिकारियों की सांठ गांठ से अन्नपूर्णा प्राथमिक उपभोक्ता के नाम से एक दूकान दिखाकर प्रत्येक माह खाद्य विभाग से राशन-केरोसिन का आवंटन लिया जाने का मामला प्रकाश मे आया हालांकि उपरोक्त फर्जी दुकान वर्ष 2008 जून में बंद हो गयी। इस संबंध में सूत्रों का कहना हैं। तत्कालीन सहायक आपूर्ति अधिकारी आर. पी. गुप्ता ने तत्कालीन जिला आपूर्ति अधिकारी नियाज अहमद खान की सांठगांठ से इटारसी के सीपीईओ जो कि डिफेंस क्षेत्र है वहां पर अन्नपूर्णा प्राथमिक उपभोक्ता के नाम से एक फर्जी दुकान को कागजों में दर्शा कर लाखों रूपए के खाद्य आवंटन में गोलमाल किया। बताया जा रहा है कि यह फर्जी वाड़ा वर्ष 2006 से लेकर जून 2008 तक चला। इस मामले की सूचना जब तत्कालीन जिला कलेक्टर रहे जीपी तिवारी को लगी तो उन्होनें कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी कालूराम जैन को जांच करने के आदेश दिए। इस दौरान कालूराम जैन ने जब मौके पर जाकर जांच की तो मौके पर अन्नपूर्णा नाम से कोई दुकान नहीं पाई गयी। वहीं सहायक आपूर्ति अधिकारी आर पी गुप्ता ने उक्त फर्जी दुकान में 400 राशन कार्डों को अटैच होना भी बताया था और उन 400 फर्जी राशन कार्डों के नाम पर दो साल तक खाद्य आवंटन कराया जाता रहा है। बताया गया कि वर्ष 2006 से 2008 तक इस फर्जी दुकान को 1200 लीटर केरोसिन दिलाकर शासन को लगभग 20000 हजार रूपए का चूना श्री गुप्ता सहित तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर नियाज अहमद खान द्वारा लगाया गया। इस मामले में जब श्री जैन ने जांच कर जांच प्रतिवेदन कलेक्टर को सौंपा तो उनके भी होश उड़ गए थे। इसके बाद उक्त दुकान का आवंटन बंद कर दिया गया और आज दिनांक तक उस दुकान का अतापता नहीं है। यह मामला आज भी ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है। जिसकी जांच होना पुन: आवश्यक है। मामले में दोषी अधिकारियों के विरूद्ध शासन के साथ धोखाधड़ी किए जाने का मामला पुलिस में दर्ज कराया जाना चाहिए। बहरहाल दो वर्षों से मामला ठंडे बस्ते में है और वर्तमान जिला आपूर्ति अधिकारी मामले में मौन धारण किए बैठी है।
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