Pages

click new

Tuesday, June 8, 2010

लोभी बैतूल पुलिस को चाहिए पैसा

1. झूठे प्रकरणों में पुलिस दिखाती है रूचि।
2. म.प्र. में ऐसा एक मात्र थाना जहां पहले दर्ज होती है फर्जी एफ.आई.आर.।
3. गृह मंत्रीजी, क्या ऐसा ही होगा आपके रहते।
बैतूल // अपराध संवाददाता (टाइम्स ऑफ क्राइम)
देश भक्ति जन सेवा का नारा देने वाली पुलिस या वरिष्ठ अधिकारी अपने कर्तव्यों पर कितना उतरते हैं। यह बात सभी अच्छी तरह जानते एवं समझते हैं। यदि पुलिस अपने कर्तव्यों का निर्वहन ईमानदार लगन शीलता से करती तो स्थिति कुछ और होती। पुलिस ने नोटों के लालच में अपना मान सम्मान भी खो दिया है। यही कारण है कि पुलिस की विश्वसनीयता पर आम आदमी का विश्वास उठ गया है। पुलिस अचानक ही संदेहास्पद स्थिति के घेरे में है। बैतूल जिले की तहसील थाना चिचौली में एक घटना सामने आई है, जिसे महिला के विरूद्ध आरोपी ने पहले एफ. आई. आर. दर्ज कराई एवं बाद में उसके घर जाकर मन चाहे ढंग से छेड़छाड़ की। पुलिस ने महिला की द्वारा दर्ज कराई गई रिपोर्ट के मुताबिक आरोपियों ने महिला के साथ घिनौनी हरकतें की। जब महिला अपने साथ हुई ज्यादतियों को लेकर थाने पहुंची तो ज्ञात हुआ कि आरोपीगण अपनी बचत के लिए पहले ही योजना बद्ध तरीके से रिपोर्ट दर्ज करा चुके हैं। बैतूल थाना क्षेत्रान्र्तगत यह पहला मामला नहीं है, जिसमें यह मान लिया जाए कि तृटिवश ऐसा हो गया होगा। पुलिस ने अपनी आदत मेें इस चीज को वाकायदें शामिल कर लिया है, कि इसलिए भी कि इसमें किसी को पार्टी बनाकर धर्नाजित किया जाए। आवेदिक रामदुलारी बाई का यह पहला मामला नहीं। ऐसा ही एक और मामला झठी शिकायत का सामने आया है। पुलिस द्वारा दोनों की रिपोर्ट तैयार कर कार्यवाही इस उद्देश्य से की गई कि कोई भी छोटी-बड़ी घटना मामले में घटित न हो। कुल मिलाकर बैतूल जिला मुख्यालय व प्रदेश में सरकार के अपेक्षानुरूप कार्य नहीं हो रहे। ऐसा प्रतीत होता है कि चिचौली में आतंकराज का बोलबाला है इस घटनाक्रम से महिलाओं का जीवन सुरक्षित नही है। ''टाइम्स ऑफ क्राइमÓÓ टीम ने पीडि़त महिला से अपना पक्ष जाना जो इस तरह से है। पुलिस ने अपनी आदत मेें इस चीज को वाकायदें शामिल कर लिया है, कि इसलिए भी कि इसमें किसी को पार्टी बनाकर धर्नाजित किया जाए। आवेदिक रामदुलारी बाई का यह पहला मामला नहीं। ऐसा ही एक और मामला झठी शिकायत का सामने आया है। पुलिस द्वारा दोनों की रिपोर्ट तैयार कर कार्यवाही इस उद्देश्य से की गई कि कोई भी छोटी-बड़ी घटना मामले में घटित न हो। कुल मिलाकर बैतूल जिला मुख्यालय व प्रदेश में सरकार के अपेक्षानुरूप कार्य नहीं हो रहे। ऐसा प्रतीत होता है कि चिचौली में आतंकराज का बोलबाला है इस घटनाक्रम से महिलाओं का जीवन सुरक्षित नहीं है। ''टाइम्स ऑफ क्राइमÓÓ टीम ने पीडि़त महिला से अपना पक्ष जाना जो इस तरह से है। ''थाना चिचोली की रामदुलारी जोजे के साथ इतनी घिनौनी घटना घटने के बाद पुलिस सकते में आई और फिर आरोपियों पर कार्यवाही हुई। जबकि पुलिस आरोपियों की प्रथम रिपोर्ट के आधार पर फरियादी चुप्पी साधकर बैठ गई थी। यदि रामदुलारी नहीं आती तो आरोपी। विकास एवं कैलाश सारे राह घूमते नजर आते। सोचनीय पहलू यहां यह है कि पुलिस कितनी गंदगी युक्त सोच रखती है कि पैसे से मतलब रखो किसी की इज्जत आबरू लुटे हमें क्या लेना। घटना बैतूल जिले के ग्राम मलाजपुर थाना चिचोली की है, यहां कि रामदुलारी जोजे गुटानी उम्र (50) वर्ष के साथ आरोपी गण उसी ग्राम के विकास उर्फ गब्बर, कैलाश ने पहले तो खेत की मेढ़ बढ़ाने की बात को लेकर झगड़ा किया। तथा रामदुलारी के समझाईश को तब्बजो देकर उसकी लात घूसों से मारपीट कर दी। मेरे द्वारा चिल्ला चोट करने पर बीच बचाव का प्रयास मेरी पुत्र वधु ललता ने किया तो विकास ने उसे भी गालियां दी और कहां कि यदि तूझे अपनी इज्जत प्यारी है तो यहां से चली जा तेरी सास को तो में निपटा कर ही मानूंगा। भला सास की आबरू लूटते बहू कैसे देख सकती थी। प्रतिकार स्वरूप उसने आरोपी विकास से बचाने का पूरा प्रयास किया। ललता की इज्जत हुई तार-तार सास को बचाने के प्रयास में जुटी पुत्र वधु ललता को भी विकास ने अपना शिकार बनाया। ललता की साड़ी पकड़कर खींची जिससे की खींचतान में साड़ी तीन जगह से फट गई। आरोपी ने साड़ी को शरीर से जुदा कर दिया। इसके बाद उसने पूरी ताकत से ललता का ब्लाऊस व पेटीकोट फाड़कर जार-जार कर दिया। जब भी ललता अपने आपको बचाने का प्रयास करती रही, आरोपी विकास को तो वासना का भूत सवार था। तो उसने ललता के जमीन पर पटक कर उसकी पेंटी भी उतारने की कोशिश की। बेचारी बेबस ललता की ताकत कहां तक काम करती। उसको निर्वस्त्र कर दिया। इसके बाद दोनों ही आरोपी विकास एवं कैलाश ने इज्जत लूटने की कोशिश की थी। सारे घटनाक्रम की गवाह लड़की रानी है। पुलिस ने डाली ढील आरोपी विकास एवं कैलाश ने पहले ही थाने में रिपोर्ट दर्ज कराकर अपने आप को बचा लिया था। लेकिन महिला के पक्ष को ध्यान में रखकर पुलिस ने अपनी औपचारिकता का निर्वहन किया। पुलिस ने दल-बल से सबल आरोपियों के अपने प्रयासों से बताया। पुलिस तो स्पष्ट कह रही है कि हमारी और से मजबूरन रामदुलारी बाई के पक्ष में प्रकरण दर्ज करना पड़ा। मामला चूंकि एससी वर्ग का है इस कारण आरोपियों पर कार्यवाही का चालान न्यायालय में प्रस्तुत किया जहां से 15 मई 2010 को उन्हें जेल भेज दिया गया। पुलिस ने नहीं की कपड़ो की जप्ती पुलिस ने अपनी और से सिर्फ औपचारिकता निभाई है यही वजह है कि उसने अभी तक ललता बाई की लाल साड़ी, ब्लाऊस और पेटीकोट जब्त नहीं किया है। बल्कि पुलिस का ये कहना है कि ये वस्त्र तुम अदालत में दिखाना। घटना की जांच कर रहे विवेचना अधिकारी ''रामपाल शर्मा से पक्ष जाना तो उनका कहना था कि आरोपी विकास एवं कैलाश की तरफ से रिपोर्ट की गई थी। इस कारण पुलिस चुप थी। जैसे ही महिला का मामला आया तो पुलिस ने सख्ती बरतनी शुरू कर दी। श्री शर्मा से जब पूछा गया कि मामले में जांच अधिकारी एस.डी.ओ.पी मौन हैं तो उन्होंने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि वह एस.डी.ओ.पी साहब का मोबाईल नम्बर जानते ही नहीं है।

No comments:

Post a Comment