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Wednesday, July 7, 2010

टाटा एआईजी लाइफ इंश्योरेंस एजेंट का कमाल, इंश्योरेंस कराया अब जान भी दो

भोपाल//विनय जी. डेविड प्रांतीय महासचिव, म. प्र. ऑल इण्डिया स्माल न्यूज पेपर्स एसोसिएशन
( टाइम्स ऑफ क्राइम) ट्रीन.....ट्रीन......ट्रीन......सर नमस्कार में टाटा ए.आई.जी. इंश्योरेंस कंपनी से जाहिदा खान बोल रही हूं आप हमारी कंपनी में अपना पैसा लगा कर लाभ कमा सकते हैं। सर में आपसे मिल कर और भी जानकारी देना चाहती हूं। ऐसी मीठी-मीठी जुबान से भला कौन समझ पायेगा की उसकी शामत आने वाली है। यहीं से सिलसिला शुरू होता है। इंश्योरेंस कराने वाले ग्राहक का, ये कॉल करने वाले बकायदा कंपनी के दफ्तर के फोन से कॉल करते हैं। ऐसे हजारों फोन रोज अनेकों ग्राहक को लुभाने के लिये किये जाते हैं। जादिदा भी टाटा ए.आई.जी. ऑफिस एम.पी.नगर जोन-1 में तैनात थीं। जो अपने ग्राहकों को अपनी भोली-भाली बातों में फंसा कर ग्राहक को अपने चुंगल में फंसा कर लूट करती थी। वहीं इसके साथ नये-नये लड़के जो अपनी बड़ी इच्छाओं की पूर्ती के लिये ऐसे लोगों को निशाना बनाते थे। जो पचास हजार, एक लाख की पॉलिसी आसानी से लेते हों। क्योंकि ये लड़के नई उम्र में है और भोपाल में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने आये हैं। और इनको मां-बाप सीमित रूपया देते है। जिससे इनका खर्चा पूरा नहीं होता यही कारण है कि ये लोग शरीफ ग्राहकों को अपने चुंगल में फंसा कर लूटते हैं और मौका पडऩे पर जानलेवा हमला करने से बाज भी नहीं आते।
टाटा ए.आई.जी. इंश्योरेंस कंपनी की एजेन्ट आईशा शातिर चालाक और साँठगाँठी है वो अपनी कंपनी के अधिकारियों के साथ भी मिलकर ग्राहक को मामू बनाती है। इन अधिकारियों में इतना सांझा है कि ये एक दूसरे को पूर्ण सहयोग करतें है। ''टाइम्स ऑफ क्राइमÓÓ ऐसे षढय़ंत्रकारियों का भी शीघ्र खुलासा करेगा। घबराईये नहीं बस इतना समझ लें ऐसी अनजानी कॉल के चक्कर में आपको इनके शिकार बनाने से कोई रोक नहीं सकता। थाना बागसेवनियां क्षेत्र में हुई 04 जून की घटना में पुलिस में मेडिकल रिर्पोट आने के बाद धारा 307 और जोड़ दी है जिस पर थाना प्रभारी की मुस्तैदी ने सहयोगी आरोपी थामस फ्रांसिस पिता जी.एल. वर्मा निवासी पन्ना को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है वहीं मुख्य आरोपी विवेक पाठक फरार है। जिसे पुलिस तलाश कर रही है। भला पैसा भी एक मजबूर आदमी को जहां साधन सम्पन्न बना देता है, वहीं ये ही पैसा आदमी को इतना नीचे गिरा देता है जिसकी कल्पना भी आप नहीं कर सकते। ऐसा ही कुछ देखने मिल रहा है भोपाल शहर में, जहां कि इंश्योरेंस कम्पनियां सुंदर बालाओं को लाकर ग्राहकों से लम्ब-सम्ब पैसा ऐंठ रही है, वहीं वे इन सीधे साधे भोले-भाले लोगों के प्राणों की प्यासी बनकर अपनी संदिग्ध गतिविधियों के संचालन में भी पीछे नहीं है। शहर में एक ऐसी ही इश्योरेंस कंपनी का नाम सामने आया है जिनकी एक एजेंट युवती ने शहर में ही एक वरिष्ठ पत्रकार को मीठी-मीठी बातों से अपने चंगुल में लेकर उन्हें कंपनी का सदस्य बनने पर ही मजबूर नहीं किया बल्कि उनके साथ घर पर बुलाकर बदसलूकी भी की गई। इश्योरेंस कंपनी की युवती ने पत्रकार से 4,500 रूपये छीनने के बाद उनके गले की सोने की चैन तथा मोबाइल, अंगूठी आदि छीन ली। साथ ही उनके साथ मारपीट की गई। जिससे मरणसन्न अवस्था में उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। इससे ऐसा प्रतीत होता कि किसी भी संस्थान या फर्म में काम करने वाली युवती बिना किसी संरक्षण के इतना बड़ा कदम नहीं उठा सकती। जाहिदा उर्फ आईशा उम्र (22) वर्ष की इस खूबसूरत नैन नक्श वाली लड़की ने अवधेश भार्गव को टेलीफोन करके बुलाया। बीमा करने के उद्देश्य से श्री भार्गव-9ए/282 साकेत नगर पहुंचे जहां से लड़की एक किराये के मकान में निवास करती है। घर पर बुलाते ही लड़की ने उनसे रूपये की मांग की। श्री भार्गव ने पैसे देने को मना कर दिया। श्री भार्गव घर से बाहर निकलते कि जाहिदा उर्फ आईशा एवं उनके साथ देवेन्द्र पाटीदार (24) बीट्स कालेज भोपाल, एवं पीयुष तिवारी (27)वर्ष पुत्र राजेश तिवारी, विवेक पाठक एवं थामस फ्रांसिस पिता जी. एल. वर्मा निवासी पन्ना ने मारपीट कर दी, इन लड़कों ने श्री भार्गव पर प्राणलेवा हमला बोल दिया। अस्पताल में इलाज के दौरान उनके सिर में जहां 54 टांके आए है। वहीं उनके हाथ पैरों में भी गंभीर चोंटे है। सोचनीय पहलू तो यहां यह है कि आखिर चंद दिनों में करोड़ पति बनने का सपना संजोने वाली इन कंपनियों का इस तरह से षडय़ंत्रकारी कदम उठाना उचित है। ऐसी इंश्योरेंस कंपनियां कंपनियां की जाहिदा उर्फ आईशा एजेंट सभ्य एवं सीधे साधे लोगों को अपने मोह में फांसकर उनको लूटती हैं वहीं उनके साथ मारपीट के अलावा प्राण लेने में भी पीछे नहीं रहती इस सच्चाई का पर्दाफाश तो उस समय हुआ जबकि एक पत्रकार पर हमला होने के बाद जैसे-तैसे मामला सामने आया। बीमा कंपनी ऐसे न जाने कितने अवधेश भार्गव पर हमला करवा चुकी होगी जिसकी जानकारी आज तक उजागर नहीं हो पाई। क्योंकि उनका खुलासा करने वाला वहां था कौन? दूसरा यह कि यदि किसी भी तरह घटना सामने आई भी तो उसका शिकार कौन हुआ। वह जो कि हादसे का शिकार हुआ उसके ऊपर बीमा कंपनी तथा मीडिया ने भी न जाने कितने आरोप प्रत्यारोप लगाए। कुल मिलाकर सच तो यही सामने आया कि आखिरकार एक व्यक्ति बीमा कंपनी का सदस्य भी बने अपने पैसे भी फसाये और आरोपित होकर सजा भी काटे। बीमा कंपनी क्यों करती है ऐसाबीमा कंपनी एक नहीं, सभी कहीं न कहीं किसी कार्य में इन्वॉलव रहती है। सच का भांडा फोड़ तो उस समय होता है, जबकि कोई घटना सामने आ जाती है। घटना यदि सामने नहीं आती तो कहीं दिक्कतों-परेशानियों की बात नहीं आती। लेकिन कहीं न कहीं ये कंपनियां दोषी रहती है। क्योंकि बिना किसी अन्य तरीके से इतनी जल्दी इतना धर्नाजन संभव ही नहीं है। आज कोई भी आसानी से इतना बड़ा व्यक्ति नहीं बन सकता उसका कारण है कि इतनी आसानी से इतना अधिक धन अर्जित नही किया जा सकता। दो दिन में इतने बड़े पैमाने पर धर्नाजन संभव नहीं होता।

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