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Wednesday, September 15, 2010
दुराचार का आरोपी बाबा विकासानंद को मिली सजा
नगरपालिका चन्देरी में बेहिसाव भ्रष्टाचारी
चन्देरी नगरपालिका परिषद में वेहिसाव भ्रष्टाचारी की जा रही है। रोज नये-नये भ्रष्टाचारी के तरीके जन्म लेते हैं। प्रत्येक नया सी.एम.ओ. अस्थायी कर्मचारियों को बाहर करता है, नये कर्मचारियों को पैसा लेकर निुयक्ति करता है, वेहिसाव हो रहे भ्रष्टाचार को देखकर किसी नागरिक का दिल दहल सकता है वेचारी जनता बेवस है हर वार परिषद के अध्यक्ष, पार्षद, जनता को पागल बनाकर वोट प्राप्त करते है वाद में उसी जनता का वही पार्षद खून चूसते हैं। यही आलम है चन्देरी नगरपाकिा का हमारे क्षेत्र के लोक प्रिय व विकास शील नेता श्रीमंत ज्योतिरादित्य जी सिंधिया ने जनहित के कार्य करने एवं भ्रष्टाचार रोकने हेतु श्री जगभान सिंह यादव को सांसद प्रतिनिधि नियुक्त किया। भ्रष्टाचारी की खबरो से त्रस्त सांसद प्रतिनिधि ने श्रीमान सी.एम.ओ. नगरपालिका से सूचना के अधिकार के तहत कुछ जानकारी मांगी गई, पहले तो सी.एम.ओ. ने आवेदन लेने से ही आना कानी की वाद में लिया तो सांसद प्रतिनिधि से अवशब्दों का प्रयोग किया गया। जव जगभान ने श्रीमंत सिंधिया साहव का नाम लिया तो सी.एम.ओ. ने श्रीमंत सिंधिया को भी नहीं वक्सा और उनके विषय में भी अवशब्द वकने लगा। अन्त में सांसद प्रतिनिधि से बोला तू होता कौन है जा कहदे अपने सिंधिया से हरिजन एक्ट लगवा कर जेल भिजवा दूंगा। ये पहला सी.एम.ओ. आया है जिसने श्रीमंत के खिलाफ अवशब्दों का प्रयोग किया इस तत्काल दण्डित किया जावे।
ट्रक लूटेरा देवास डीएसपी को पथरोटा पुलिस ने किया गिरफ्तार
पथरोटा थाना प्रभारी आरएस चौहान ने बताया कि गत दिनों स्कार्पियो में लालबत्ती लगाकर खुद को डीएसपी व अन्य पुलिस अधिकारी बताकर ट्रक और ड्राइवर से लूटपाट करने वाले सचिन नाग की पूछताछ के लिए ससुराल पहुंची तो उसके साले प्रेमकुमार पिता रमेश प्रसाद झारिया 30 वर्ष को केवलारी से गिरफतार कर साथ लायी और यहां फरियादी से उसकी शिनाख्त कराई। चालक ओमप्रकाश पिता गणेश गोड़ निवासी परासिया ने उसे फर्जी डीएसपी में पहचान लिया है।उन्होनें बताया कि आरोपी को गिरफतार करने के बाद उसने जीजा सचिन नाग के अलावा अन्य साथियों के नाम भी बताए। उसने बताया कि जीजा ने सारणी और छिंदवाड़ा में फायनेंस कंपनी में काम कर लोगों को चूना लगाया था। उसके साथी ने पुलिस बनकर 6 अगस्त 2010 की रात 11 बजे मंडीदीप से सारणी जा रहे ट्रक को आईटीआई के पास रोककर चालक से कहा कि तुम टक्कर मारकर भागे हो। इसके बाद ड्राइवर से 22 हजार रूपए और ट्रक सीहोर ले गए। वहां पर उन्हें लाज में रूकवाकर भाग गए। इसके बाद फरियादी ने पथरोटा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है। जब आरोपियों की खोजबीन की गई तो पता चला कि जीजा-साले सहित अन्य साथियों ने इस वारदात को अंजाम दिया था। पुलिस ने डीएसपी बने आरोपी प्रेमकुमार को पकड़ लिया है। उसके जीजा सचिन नाग छिंदवाड़ा के चार साथी बंटी, अली, सोनू और सुरेश उर्फ सुरेन्द्र की सरगर्मियों से तलाश जारी है।
फर्जी चिकित्सक को 3 साल की कैद
जिला प्रतिनिधि // डी. जी. चौरे(बालाघाट // टाइम्स ऑफ क्राइम)जिला प्रतिनिधि से सम्पर्क 93023 02479 - फर्जी डिग्री के जरिये लोगो का इलाज करना एक चिकित्सक को मंहगा पड़ गया बालाघाट के विद्ववान मुख्य न्यायिक मजिस्टेड ने फर्जी डिग्री के आधार पर लापरवाही पूर्वक उपचार करने वाले आरोपी डॉक्टर प्रेमलाल दमाहे भा.द.वि. की धारा 420 अंतर्गत दोशी मानते हुये 3 साल की कठोर कारावास तथा धारा 471 के अंतर्गत 3 वर्श के कठोर कारावास एंव धारा 338 के अतंर्गत 1 वर्श के कठोर कारावास के दंड से दण्डित किया है। अभियोजन के अनुसार दिनांक 09/07/1998 को आरोपी डॉ. प्रेमलाल दमाहे द्वारा गा्रम धंसा में बाया बाई नामक महिला का लापरवाही पूर्वक उपचार किया तथा बाया बाई को सर्दी खांसी बुखार होने पर उसे गलत इजेंक्षन लगाया जिससे बाया बायी के शरीर मे खुजली होने लगी तकलीफ बढऩे पर उसका उपचार गोंदिया में कराया गया। पंरतु उसे आराम नही लगा। तथा उसकी आंखे स्थायी रूप से खराब हो गई। एंव उसके पैर भी खराब हो गये घटना की रिपोर्ट थाना बहेला में की गई।आरोपी के विरूद्ध पुलिस द्वारा प्रकरण दर्ज कर आरोपी की डिग्री जप्त की गयी जो विवेचना के द्वारा जांच किये जाने पर फर्जी पायी गयी। पूर्व में प्रकरण का निरकारण करते हुये मुख्य न्यायिक मजिस्टेड द्वारा आरोपी को उसकी चिकित्सीय डिग्री न्यायालय में फर्जी प्रमाणित न होने पर दोश मुक्त कर दिया। आरोपी के दोशमुक्त के विरूद्ध अभियोजन द्वारा प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश के न्यायालय मे अपील प्रस्तुत की गयी। अपील के निराकरण में प्रकरण पुन: विचारण माननीय न्यायालय को प्रेशित किया गया। पुन: विचारण आंरभ होने पर अभियोजन द्वारा दिनांक 08/02/2010 को जगदीश प्रसाद दुरजर रजिस्ट्रार राज्य होम्योपैथिक परिसर भोपाल के बयान न्यायालय के समक्ष कराये गये ।जिससे उन्होनें आरोपी डॉ. की डिग्री फर्जी कुट रचित प्रमाणित किया । माननीय न्यायालय द्वारा आरोपी के विरूद्ध डिग्री के आधार पर लापरवाही पूर्वक इलाज किये जाने का मामला सिद्ध पाये जाने पर भा.द.वि की धारा 420 के अंतर्गत 3 वर्श के कठोर कारावास एंव 1,000 हजार रूपये जुर्माना तथा धारा 338 के अंतर्गत 1 वर्श के कठोर दंड से दडिंत किया । प्रकरण में अभियोजन के ओर से जिला अभियोजन अधिकारी विजय कुमार उइके, सहायक जिला अभियोजन अधिकारी रामेष्वर कुंभरे व अमित राय द्वारा पैरवी की गई। उक्ताशय की जानकारी प्रेस विज्ञप्ति में सहायक अभियोजन अधिकारी द्वारा दी गयी।