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Sunday, January 30, 2011

सावधान ! महंगाई डायन अब सरकारें खा रही है

शेष नारायण सिंह
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अपने देश में चारों तरफ मंहगाई का हाहाकार है . खाने के सामान की मंहगाई को केंद्र सरकार वाले नेता गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. यह उनका मुगालता है . जो प्याज कभी ९० रूपये की एक किलो बिक चुकी थी, पंद्रह दिन के अन्दर वही प्याज नाशिक मंडी में घटकर चार रूपये किलो तक पंहुच गयी.मंडी में नीलामी रोकनी पड़ी जिस से कि किसानों को बहुत ज्यादा नुकसान न हो .हालांकि जानकार बताते हैं कि इस सरकार को किसानों के हित से कोई लेना देना नहीं है , मंडी में कारोबार इसलिए रोका गया था कि जमाखोरों को बहुत बड़ा घाटा न हो जाए . आखिर जमाखोर ही तो राजनीतिक दलों की झोली में धन डालता है जिसकी वजह से चुनावों में बेहिसाब खर्च होता है. प्याज के अलावा भी खाने की हर चीज़ की कीमत बेतहाशा बढ़ गयी है और सरकार अलगर्ज़ है . दिल्ली दरबार में सबसे ऊपर बैठे लोगों को अफ्रीकी देश ,मिस्र में चल रहे जन आन्दोलन पर नज़र डाल लेनी चाहिए . वहां की जनता सडकों पर है और तीस साल से अमरीका की मदद से तानाशाही हुकूमत चला रहे राष्ट्रपति, होस्नी मुबारक की हालात खस्ता है . फौज के सहारे राज करने की कोशिश कर रहे मुबारक को अब कोई नहीं बचा सकता . यह जान लेना ज़रूरी है कि उनका पतन किन कारणों से हुआ है .
ब्रिटिश अखबार फाइनेशियल टाइम्स लिखता है कि खाने की चीज़ों की आसमान छूती कीमतें ,बेरोजगारी और गरीब-अमीर के बीच बहुत तेज़ी से बढ़ रही खाईं के कारण मिस्र में जनता ने सरकार के खिलाफ मैदान लिया है.. अगर इन कारणों से जनता सड़क पर आ सकती है तो हमारे हुक्मरान को क्या कान में तेल डाल कर सोते रहने का मौका है ? क्या यही हालात भारत के हर गली कूचे में नहीं हैं . सच्ची बात यह है कि यह चेतावनी है कि दुनिया में जहां भी मंहगाई हो, बेरोजगारी हो और अमीर गरीब के बीच खाईं बहुत ज़्यादा हो ,वहां की सरकारों को संभल जाना चाहिए क्योंकि भूख से तड़प रहे आदमी की बर्दाश्त की कोई हद नहीं होती है .जब वह झूम के उठता है तो फौज - फाटे के तिनकों की औकात नहीं कि वह उस तूफान को रोक सके. मिस्र में आजकल वही तूफ़ान है . राजधानी काहिरा में फौज की एक नहीं चल रही हाई . पिरामिडों के शहर गिज़ा में थाने जलाए गए हैं . देश के दूसरे सबसे बड़े शहर अलेक्सांद्रिया में चारों तरफ जनता ही जनता है .होस्नी मुबारक की सत्ताधारी पार्टी ,नैशनल डेमोक्रेटिक पार्टी के काहिरा के मुख्यालय को लोगों ने आग के हवाले कर दिया है .
यहाँ यह भी समझ लेने की ज़रुरत है कि इस आन्दोलन की अगली कतार में मुस्लिम ब्रदरहुड है जिसको आम तौर पर दक्षिण पंथी ताक़त के रूप में जाना जाता है . उस की कोई साख नहीं है लेकिन देश का हर आमो-ख़ास उसके साथ है . होस्नी मुबारक की सरकार को उखाड़ फेंकना चाहता है . आम आदमी को इस बात से कोई लेना देना नहीं है कि आन्दोलन की अगुवाई कौन कर रहा है , वह तो महगाई की सरकार के खिलाफ लामबंद है . हमारे हुक्मरान को भी इस बात पर गौर करना चाहिए कि अगर जनता की पक्षधर पार्टियां सरकार के खिलाफ आन्दोलन में कमज़ोर पायी गयीं तो यहाँ की जनता भी दक्षिणपंथी पार्टियों के साथ उसके खिलाफ सडकों पर आने में संकोच नहीं करेगी. .

पूरी अरब दुनिया में मंहगाई के खिलाफ जनता मैदान ले रही है . अभी कुछ दिन पहले ट्यूनीशिया के राष्ट्रपति, ज़ैनुल आबिदीन बेन अली की सरकार को जनता ने ज़मींदोज़ किया है . और अब अरब देश मिस्र का वही हाल होने वाला है . ट्यूनीशिया में भी जनता की बगावत का कारण वही था जो मिस्र सहित बाकी अरब देशों में है . ट्यूनीशिया में जनता सडकों पर महंगाई और बेरोजगारी के खिलाफ अपनी नाराजगी व्यक्त करने आई थी . आन्दोलन पूरी तरह से खाद्य सामग्री की बढ़ी हुई कीमतों और बेरोजगारी के खिलाफ था लेकिन सरकार की शह पर देश के साहूकार वर्ग ने फलों और सब्जियों की कीमत भी बढ़ा दी . समझ लेने की ज़रुरत है कि वहां खेती लगभग पूरी तरह से कारपोरेट सेक्टर के कब्जे में है . जैसे आजकल अपने यहाँ केंद्र सरकार ऐसी नीतियाँ बना रही है जिस से बड़े पूंजीपति घराने खेती पर क़ब्ज़ा कर लें .
उसी तरह ट्यूनीशिया में भी आज से करीब १५ साल पहले हुआ था . यानी खाने पीने की चीजोंकी कीमत पर काबू करने के आम आदमी के आन्दोलन ने वह शक्ल अख्तियार कर लिया जिसकी वजह से सरकार को ही जाना पड़ा . मिस्र में भी ट्यूनीशिया की कार्बन कापी जैसा ही आन्दोलन चल रहा है . जानकार बताते हैं कि होस्नी मुबारक की सरकार का बच पाना भी लगभग नामुमकिन है . ट्यूनीशिया और मिस्र की तरह ही अल्जीरिया में भी महंगाई के खिलाफ आन्दोलन शुरू हो रहा है . हालांकि खबर है कि अल्जीयर्स की सरकार ने ब्रेड की कीमतों में भारी कटौती की है . ध्यान रहे कि यह कटौती किसी सूझबूझ की वजह से नहीं ,अपनी सरकार बचाने के लिए की गयी है . इस बीच अरब देश मारीतानिया में भी महंगाई के खिलाफ ज्वालामुखी धधकना शुरू हो गया है . वहां भी कुछ लोगों ने मिस्र,ट्यूनीशिया और अल्जीरिया की तरह आत्मदाह कर लिया है .
वहां भी आन्दोलन कभी भी भड़क सकता है . इस बीच खबर है कि मोरक्को, लीबिया और जार्डन के शासकों ने तूफ़ान की आहट को भांप लिया है .और खाने के सामान पर सब्सिडी का भारी प्रावधान किया है . गरीब देशों के अलावा खाने की चीज़ों की महंगाई यूरोप के देशों में भी खतरे की घंटी बज रही है . फ्रांस के राष्ट्रपति सरकोजी ने विश्व बैंक से आग्रह किया है कि इस बात की जांच की जाए कि खाने की चीजों में महंगाई का जो मामला है वह क्यों इतना खतरनाक होता जा रहा है .
खाने के सामान की मंहगाई हमेशा से ही सत्ताधारी जमातों के लिए खतरे की घंटी हुआ करती थी लेकिन अब यह तेज़ रफ़्तार से चलती है और सरकारें बदल देती है . ट्यूनीशिया और मिस्र की घटनाएं इसका ताज़ा उदाहरण हैं . साठ के दशक में भी अफ्रीकी देशों में खाद्य दंगे हो चुके हैं लेकिन इस बार की तरह इतनी तेज़ी से फैले नहीं थे . उन दिनों सूचना की आवाजाही की व्यवस्था इतनी ज्यादा नहीं थी . अब जो कुछ भी एक जगह होता है उसे पूरी दुनिया देखती है . जिसकी वजह से जागरूकता बढ़ती है और सरकारें गिरती हैं . ज़ाहिर है कि हमारी सरकार को भी पूंजीपतियों के हित से थोडा सा ध्यान हटाकर जनता की परेशानियों की तरफ नज़र डालनी चाहिए वरना जब जनता झूम के उठेगी तो हुकूमत के तिनके कुछ नहीं कर पायेगें.

शेष नारायण सिंह

जनता त्रस्त, अपराधी मस्त,सरकार पस्त

रिजवान चंचल लखनऊ // 09450449753

( टाइम्स ऑफ क्राइम) toc news internet channel


जिस प्रदेश में गरीब के पेट से घास निकले, बच्चे रोटी और कपड़े के मुफ्त वितरण में यूं झपट पड़े कि अकाल काल के ग्रास बन जाएं, उस प्रदेश के किस नेता को हम धन्यवाद दें और किस देवी-देवता को हम अपना नैवैद्य अर्पित करें , किस मजार पर जायें हम चादर चढ़ाने ? जहां भुखमरी, कंगाली और बदहाली बच्चों से उनका हंसता खेलता बचपन छीन ले और बूढ़ों को फुटपाथ पर मरने के लिए छोड़ दे, हाड़ तोड़ मेहनत के बावजूद किसान भूखे सोयें, गुण्डे-माफियां सरेआम अबला की अस्मत लूटें

और कालर चौड़ा कर खुलेआम घूमें।


प्रदेषवासी ऐसे तमाम समाचारों से आये दिन रुबरु हो रहें है कि कुषासन के चलते कहीं इंजीनियर आत्महत्या कर रहा है तो कहीं मुवाअजे की मांग पर किसान को बदले में मौत मिल रही है, कोेई आर्थिक तंगहाली के चलते असमय मौत को गले लगा रहा है तो कहीं पूऱी के लाालच में बच्चों की आसमयिक मृत्यु हो रही है। यही वह वह प्रदेश है जहां बुंदेलखण्ड के अकाल, सूखी धरती, मानिकपुर के जनजातीय दरिद्र, पूर्वांचल की अथाह गरीबी किसी को संतप्त नहीं करती। इस कुहासे में अथाह, बदबूदार धन के मालिक ब्यूरोक्रेट, जनसेवक जनता की कमाई पर बदसूरत ऐश्वर्य के नए-नए अपयश-मान निर्माण करते दिखते हैं। यही वह प्रदेश है जहां के तीर्थ, मां गंगा और यमुना का स्मरण मात्र सारे देश को पवित्र करता है जी हां गंगा जमुनी तहजीब का यह सूबा जिसने देश को अधिकतम प्रधानमंत्री दिए आज बिहार से भी बदतर हालात का गवाह बन रहा है।
बात हो रही है उ0 प्र0 की , आज इस प्रदेश की स्थित यहां तक आ पहुची है कि कानून का राज कानून द्वारा स्थापित करने में मौजुदा सरकार करीब करीब फेल हो गई सी लगती है। मुख्यमंत्री मायावती के द्वारा समीक्षा बैठक कर लापरवाह अधिकारियों के विरुद्व सख्त कार्रवाई के निर्देष के बावजूद उनके अपने कारिन्दे जनसेवक, अधिकारी कानून-व्यवस्था का मखौल उड़ा रहे हैं। हर दिन खौफनाक घटनाओं से प्रदेश कांप रहा है। आम आदमी अपराधियों से त्रस्त है, पुलिस तंत्र मस्त और सरकार पस्त नजर आ रही है।


औरेेया में इंजीनियर द्वारा आत्महत्या का प्रकरण हो या कानपुर का दिव्या कांड हो या फिर बांदा की शीलू निषाद का मामला अथवा इलाहाबाद का कचरी काण्ड हो या लखनऊ में लेखपाल द्वारा की गई आत्महत्या लगातार घटित हो रहे प्रकरणों ने सरकार के उस दावे की पोल खोल कर रख दी है जिसमें अब तक उ0 प्र0 सरकार द्वारा कानून का राज कानून द्वारा स्थापित किए जाने की बात कही जाती रही है। सरकार ने तो रेप के दोनों मामलों को शुरू में ही सिरे से खारिज कर दिया था लेकिन जब विपक्ष और मीडिया ने इस मामले को जोर-शोर से उठाया तब सरकार ने सीबीसीआईडी जांच के आदेश दिए विधायक द्विवेदी को जेल के सीखचों में कैद होना पड़ा। वैसे सूबे में बलात्कार की घटनाओं कि साथ-साथ अपराधों में तेजी से इजाफा भी हुआ भरथना की एक महिला अध्यापिका ने प्रबंधक रेप का आरोप लगाया मामला मीडिया द्वारा उठाने पर प्रबंधक को जेल की हवा खानी पड़ी।
जौनपुर में एक महिला प्रधानाचार्या ने यौन उत्पीड़न से आजिज होकर खुद को आग के हवाले कर दिया। गाजियाबाद में एक लड़की को सरेआम कार में खींचकर अपहरण करने के बाद रेप किया गया। राजधानी लखनऊ स्थित चिनहट इलाके में एक दलित लड़की के साथ रेप करने के बाद हत्या कर दी गई। कानुपर के एक वकील ने अपनी अध्यापिका पत्नी का ट्रांसफर करवाने में असफल रहने के बाद मौत को गले लगा लिया। इस मामले में काबीना मंत्री अनंत कुमार मिश्र का नाम सामने आने पर सरकार ने सिरे से इनकार कर दिया ,आजमगढ़ में एक साधु की मौत से नाराज ग्रामीणों के उग्र प्रदर्शन में कई लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा। इस मामले में भी सरकार ने लीपापोती ही की। पहले स्वाभाविक मौत बताया बाद में कहा साधु ने आत्महत्या की थी।

औरैया में एक व्यक्ति को फर्जी की चोरी के इल्जाम में जेल भेजे जाने से आहत ग्रामीणों ने थाने पर हमला बोला जिसमें चौकी प्रभारी की मौत हो गई। सीतापुर में एक पूर्व एमएलसी के दबंग माफिया भाई ने दलितों को इस लिए प्रताड़ित किया कि उन लोगों ने पंचायत चुनाव में साथ नहीं दिया। इस मामले में दो दलितों की हत्या भी कर दी गई। इलाहाबाद में दलित परिवार की लड़कियों को दबंगों द्वारा निशाना बनाए जाने के विरोध का खामियाजा घर फूंकने की घटना से भुगतना पड़ा लेकिन यूपी सरकार ने इसे नोटिस में ही नहीं लिया। मेरठ में एक दबंग छात्र नेता ने एक युवती का अपहरण करने के बाद युवती के भाई को गोली मार कर घायल कर डाला, यूपी की खराब प्रशासनिक व्यवस्था से नाराज एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ने एनेक्सी से कूद का आत्महत्या कर ली थी। मोहनलाल गंज में तैनात लेखपाल ने आत्महत्या के लिए इसलिए मजबूर होना पड़ा क्यों कि उसके वरिष्ठ अधिकारी उस पर नाजायज दबाव डाल रहे थे। इस तरह के तमाम ऐसे मामले घटित हुये हैं जिन्होंने यूपी सरकार की कानून व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है।
इन मामलों पर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष ने साफ कहा कि यूपी की सरकार कानून-व्यवस्था के मुददे पर पूरी तरह फेल हो गई है। दलितों और महिलाओं को चुन-चुनकर निशाना बनाया जा रहा है। सरकार घटनाओं को रोक पाने में असफल है। हर तरफ लूटखसोट में नेता और अधिकारी जुटे हैं। सरकार का प्रशासन पर कोई अंकुश नहीं रह गया है। इसलिए उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ रही हैं।
यही नही यूपी में बढ़ते अपराधों पर विपक्षी दल सरकार को घेरने के लिए सड़क से लेकर सदन तक मोर्चा खोलने का निर्णय ले चुके हैं क्यों कि प्रदेष के हालात बद से बदतर हो चुके है। बिहार जो कि उ0 प्र0 से बदतर जाना जाता था अब उ0 प्र0 ने उसे पछाड़ दिया है। यहां के हालात यह हैं कि यहां के बच्चे, स्त्रियां , अति सामान्य भोजन और बेहद सामान्य कपड़े का एक टुकड़ा लेने के लिए जान भी जोखिम में डालने को विवषे है। यहां साड़़ी की आस में दर्जनों महिलायें जान गंवा दती है और पूऱी की आष में दर्जनों नौनिहाल भीड़ में दबकर मर जाते है। और मृतको के परिजनों को बदले में मिलती है मात्र सांत्वना। जरा सोचिये कि ऐसे प्रदेश का भविष्य क्या होगा ? अक्सर देखने में आता है कि थोक में गरीब ही जान गंवाते हैं और उनकी जान गंवाने की चर्चा तक नही होती और राहुल महाजन की दुल्हनियों के जुगुप्साजनक टीवी शो में पूरे देष में ध्ाूम हो जाती है। गरीब के बच्चे दिल्ली और लखनऊ के जनसेवकों के दिल में राजनीति से परे दर्द पैदा नहीं करते। यहां हर कोई अपने भीतर एक सिकन्दर का रूप लिए बैठा है-कोई मूर्तियों का वितण्डावाद कर गरीबों की छाती पर अट्टाहस कर रहा है तो कोई नायाब तरीके से गरीबों का वोट बैंक सहला रहा है


। इसके पीछे उ0प्र0की नितान्त अपरिपक्व तथा शहरी अमीरों का प्रतिनिधित्व करने वाली वोट बैंक राजनीति का ऐश्वर्य और भोगवादी चरित्र एवं इन सबके साए में फलती-फूलती भ्रष्ट अफसरशाही हैं। सर्वविदित है कि आईएएस, आईपीएस के सदस्य संविधान द्वारा रक्षित होते हैं उन पर राजकीय नीतियां क्रियान्वित करने का दायित्व होता है पर वे हर भ्रष्ट नेता के दरबारीपन में अपना मोक्ष ढूंढते हैं। यदि वे तय कर लें कि किसी नेता के गलत काम में साथ नहीं देंगे, तो कोई उनका कुछ बिगाड़ नहीं सकता पर वे फिसलते हैं, क्योंकि वे फिसलना चाहते है और नेताओं की तरह ही वे भी ऐशो आराम धन दौलत चाहतें है। अफसरों की तानासाही की गवाही लेखपाल बाबूराम द्वारा लिखे मार्मिक सुसाइड नोट सेही जाहिर है जिसमें उसने साफ -साफ लिखा ॥बेटा रिक्शा चलाकर जीवन यापन कर लेना लेकिन लेखपाल न बनना। बाबूराम ने अफसरों के उत्पीड़न से परेशान होकर गणतंत्र दिवस के दिन आत्महत्या कर ली उसने मोहनलालगंज तहसील के उप जिलाधिकारी और तहसीलदार पर भ्रष्टाचार के गम्भीर आरोप लगाए
तथा आत्महत्या का कारण इन्हीं दोनों अफसरों के कारनामों को बताया। तीन पृष्ठों के अपने सुसाइड नोट में उसने अपने बेटे से कहा है यदि मेरे मरने का सदमा बर्दाश्त करते हुए तुम जिंदा बच जाते हो तो रिक्शा चलाकर जीवन यापन कर लेना लेकिन लेखपाल की नौकरी नहीं करना।


अफसरों व नेताओं के बेहतर गठजोड़ का ही नतीजा है कि अब तक प्रदेश के कई इलाके आजादी के इतने सालों बाद भी मूलभूत आवश्यक्ताओं से वंचित हैं । एक ओर जहां अभी गांवों में परीक्षा के दिनों में भी छात्र-छात्राओं को बिजली नहीं मिल पाती वही दूसरी ओर संसाधनों सेलैस जनसेवक व अफसर अपने बच्चों को अंग्रेजी स्कूलों के ए।सी वातावरण में पढ़ाकर समाज विमुख विलासी पीढ़ी की ऐसी जमात तैयार करते रहते हैं, जो गरीबों की गरीबी को अपनी अमीरी बढ़ाने का उपकरण बनाती है। जिनके पास पैसा नहीं वे मोमबत्ती, लालटेन के सहारे आज भी पढ़ाई करते हैं और एक दिन अचानक किसी अमीर नेता के जन्मदिन पर बंटती साड़ियां लेते हुए या किसी बाबा ढोगी के धार्मिक अनुष्ठान में पूरी और प्रसाद के लालच में लाइन में लगाकर जान खो देते हैं।ऐसी स्थित के चलते यदि इन सामंती प्रवृृति के जनसेवकों नेताओं , गरीबों की बीमा पालिसी व बच्चों के मिड डे मील को डकारने व तरह-तरह के घोटालों को अंजाम देने वाले अधिकारियों को जनता, धर्म और राष्ट्रीयता का शत्रु कहकर नवाजा जाये तो बुरा क्या है ।

Saturday, January 29, 2011

मामा की लड़की का MMS बनाकर दोस्तों को बांटा

कानपुर।। कानपुर में एक युवक ने मामा की लड़की का अश्लील एमएमएस बनाकर उसे अपने दोस्तों में बांट दिया। बाद में लड़के के दोस्त इस एमएमएस से लड़की के परिजनों को ब्लैकमेल करने लगे। परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने चार लड़कों को अरेस्ट कर लिया है। इनमें लड़की का भाई भी शामिल है, वह 12वीं में पढ़ता है।

पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि कल्याणपुर निवासी एक किसान रामलाल (काल्पनिक नाम) ने पुलिस से शिकांयत की थी कि पिछले 10 दिनों से एक युवक उन्हें फोन कर धमकी दे रहा है कि उसे 20 हजार रुपये दिए जाएं, वरना वह उसकी बेटी का अश्लील एमएमएस इंटरनेट पर डाउनलोड कर देगा।

इस पर पुलिस ने उस किसान का फोन सर्विलांस पर लhttp://www.giigly.com/wp-content/uploads/2010/08/Sadia-Jahan-Prova-MMS-Scandal-www.giigly.com-25.jpgगाया, तो शुक्रवार देर रात पनकी निवासी लानखन को गिरफ्तार कर लिया गया। उससे जब पूछताछ की गई, तो पता चला कि उसे यह एमएमएस कल्याणपुर निवासी उसके दोस्त अज्ञेय के मोबाइल से मिला था।

पुलिस ने अज्ञेय को पकड़कर जब पूछताछ की तो पता चला कि यह एमएमएस उसकी बुआ की लड़की का है, जो उसने उसके बाथरूम में बनाया था। पूछताछ में अज्ञेय ने बताया कि इस एमएमएस को लाखन ने उसके दोस्तों के मोबाइल में फीड कर दिया था। उसका कहना था कि यह तीनों मिलकर उसकी ममेरी बहन के परिवार वालों को ब्लैकमेल कर रहे थे और उनसे बीस हजार रुपये की मांग कर रहे थे।

उसका कहना है कि इन तीनों दोस्तों ने उसे भी धमकाया था कि अगर तुमने किसी को बताया तो तुम्हारी भी पोल खुल जाएगी। डीआईजी अशोक जैन ने बताया कि इन चारों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।

आदर्श: चव्हाण के खिलाफ FIR दर्ज




सीबीआई ने आदर्श सोसाइटी घोटाले में मामला दर्ज

मुंबई ।।
सीबीआई ने शनिवार को महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण, कुछ रिटायर्ड सैन्य अधिकारियों और नौकरशाहों पर आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाले के संबंध में मामला दर्ज किया है। एफआईआर में कुल 13 लोगों के नाम हैं। इनमें अशोक चव्हाण, प्रदीप व्यास, आर.सी.ठाकुर के भी नाम शामिल हैं।


गौरतलब है कि सीबीआई ने ऐसे समय मामला दर्ज किया है जब बंबई हाई कोर्ट ने पिछले सप्ताह इस मामले की धीमी जांच के लिए उसकी कड़ी आलोचना की थी।

सूत्रों ने बताया कि सीबीआई की प्राथमिकी में मेजर जनरल और ब्रिगेडियर रैंक के 2 पूर्व सीनियर सैन्य अधिकारियों के भी नाम हैं। मामला दर्ज करने का फैसला सबूतों पर कानूनी राय लिए जाने के बाद लिया गया। कानूनी राय में कथित रूप से फर्जी दस्तावेज बनाने और अपने आधिकारिक स्थिति का गलत इस्तेमाल करने वाले कुछ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने की बात कही गई थी।

सुरेश पचौरी के नेतृत्व में किसानों का प्रदर्शन, राजभवन घेराव की कोशिश

(भोपाल// टाइम्स ऑफ क्राइम)
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29 जनवरी 2011। किसानों की आत्महत्या और मुआवजे के भुगतान में हो रही देरी को लेकर आज भोपाल में किसानों ने लिली टाकीज चौराहे पर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन कर रहे किसान एक बार फिर उग्र हो गए और मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुरेश पचौरी के नेतृत्व में राजभवन का घेराव करने के लिए कूच किया लेकिन पुलिस ने बल प्रयोग कर प्रदर्शनकारियों को राजभवन के रास्ते में ही रोक लिया।
मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुरेश पचौरी और कार्यवाहक नेता प्रतिपक्ष चौधरी राकेश सिंह राज्यपाल से न मिलने दिए जाने के बाद पुलिस कंट्रोल रूम के बाहर ही भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं। कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथी ही भारी संख्या में किसान भी धरने में शामिल हुए हैं।
इससे पहले धारा 144 लागू होने के वाबजूद भी पुलिस प्रदर्शकारियों के सामने बेबस नजर आई। कांग्रेसी नेताओं और किसानों को राजभवन की ओर बढ़ने से रोकने के लिए हालांकि पुलिस ने बाद में बल प्रयोग किया।

कर्ज से परेशान पूरन फांसी पर झूला, किसान की पत्नी ने पिया जहर

भोपाल 29 जनवरी 2011 (टाइम्स ऑफ क्राइम)

राजधानी के समीपस्थ ग्राम सेमरी बायपास में एक किसान ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। बताया गया है कि मृतक जहां अपने 2 एकड़ की फसल बर्बाद होने से दुखी था,
वहीं कर्ज ने उसे परेशान कर रखा था। प्राप्त जानकारी के अनुसार रातीबढ़ थानाअंतर्गत सेमरी बायपास में रहने वाले पूरन सिंह पुत्र मिश्रीलाल उम्र 45 वर्ष ने बीती रात घर में फांसी लगा कर अपनी ईहलीला समाप्त कर ली। मृतक के परिजनों को घटना का पता आज सुबह उस वक्त लगा जब उसे फंदे पर झुलते हुए देखा। घटना की सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने पंचनामा बनाकर शव को पोस्टमार्टम के लिए पहुंचाया पुलिस के मुताबिक मृतक मजदूरी करता था और उसने खुदकुशी क्यों की है, इसका खुलासा अभी नहीं हो सका है,
पुलिस ने उसके द्वारा कर्ज व फसल बर्बाद होने के कारण आत्महत्या करने से इंकार किया है। जबकि मृतक के परिजनों व ग्रामीणों ने पूरन सिंह की पाले में फसल बर्बाद होने व उस पर कर्ज होने की बात स्वीकार की है। परिजनों का कहना है कि पूरन मजदूरी के साथ ही पट्टे पर मिली ढाई एकड़ जमीन पर खेती कर परिवार का भरण पोषण करता था। इस बार भी उसने कर्ज लेकर अपनी जमीन पर चने की फसल बोई थी। जो पिछले दिनों पडे पाले से पूरी तरह बर्बाद हो गई है। वहीं कर्ज देने वाले उससे रकम मांग रहे थे। इसके वह पिछले कई दिनों से दुखी रहता था। बताया गया है कि मृतक पूरन अपनी पत्नी तथा दो बेटे उम्र 16 वर्ष व सूरज वर्ष के साथ रहता था। उसके दो भाई अलग रहते है। इनमें से एक के साथ वृध्द माता-पिता भी रहते है। इधर घटना का पता चलते ही अनुविभागीय अधिकारी जीपी माली तहसीलदार आरसी दुबे ने मृतक के घर पहुंचकर परिजनों से मुलाकात की। वहीं शाम को क्षेत्रीय विधायक जितेन्द्र डागा भी मृतक के घर पहुंचे और प्रशासन की ओर से परिजनों को 10 हजार रुपए की सहायता राशि का चेक सौंपा।

किसान की पत्नी ने जहर पिया
राजधानी से लगे जिले विदिशा के गांव पेरुखेड़ी में एक किसान की पत्नी ने जहर पी लिया। बताया जाता है, कि उक्त किसान की फसल खराब हो गई थी, साथ ही उस पर बैंक व सहकारी समिति का कर्ज भी था। इस किसान अवधनारायण के नाम राहत का चैक भी बन गया था। प्राप्त जानकारी के अनुसार अवघनारायण की पत्नी जमुनाबाई ने बीती देर रात जहर पी लिया। इस संबंध में विदिशा तहसीलदार शिवानी पाण्डेय का कहना है, कि आत्महत्या का कारण पारिवारिक कलह है। बताया जाता है, कि इस मामले की जानकारी मिलने के बाद नायब तहसीलदार उक्त महिला का बयान लेने उसके घर भी गए थे, पर उस समय तक उसके परिजन उसे लेकर भोपाल रवाना हो गए थे। रास्ते में सुलतानपुर में उक्त महिला की मौत हो गई। मृतक महिला के पति के पास तीन बीघा जमीन है, जिस पर बोई उसकी फसल खराब हो गई थी। 35 वर्षीय मृतका के तीन छोटे-छोटे बच्चे भी हैं।

राज्य सूचना आयोग द्वारा लोक सूचना अधिकारी पर 25 हजार रुपये का जुर्माना

उच्च शिक्षा विभाग के तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी सुरेन्द्र कुमार उपाध्याय जानकारी न देने के दोषी

भोपाल 28 जनवरी 2011। राज्य सूचना आयोग द्वारा उच्च शिक्षा विभाग के तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी श्री सुरेन्द्र कुमार उपाध्याय पर जानकारी न देने के कारण 25 हजार रुपये का जुर्माना किया गया है। मुख्य सूचना आयुक्त श्री पद्मपाणि तिवारी ने इस आशय का आदेश 24 जनवरी 2011 को जारी किया है। इस आदेश में दोषी अधिकारी को एक माह के भीतर 25 हजार रुपये की राशि आयोग के कार्यालय में जमा करने के लिये कहा गया है। श्री उपाध्याय वर्तमान में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत भोपाल के पद पर पदस्थ हैं।

शासकीय महाविद्यालय खातेगांव जिला देवास के सहायक प्राध्यापक अर्थशास्त्र श्री एस.के. वागले ने लोक सूचना अधिकारी एवं अपीलीय अधिकारी द्वारा समयावधि में सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत जानकारी न देने के कारण अपनी अपील सूचना आयोग के कार्यालय में की थी। अपील करने वाले श्री वागले ने अपने आवेदन में कहा कि कार्यालय आयुक्त उच्च शिक्षा विभाग से जो पत्र उन्हें मिला है, उस पत्र में उच्च शिक्षा विभाग के पूर्व आयुक्त के हस्ताक्षर वास्तविक होने पर संदेह व्यक्त किया गया है। इस हस्ताक्षर के मिलान के लिये श्री वागले द्वारा श्री एस.के. उपाध्याय के समक्ष लोक सूचना अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन प्रस्तुत किया गया। तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी श्री उपाध्याय ने उनका आवेदन जांच कार्य में अवरोध उत्पन्न करने एवं अपराधियों को पकड़े जाने में आने वाली दिक्कतों को बताकर अमान्य कर दिया।

राज्य सूचना आयोग में प्रस्तुत किये गये आवेदन की जांच करने में तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी की लापरवाही सामने आयी। इसके लिये राज्य सूचना आयोग ने श्री उपाध्याय को अपना पक्ष प्रस्तुत करने का नोटिस जारी किया। नोटिस मिलने के बाद भी तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी न तो आयोग के समक्ष उपस्थित हुए और ना ही उनके द्वारा लिखित जवाब दिया गया।

पीडब्ल्युडी के ईई, सब इंजीनियर के निवास पर लोकायुक्त पुलिस का छापा

एक-एक करोड़ से अधिक की संपत्ति मिली

लोकायुक्त की विशेष पुलिस स्थापना ग्वालियर द्वारा लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री और उप यंत्री के विभिन्न स्थानों पर आज मारे गए छापे में एक-एक करोड़ की सम्पत्ति का पता चला है। दोनों इंजीनियरों के विरूद्ध भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत प्रकरण पंजीबद्ध कर उनके निवास की तलाशी ली गई।

लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री आलोक चतुर्वेदी वर्तमान में सड़क विकास निगम भोपाल में उप महाप्रबंधक के पद पर कार्यरत है। लोकायुक्त पुलिस ने उनके जाटखेड़ी, होशंगाबाद रोड स्थित निरूपम रायल पाम कालोनी के निवास की तलाशी में उक्त कालोनी में दो डुपलेक्स मकान का होना पाया। इसके साथ ही मानसरोवर काम्पलेक्स में एक दुकान, नारायण बिहार (होशंगाबाद रोड) में पत्नी के नाम निर्मित चार मंजिले भवन में संचालित ममता र्गल्स होस्टल, जाटखेड़ी में 0.25 एकड़ जमीन और इंडिका कार, मोटर साइकिल एवं नगद राशि भी प्राप्त हुई है। छापे में प्राप्त हुई चल अचल संपत्ति का अनुमानित मूल्य लगभग एक करोड़ 94 लाख रुपये आंका गया है। कार्यपालन यंत्री के निवास की तलाशी की कार्यवाही जारी है। तलाशी में एक बैंक लॉकर की चाबी भी जप्त हुई है, जिसे बाद में खोला जायेगा।

लोकायुक्त की विशेष पुलिस स्थापना ने विदिशा के उप यंत्री राम निवास शर्मा के विरूद्ध भी प्रकरण दर्ज कर शिवपुरी की नरेन्द्र नगर कालोनी स्थित उनके मकान एवं विदिशा की अरिहंत बिहार कालोनी स्थित किराये के मकान की तलाशी ली। तलाशी में पांच डम्पर, एक बोलेरो कार, एक रिट्ज कार, एक टाटा सफारी, एक जे.सी.बी. मशीन, दो ट्रेक्टर, दो दुपहिया वाहन का होना पाया गया। इसके अलावा आरोपी के पास सलामतपुर में डामर प्लांट का लगा होना तथा भोपाल की पंचवटी कालोनी में किराए के निवास की भी जानकारी मिली है। जिनकी तलाशी होना अभी शेष है। छापे में प्राप्त चल-अचल सम्पत्ति का अनुमानित मूल्य एक करोड़ रूपये से अधिक आंका गया है।


कमल निशान छोड़कर भाजपा ने की गोत्र बदलने की तैयारी

भोपाल // आलोक सिंघई (टाइम्स ऑफ क्राइम)

भारतीय जनता पार्टी मध्यमार्गी राजनीतिक दल बनने के फेर में अपनी पहचान तेजी से खोती जा रही है. सत्ता में आने के बाद उसने अपनी हिंदूवादी चोला उतार फेंकने की कवायद की और अब उसने अपनी पहचान कमल का निशान भी छोडऩे का मन बना लिया है. भाजपा के मध्यप्रदेश मीडिया प्रकोष्ठ ने तो अपने प्रेस नोट पर छपने वाला कमल निशान हटाकर पार्टी की इस रणनीति को अमल में लाना ही शुरु कर दिया है. भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि जिस कमल निशान को लेकर भारतीय जनता पार्टी देश के कोने कोने तक पहुंची है उसे छोड़कर पार्टी दलितों, मुस्लिमों और परंपरागत कांग्रेसी वोट बैंक के बीच अपना आधार तलाशने का प्रयास कर रही है.यह उन प्रयासों का ही नया रूप है जिनके अंतर्गत पूर्व पार्टी अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने जिन्ना की मजार पर जाकर उन्हें धर्म निरपेक्ष सोच वाला व्यक्ति बताया था. गौरतलब है कि पार्टी ने अपनी पहचान छोड़ऩे की तैयारी उस वक्त की है जब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गड़करी दल की पुरानी पहचान कायम करने की कोशिशें कर रहे हैं. उन्होंने पार्टी की पहचान बनाने वाले उन राजनेताओं को दल में वापिसी की मुहिम भी चलाई है जिन्हें इसी मध्यमार्गी अभियान के दौरान धक्के मारकर बाहर निकाल दिया गया था.
नितिन गडकरी तो कमल निशान को अपना गोत्र बताते हैं वे कहते हैं कि कमल का निशान हमारी संस्कृति में गहरे तक समाया है. आजादी के संग्राम में कमल निशान की बड़ी सशक्त भूमिका थी. ये हमारी विचारधारा है. वास्तव में ये हमारा गोत्र है और इसी के सहारे हम हिंद्स्तान का कायाकल्प कर देंगे.
इसके विपरीत भारतीय जनता पार्टी के तथाकथित सुधारवादी नेता अपनी इस पहचान को छोड़कर वोट बैंकी राजनीति में कांग्रेस बनने का प्रयास कर रहे हैं. इन नेताओं का मानना है कि पार्टी की हिंदूवादी छवि उसकी विकासयात्रा में बाधक है. इससे मुस्लिम वोट बैंक अपना जुड़ाव महसूस नहीं करता है लिहाजा इस पहचान को बदल दिया जाना चाहिए.
पार्टी के प्रदेश संवाद प्रमुख डॉ. हितेष वाजपेयी इसे सुधारवादी पहल बताते हैं. उनका कहना है कि कंप्यूटरीकरण के दौर में प्रेस नोट पर अनावश्यक चीजें देने से व्यवधान पैदा होता है. नई शैली के प्रेसनोट में संबंधित फाईल का विवरण दर्ज किया गया है जिससे प्रेसनोट को कंप्यूटर की फाईलों की भीड़ में आसानी से तलाशा जा सकता है. वे कहते हैं कि यह फैसला उपयोग में सरलता के लिए लिया गया है.
बरसों से भारतीय जनता पार्टी के प्रेसनोट आम जनता से बेहतर संवाद का माध्यम रहे हैं. उनकी गुणवत्ता के कारण ही समाचार जगत के पत्रकार साथी उन्हें अपने समाचारों में स्थान देते रहे हैं. इसकी तुलना में प्रदेश कांग्रेस का प्रेस से संवाद बहुत ही घटिया रहा है. भाजपा के प्रेस नोट में कमल का निशान आत्मीयता का प्रतीक बन चुका था. एसे में पार्टी का यह फैसला कुछ नए विवादों को जन्म देने वाला साबित हो सकता है.

मथुरा में अश्लील फिल्म बनाता था बाबा

ब्यूरो प्रमुख उ. प्र.// सूर्य नारायण शुक्ल (इलाहाबाद // टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरो प्रमुख उ. प्र. से सम्पर्क 99362 29401


मथुरा के घाटों और मंदिरों का बैकग्राउंड लेकर अश्लील फिल्म बनानेवाला वृंदावन का विवादास्पद स्वामी भगवताचार्य उर्फ राजेंद्र आखिरकार पुलिस के गिरफ्त में आ ही गया। पुलिस ने उसको पत्नी के साथ गिरफ्तार कर लिया है। वह पिछले 10-12 दिनों से फरार था। पुलिस टीम ने गाजियाबाद में स्वामी के रिश्तेदार के घर से अश्लील सीडी और कैमरे बरामद किए हैं।
मथुरा जिले में महीने भर पहले स्वामी राजेंद्र के अश्लील फिल्मों के निर्माण में शामिल होने पर काफी हंगामा मचा था। कई संगठनों ने राजेंद्र के पुतले जलाए थे और उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की थी। राजेंद्र पर घाटों, मंदिरों और यमुना नदी का बैकग्राउंड लेकर अश्लील फिल्में बनाने का आरोप है। पुलिस का कहना है कि स्वामी राजेंद्र प्रवचन करता था और अपने विदेशी शिष्यों के लिए अश्लील फिल्में बनाता था। स्वामी पर आईपीसी की धारा 377 और आईटी एक्ट की धारा 67 बी के तहत मामला दर्ज किया गया है।
मामले के जांच अधिकारी ने बताया कि कुछ फिल्मों में राजेंद्र अप्राकृतिक सेक्स में शामिल है और कुछ फिल्मों में छोटे बच्चों के साथ गलत हरकतें की गई हैं। चूंकि ये दोनों संज्ञेय अपराध है, इसलिए दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है।
वहीं आरोपी स्वामी का कहना है कि वह अपने निजी इस्तेमाल के लिए इस तरह की फिल्में और क्लिप्स बनाता था, जिसे कुछ लोगों ने चुरा लिया और बाद में उसका बेजा इस्तेमाल किया। आरोपी का कहना है कि उस पर लगाए गए सारे आरोप निराधार है और सीडी से छेड़छाड़ की गई है।
इससे पहले स्वामी की पत्नी ने एक आईटी फर्म को अपना लैपटॉप मरम्मत के लिए दिया था। उसकी पत्नी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि उन्होंने अपना खराब लैपटॉप मथुरा की बी साइबर वर्ल्ड नामक फर्म को मरम्मत के लिए दिया था, जिसमें उनके अपने पति के साथ कुछ फोटो थे, जिन्हें इन लोगों ने निकाल लिया। शिकायत के अनुसार फर्म ने फोटो न लीक करने के लिए ब्लैकमेलिंग के तौर पर 10 लाख रुपये मांगे और रकम न देने पर उन्हें सार्वजनिक कर दिया।
मथुरा के एसपी ( सिटी ) राम किशोर वर्मा ने कहा कि राजेंद्र और उनके परिजन गिरफ्तारी से बचने के लिए कानपुर, मथुरा और गाजियाबाद का रुख कर रहे थे। जांच अधिकारी विवेक त्रिपाठी ने स्वामी को उसकी पत्नी समेत गिरफ्तार कर लिया।

बाजारवाद के चक्रव्यूह में उलझता किसान

डॉ. शशि तिवारी

इसे विडंबना ही कहा जायेगा कि शिव के राज में शिवराज के क्षेत्र इछावर तहसील के ब्रजेश नगर का किसान शिवप्रसाद खेती एवं ऋण समस्याओं को ले फांसी के फंदे पर क्या झूला कि किसानों में आत्महत्या करने का सिलसिला शुरू हो कृषि मंत्री रामकृष्ण कुसमारिया के गृह जिले तक थमने का ही नाम नहीं ले रहा। इस नए वर्ष में अब तक लगभग 8 किसानों ने अपने आपको मृत्यु के हवाले कर दिया इसके अलावा तीन अस्पताल में जीवन एवं मृत्यु के बीच लड़ रहे हैं। दमोह क्षेत्र इस मामले में आगे हैं। इसे भी विडंबना ही कहा जायेगा कि कृषि मंत्री रामकृष्ण कुसमारिया अपने गृह जिले के किसानों को ही मौत से नही बचा सके इससे उनकी स्वयं की कार्यशैली एवं क्षमता पर बड़ा प्रश्न चिन्ह लग गया है? प्रारंभ में शासन के कारिंदों ने सोचा था कि सब कुछ ठीक हो जायेगा लेकिन एक के बाद एक किसानों की मौत ने शिव की तन्द्रा को आखिर तोड़ ही दिया और शिवराज स्वयं निकल पड़े प्रभावित किसानों से मिलने एवं उन्हें देखने। किसानों की समस्याओं से आहत शिव ने अपने अधिकारियों को कड़ी हिदायतों के साथ किसानों के प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान का सही एवं सहानुभूति के साथ आंकलन कर पूरी रिपोर्ट तलब करने की बात के साथ ही साथ मुआवजा देने में किसी भी प्रकार की लापरवाही के लिए उन्हें न बख्शने की बात कही। किसानों के एक साल की कर्जमाफी एवं अगले वर्ष से 1 प्रतिशत पर ऋण उपलब्ध कराने की भी मरहम लगाया। यहां तक सुनने एवं देखने में सभी कुछ अच्छा लगता है लेकिन, साथ में कई यक्ष प्रश्न भी अधिकारियों एवं मंत्रियों की नाकामी को ले खड़ा करता है?
मसलन किसानों को प्रदाय किये जाने वाला खाद, बीज, कीटनाशक का क्या उचित मानक का था? यदि नही तो मुख्यमंत्री को स्वयं पहल कर मंत्री से ले अधिकारियों के स्तर तक जवाबदेही फिक्स कर बाहर का रास्ता दिखाना चाहिये। किसानों को मृत्यु के लिए उकसाने में कृषि मंत्री ने भी अहम् भूमिका अदा कर कहा कि यह तो उनके पुराने पापों का फल है! यह बयान वर्तमान परिस्थिति में हर तरह से बेहद निकृष्ट था! यहां कुछ ऐसा लग रहा है कि मंत्री अपनी नाकामी एवं समय रहते समस्याओं एवं शिकायतों के नजरअंदाज करने के पापों का ठीकरा किसानों के कर्मों का फल बता उनके ही सिर पर फोड़ डाला ।
प्राकृतिक विपदा पर तो किसी का भी वश नही चलता है लेकिन, खाद, बीज, कीटनाशक में होने वाले घालमेल पर तो निगरानी की जा सकती थी ? ऐसा भी नहीं कि विभाग या मंत्री को इसका पता नहीं था, समय-समय पर किसान व्यक्तिगत एवं उचित फोरम् से इस समस्या को उजागर करते रहे, लेकिन विभाग के निकम्मेपन के कारण समस्या का पानी अब गर्दन से ऊपर आ चुका है दूसरा अहम कारण कलेक्टर, कृषि विभाग के अधिकारी एवं बैक अधिकारी के बीच तालमेल न होना, तीसरा कारण बैंक द्वारा प्रदाय ऋण एवं उनकी वसूली के तरीके को ले समय-समय पर हमेशा प्रश्न उठते रहे हैं, बैंक वाले अपने टारगेट को पूरा करने के चक्कर में किसानों को लोकलुभावन योजनाओं में फंसा लेते हैं। हाल ही में एक समाचार पत्र में किसानों के नाम पर 4 करोड़ का लोन फर्जीवाड़ा प्रकाशित किया।
वैसे किसानों द्वारा आत्म-हत्या करने का यह कोई नया प्रकरण नहीं है! नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार 2009 में देश भर में कुल 17 हजार 368 किसानों ने आत्महत्या की थी, जिसमें से एक हजार पांच सौ की संख्या म.प्र. से ही है। एक सरकारी अनुमान के अनुसार मौसम की मार से फसलों का करीब 5 हजार करोड़ का नुकसान हुआ है। इसी नुकसान के साथ आज हर दूसरा किसान भयंकर कर्ज की चपेट में आ गया है। यह एक विचित्र संयोग ही है प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज, आत्महत्या करने वाला पहला किसाना शिव प्रसाद, भारतीय किसान संघ का अध्यक्ष शिव कुमार शर्मा है।
दो-दो शिव के रहते हुए किसान हैरान परेशान है? किसान संघ ने हाल ही में अपनी विभिन्न समस्याओं को ले राजधानी की गति को जाम कर दिया था। विभाग एवं कृषि मंत्री के ढीठपन के कारण आज तक संतोषजनक हल नहीं निकाल पाए। वही प्रदेश के मुखिया शिवराज की निसंदेह तारीफ करना चाहूंगी कि अकेले ही किसी भी समस्या से जूझने निकल पड़ते हैं और समस्या का समाधान भी करते हैं। यहां पुन: यक्ष प्रश्न उठता है कि जब सारे काम ही अकेला मुख्यमंत्री करे तो अन्य मंत्रियों की क्या आवश्यकता? क्यो ये जनता पर बोझ बने है ?
यदि ये नाकार हे ? तो क्यों नही अन्य युवा कर्मठ कार्यकर्ताओं एवं विधायकों को मौका दिया जाए ? अब निर्णय की घड़ी आन पड़ी है कठोर कदम सिर्फ शिव को ही उठाना है।
ये कदम हो सकते हैं सहायक- किसानों की जमीन की मिट्टी की नियमित जांच के साथ इसके लिये अनुकूल फसल, स्वाद का प्रकार, इसकी मात्रा एवं कीटनाशकों के प्रयोग की सीमा के निर्धारण की जवाबदेही विभाग की ही हो दूसरा स्थानीय साहूकारों द्वारा किसानों को ब्याज पर पैसा देने वालों पर पुलिस की कड़ी निगरानी के साथ दण्डात्मक कार्यवाही हो तीसरा बैंक या अन्य सहकारी संस्थाओं से मिलने वाले ऋण में अतिवादिता न हो, इसके लिए विभाग निगरानी समितियां भी बना सकती है, ताकि भोले-भाले किसान लोक लुभावन योजनाओं से बच सके चौथा किसान की हर समस्याओं को विभाग एवं मंत्री गंभीरता से ले आवश्यकता पडऩे पर नियमों में आवश्यक संशोधनों की पहल भी करें, पांचवा किसानों के लिए बनाई जाने वाली नीतियों को लागू करने से पहले अच्छी तरह से परीक्षण कर लिया जावे छठा अधिकारी से ले मंत्री तक जवाब देहता एवं पारदर्शिता सातवां बिजली एवं पानी की उपलब्धता का उचित प्रबंधन हो।
लेखिका सूचना मंत्र पत्रिका की संपादक है : मो. 9425677352

नेताओं को जनता चौराहों पर खड़ा करके गोली मारेगी!

आर पी सिंह

राष्ट्रव्यापी भ्रष्टाचार के हो रहे नित नये खुलासों से न सिर्फ भारतीय गणतंत्र बेपर्द हुआ है, बल्कि तंत्र की अव्यवस्था भी पूरे राष्ट्र के समक्ष उजागर हो गयी है। हालांकि सियासी चाल चल रहे शातिर व बेशर्म नेताओं के लिए यह कोई बड़ी परेशानी की बात नहीं है। लंपट पूंजी का वर्चस्व जब तक देश पर है तब तक इनके कृत्य इसी तरह लोकतंत्र की अस्मत तार-तार करते रहेंगे। इनके सत्ता-शतरंज का घिनौना खेल भी योंही चलता रहेगा, और भ्रष्टाचार के उजागर होने पर राजनेता एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप मढ़ते रहेंगे। पक्ष-विपक्ष आपस में टकरायेंगे कदाचार को ले थोड़े समय के लिए जनता में भी उबाल आता रहेगा। हम अर्से से यह खेल देख रहे हैं। देश की जनता यह समझती है कि हमारा मीडिया बखूबी अपना धर्म निभा रहा है। दरअसल बात ऐसी नहीं है। भ्रष्टाचार की जो थोड़ी-बहुत सूचनाएं लोगों तक पहुंचती हैं, उसे खुद तंत्र ही उजागर कर देता है। इसके भी अपने निहितार्थ हैं। नेताओं, कालाबाजारियों, नौकरशाहों, संवाद माध्यमों, लाबीस्ट-बिचौलियों, उद्योगपतियों, कॉरपोरेट घरानों के चरम द्बन्द्ब-संघात के ही ये परिणम हैं। अब तो स्थिति यह है कि देश के अंदरूनी मामलों में कॉरपोरेट लॉबीस्ट निर्णायक साबित हो रहे हैं। यहां चिंता की बात तो यह कि कॉरपोरेट घरानों के हित में वे सरकार की नीतियों को प्रभावित करने लगे हैं।
दरअसल उनके लिए राष्ट्रहित अहम नहीं होता, बल्कि वे अपने हितों का सौदा राष्ट्र की अस्मत से करते हैं। हमारे मक्कार राजनेता और नौकरशाह उन्हें यह सहूलियत प्रदान कर रहे हैं। देश के प्रधानमंत्री भी इससे वाकिफ़ हैं। किस जाहिल को कौन सा मंत्रालय मिले, इसे कॉपोरेट लाबीस्ट तय कर रहे हैं। देश की जनता तो सिर्फ वोट डालती है। मगर उसके भाग्य का निर्धारण और कोई कर रहा है। किसके पक्ष में हवा बनायी जाय, इसके लिए तो सुनियोजित तरीके से प्रचार माध्यमों के प्रबंधन से सौदा तय किया जाता है। लंबे समय तक प्रिंट व दृश्य मीडिया में काम करने का यह मेरा अपना अनुभव है। पेड न्यूज का वाकया पिछले लोकसभा व विधानसभा चुनावों में खूब देखा गया। चुनाव आयोग भी उनका कुछ न बिगाड़ पाया। प्रचार माध्यमों को देह मंडी का जींस होते हुए सबने देखा। समाचार माध्यमों की निजता व अस्मिता को खंडित करने की एक गहरी साजिश चलाई जा रही है और इसमें शामिल हैं तथाकथित बड़े लोग। लंपट पूंजी। कॉरपोरेट घराने। देश की दिशा क्या हो? राजनीति की डोर किनके हाथ में हो?? एक साधारण साइकिल चोर को हम चौराहे पर पीट-पीट कर मार देते हैं जबकि देश की अस्मत का सौदा करने वालों को हम फूल-मालाओं से स्वागत करते हैं। उनकी जय-जयकार करते हैं। मूल्यहीन होते जा रहे समाज का यह प्रतीक है।
जाहिर है यह व्यवस्था अधिक दिनों तक नहीं चल सकती। प्रचलित कानून-व्यवस्था की सघन पड़ताल होनी चाहिए। कारण क्या है कि छोटे चोर को बड़ी सज़ा मिलती है जबकि बड़े चोर को छोटी सज़ा। यह व्यवस्था मिटनी चाहिए। कारण कि तंत्र की खामियों को नजरंदाज कर हम आगे नहीं बढ़ सकते। दो-चार लोग चांद पर चले जायें तो भी इससे देश की सौ करोड़ जनता के जीवन में फर्क नहीं आ जायेगा। देश के गणतंत्र व इंसाफ पसंद अवाम इन बातों को लेकर काफी चिंतित हैं। अनगिनत वीर-योद्धाओं व राष्ट्रभक्तों ने अपनी शहादत देकर जिस लोकतंत्र की बुनियाद को पुख़्ता किया, उस पर भ्रष्टतंत्र अब पूरी तरह से हावी हो चुका है। देश में लोकतंत्र बचे कैसे? हमारे सामने आज यह एक अहम् सवाल है। हमने बचपन में पढ़ा था कि भारत एक गणतांत्रिक व सार्वभौम राष्ट्र है। हमारे गणतंत्र के चार मजबूत स्तंभ हैं। बस, हमने मान लिया कि हमारा गणतंत्र सुचिंतित, सुनिश्चित तथा सर्वाधिक सुरक्षित है। हम अपने गणतंत्र के जिस सबल स्तंभ विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका तथा प्रेस को लेकर अब तक गर्व करते रहे तथा दुनिया की नजऱों में इतरेतर होने का दंभ भरते रहे, उसकी सच्चाई अब परत दर परत खुलने लगी है।
चिंता की बात तो यह है कि भ्रष्टाचार के घुन हमारे गणतंत्र के कथित स्तंभों को जर्जर बनाते जा रहे और हम शुतुरमुर्ग की तरह रेत में अपने सिर गाड़े खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। समाज व राष्ट्र की मननशीलता में शिद्दत ये यह बात आनी चाहिए कि भ्रष्टाचार से भयानक, विध्वंशक व सर्वग्रासी राक्षस कोई दूसरा नहीं हो सकता। देश के प्रबुद्ध प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को यह बात समझनी होगी कि आतंकवाद भ्रष्टाचार की कोख में ही पलता व पनपता है। इसलिए आतंकवाद के संहार से आप इस देश को तब तक नहीं बचा सकते जब तक भ्रष्टाचार अमरबेल की तरह सत्ता-सियासत से लिपटा हुआ है। अगर आप अपने राजनैतिक स्वार्थ को ले इसे नजरंदाज किया तो जाहिर है आपकी निष्ठा पर लोग सवाल उठायेंगे। आपकी राष्ट्रभक्ति आपके कर्मों में दिखनी चाहिए। इतिहास ने आपको एक अवसर दिया है। आप पारदर्शी बनिए। अगर भ्रष्टाचार से आप नहीं लड़ पाये तो आतंकवाद से भी नहीं लड़ पायेंगे। हम नहीं चाहते कि आप देश के कमजोर प्रधानमंत्री साबित हों। आज समय का संकट गहराता जा रहा है। देश में भ्रष्टचारियों को सम्मान प्राप्?त हो रहा है। दुराचारियों के पांव पूजे जा रहे हैं। संविधान आयोग में भ्रष्ट लोग चुनकर आ रहे हैं। यह लंपट पूंजी की ही महिमा है जो लोकसभा में ऐसे लोग जा रहे हैं जिनका राष्ट्र के निर्माण में कोई योगदान नहीं रहा है। अगर समाज में निष्ठा, ईमानदारी तथा श्रम को यथेष्ट महत्व न मिले तो समाज विकास नहीं, विनाश की ओर बढ़ता है। ऐसे में राष्ट्रजीवन असंतुलित, अव्यवस्थित तथा अनियंत्रित होने लगता है। यह अत्यंत वेदनादायी है कि आज हमारा राष्ट्र उसी ओर अग्रसर हो रहा। राष्ट्र व्यापी भ्रष्टाचार, अराजकता तथा अंतहीन खूनी संघर्ष की वजह क्या है? क्या कारण है कि सक्षम व ईमानदार लोग आज हाशिए पर जा रहे हैं और सत्ता-शतरंज के माहिर खिलाड़ी व कॉरपोरेट लाबीस्ट के दलाल हमारी लोकसभा तथा विधान सभाओं के सरताज बने हुए हैं? देश की मननशीलता में यह बात आनी चाहिए।
जाहिर है यह व्यवस्था जम्हूरियत की बुनियाद को दीमक की तरह चाट रही है। दुनिया में गणतंत्र के जनक अब्राहम लिंकन ने एक समय कहा था कि हमने किसी ऐसी उम्दा चीज़ का लुत्फ न कभी उठाया है और न कभी उठा पायेंगे जिसमें कोई श्रम न लगा हो। चूंकि सभी उम्दा चीज़ें श्रम द्बारा पैदा की जाती हैं, इसलिए इसका सीधा निष्कर्ष यह है कि जिन्होंने श्रम करके चीज़ों को पैदा किया है, वे ही हर अधिकार के हकदार होते हैं। जो लोग लोकतंत्र के पैरोकार हैं उन्हें यह बात समझनी होगी। देश में गणतंत्र की स्थापना के लिए जिन्होंने फिरंगी हुकूमत के खिलाफ़ समझौताहीन जंग की, जीवन के खूबसूरत सपनों का भस्म किया और अंतत: अपने प्राणों की आहुति दी, इसलिए कि यह देश खुशहाल रहे। श्रम-संस्कृति से देश कटे नहीं। हमारे जल-जंगल व जमीन सुरक्षित रहें। हम शोषण-जुल्म के शिकार न हों। हमारे प्राकृतिक संसाधनों की लूट बंद हो। हम अपनी जरूरत के हिसाब से विकास की नीति तय करें। सम्प्रदायिकता, धार्मिक उन्माद व अंधविश्वास को बढ़ावा न मिले। हमारे जीवन-मूल्य का कोई हनन न करे। हमारी सोच में विज्ञान रहे तथा शिक्षा-चिकित्सा सर्व सुलभ हो। इसलिए नहीं कि लंपट-लुटरे व दलाल देश को चलाएं तथा हम पर शासन करें। विकास के नाम पर देश के प्राकृतिक संसाधनों (जल-जमीन व जंगल) का निर्ममतापूर्वक विनाश करें।
जब हमारे गणतंत्र के कथित स्तंभ अपनी प्रासंगिकता खोते जा रहे हैं तो इंसाफ व जम्हूरियतपसंद अवाम को निर्णायक होना पड़ेगा। नेताओं, उद्योगपतियों, कॉरपोरेट घराने, नौकरशाहों बिचौलियों और प्रेस के काले कारनामें अब तो आये दिन उजागर हो रहे हैं। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला, आईपीएल घोटाला, लॉटरी घोटाला, आवासन घोटाला, मधुकोड़ा का निवेश कारोबार व हवाला घोटाला, तेलगी का स्टांप पेपर घोटाला, लालू यादव का चारा घोटाला, अलकतरा घोटाला, ताबूत घोटाला, हर्षद मेहता का शेयर घोटाला, बोफोर्स व पनडुब्बी घोटाला आदि। जाहिर है ऐसे सैकड़ों नहीं हजारों प्रकाशित-अप्रकाशित घोटाले हैं जो हमारे गणतंत्र व संविधान को सरेआम बेपर्द कर रहे हैं। दूसरी ओर बेलगाम महंगाई तथा बेरोजगारी देश की एक बड़ी समस्या बन चुकी है। लोग आक्रोश से भरे हुए हैं। युवकों में निराशा है। वक्त रहते अगर अब भी देश नहीं चेता तो जाहिर है कि परिस्थितियां बहुत जल्द अनियंत्रित हो जायेंगी और उत्तेजित जनता गणतंत्र के कथित स्तंभों को ध्वस्त करते हुए नजऱ आयेगी। भ्रष्ट नेताओं को लोग चौराहे पर खड़ा कर गोली मारेंगे और हमारी व्यवस्था उनकी रक्षा कर पाने में अपाहिज साबित होगी। हालात ऐसे न हों, इसके लिए यह जरूरी है कि देश के इंसाफ व जम्हूरियतपसंद अवाम गण्तांत्रिक मूल्यों की रक्षा को ले आगे आए। भ्रष्टाचारी किसी भी सूरत में न बच पायें, यह देखना सरकार का काम है। संभावित खतरे को टालने के लिए यह नितांत जरूरी है। देश के दुश्मनों से गणतंत्र की रक्षा करना हमारा प्राथमिक कार्य होना चाहिए।
लेखक आरपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार तथा पश्चिम बंगाल से प्रकाशित आपका तीस्ता हिमालय के संपादक हैं.

मध्यप्रदेश विशेष न्यायालय विधेयक 2011

डॉ. शशि तिवारी

शिव वाकई में भोले हैं? अंधों के शहर में आईना बेचने का काम कर रहे हेै, एक ओर जहां केन्द्र से लेकर राज्य एवं राज्य से लेकर कस्बों तक केवल ऐसे और केवल भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार व्याप्त हैं। ऐसे में शिवराज अचानक व्यथित हो भ्रष्टाचार के विरूद्ध अलख जगा एवं अपनों से ही बैर ले ''मध्यप्रदेश विशेष न्यायालय विधेयक 2011 को मंत्रीमण्डल से हरी झण्डी दिला विधानसभा के बजट सत्र में पेश कर कानून बनाने पर तुले हुए है। जैसा कि कुछ समाचार पत्रों में यह छापा गया है कि इस विधेयक के कुछ पहुलुओं को लेकर दो मंत्रियों ने ऐतराज भी दर्ज कराया है आगे अन्जाम क्या होगा भविष्य ही बतायेगा? यहाँ में एक बात बताना चाहूंगी जो मुझे अनायास ही याद आपूर्ण समन्वित गई। म.प्र.सरकार ने कुछ ही माह पहले लोकसेवा प्रदान गारंटी कानून 2010 विधेयक पास कराया तब भी मैंने आशंका व्यक्त की थी। कहीं अपने ही इसे पलीता न लगाए? आपको स्मरण होगा इस विधेयक के लिये भी शिवराज ने शुरू में उत्साह में कहा था कि लोक सेवक में मंत्री भी आयेगा, लेकिन विधेयक पास होते-होते मंत्री इस दायरे से बड़ी चालाकी से बाहर कर लिये गए? आज फिर शिवराज ने कहा मंत्री से सरपंच एवं मुख्य सचिव से पंचायत सचिव स्तर के सभी नेता एवं अफसर आयेंगे। क्या पूर्व की भाँति इस विधेयक का भी यही हश्र होगा? आज मंत्रीगण एवं अफसर मिलकर लोकसेवा प्रदान गारंटी को पलीता लग रहे हैं। अब जब बात भ्रष्टाचार की हो और स्वयं मंत्रियों के फंसने की हो तो सभी पुन: जुट विधानसभा में इसे विधेयक के कानून की शक्ल लेने के पहले अपने को इससे विमुक्त करने की पुरजोर कोशिश करेंगे?
आज आमजन सरकार की नेक नियत को ले शंकालू हैं एवं पूर्व अनुभवों के धारणा बना चुकी है कि मोटी-मोटी मछलियां, भ्रष्ट अधिकारियों एवं मंत्रियों का कोई भी, कुछ भी बाल बांका नहीं कर सकता, क्या शिवराज आम जनता के इस भ्रम को तोड़ पाने में सफल हो पायेंगे? या पूर्व की ही तरह अपने मंत्रियों के कुनबे से हारेंगे? इसका फैसला तो वक्त ही करेगा।
म.प्र.संभवत: भारत का पहला ऐसा राज्य होगा जो भ्रष्टाचार के खिलाफ लडऩे के लिए ''मध्यप्रदेश विशेष न्यायालय विधेयक 2011ÓÓ बनायेगा जो कई खूबियोंयुक्त होगा। मसलन इन विशेष न्यायालयों में जिला एवं सत्र न्यायाधीश, स्तर के न्यायाधीशों की पदस्थापना होगी, इस न्यायालय के निर्णय के खिलाफ उच्च न्यायालय में ही अपील की जा सकेगी, भ्रष्टाचार के सभी प्रकरणों का निपटारा एक वर्ष की समय सीमा में ही पूरे होंगे, इसकी जद में मुख्यमंत्री से सरपंच एवं मुख्य सचिव से पंचायत सचिव स्तर के सभी मंत्री एवं अफसर आयेंगे। भ्रष्टाचार को ले पूर्व में चल रहे प्रकरण भी इन न्यायालयों को सौंपे जायेंगे। इसमें जब्त एवं राजसात की गई सम्पत्ति का उपयोग स्कूल एवं अस्पतालों के लिये किया जायेगा। इसमें सम्मिलित सभी पहलू बड़े ही लोक लुभावन एवं किसी बाजार की योजनाओं जैसे लग रहे हैं। ऐसा नहीं कि इस तरह की सोच पहली बार हो रही हो पूर्व में भी गठित भ्रष्टाचार से संबंधित प्रकरणों की जांच लोकायुक्त एवं ई. ओ. डब्लू. करते आ रहे थे। लेकिन वर्तमान में दोनों ही अपनी उपयोगिता खो रहे है मसलन सालों-साल से घूल खा रहे प्रकरण जिनमें कई मंत्रीगण, आई.ए.एस. आई.पी.एस., आई.एफ.एस. एवं इंजीनियर जैसे प्रभावी लोग सम्मिलित है इन्हीं के पास इतना अरबों रूपया काली कमाई के रूप में संग्रहित है कि म.प्र. सोने की चिडिय़ा बन जाए, विकास के लिये धन की कोई भी कमी न रहें। लेकिन विभाग के अधिकारियों के निकम्मेपन एवं सरकार की दृढ़ इच्छा शक्ति में कमी के चलते ये प्रतिष्ठित संस्थान बदनाम हो रहे है।
अब यक्ष प्रश्न यह उठता है कि जब ये शासकीय संस्थान ढपोलशंख साबित हो रहे है तो ऐसे में यह विधेयक सफल होगा ही की क्या गारंटी है? वर्तमान में पूरा देश एवं प्रदेश न्यायाधीशों की कमी से जूझ रहा है? ऐसी परिस्थिति में इस विधेयक का हश्र क्या होगा? अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है। केन्द्र भी भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए म.प्र. की तर्ज पर लोकपाल का गठन 25 जनवरी से पहले कर लेने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। इस तरह केन्द्र फिर सूचना का अधिकार के बाद भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकपाल का गठन कर अध्यादेश जारी कर 2011 में एक ऐतिहासिक उपलब्ध हासिल करेगा। शिवराज एक के बाद एक धड़ाघड़ योजनाए तो लागू कर रहे है जो नि:संदेह सभी अच्छी भी है लेकिन इनकी सख्ती से मानीटरिंग न होने के कारण आगे पाठ पीछे सपाट की तर्ज पर सब गुड़ गोबर होता नजर आ रहा है। अब आम जनता को ऐसा लगने लगा है कि मुख्यमंत्री की बातों को मंत्रीगण एवं अधिकारी कोई खास तवज्जों नहीं देते है। आखिर ऐसा कब तक चलेगा। जवाब शिवराज को ही जनता को देना होगा। क्यों नहीं नाफरमानों को बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता? आखिर क्या मजबूरी है? विशेषत: तब जब जनता शिवराज के साथ है। बिना भय के प्रीति नहीं हो सकती।

माइक्रोसॉफ्ट में नौकरी का झांसा, ठगी का विज्ञापन जागरण में

झारखंड में युवाओं को रोजगार देने के नाम पर ठगी का कारोबार चलाया जा रहा है. और यह कारनामा किया जा रहा है दुनिया की सबसे बड़ी साफ्टवेयर निर्माता कंपनी माइक्रोसॉफ्ट में नौकरी दिलाने के नाम पर. और इस विज्ञापन को प्रकाशित किया है खुद को दुनिया का सबसे बड़ा अखबार कहने वाले दैनिक जागरण ने. कंपनी के नाम पर कई पदों पर वैकेंसी के लिए विज्ञापन जारी किया गया है.

विज्ञापन में 18 से 30 साल के युवाओं से माइक्रोसॉफ्ट प्राइवेट लिमिटेड की तरफ से आवेदन मांगे गए हैं. यह विज्ञापन झारंखड में दैनिक जागरण के कई एडिशनों में छपा है. माइक्रोसॉफ्ट के नाम पर जारी विज्ञापन में कुल 2600 पदों के लिए आवेदन मांगे गए हैं. जिसमें जूनियर ऑफिसियल के 1250 पद और जूनियर टेक्निकल के 1350 पदों पर नियुक्ति करने की बात कही गई है. विज्ञापन में बताया गया है कि नियुक्ति इंटरव्यू के माध्‍यम से होगी. इसके लिए आवेदक की न्‍यूनतम शैक्षणिक योग्‍यता 40 प्रतिशत अंकों के साथ किसी भी विषय से इंटमीडिएट होना विज्ञापनआवश्‍यक है. दिलचस्‍प तथ्‍य यह है कि इस विज्ञापन में ये भी कहा गया है नियुक्ति प्रक्रिया से पूर्व कंपनी आवेदक को तीन से छह माह की ट्रेनिंग अपने खर्च पर देगी. चयनित युवाओं को कंपनी 35000 से 65000 रूपये के बीच वेतन देगी. इसके अतिरिक्‍त आवास एवं भोजन सुविधा मुफ्त में मिलेगी सो अलग.

अब आते हैं इस विज्ञापन की कहानी पर. माइक्रोसॉफ्ट के नाम से प्रकाशित इस विज्ञापन में न तो कंपनी का लोगों लगा है और ना ही उसके मुख्‍यालय या स्‍थानीय कार्यालय का पता दर्ज है. विज्ञापन में आवेदकों से आवेदन शुल्‍क के नाम पर 550 रूपये बैंक ऑफ इंडिया के एकाउंट में जमा कराने का भी दिशानिर्देश दिया गया है. चौंकाने वाली बात यह है कि यह एकाउंट कंपनी के नाम से नहीं बल्कि किसी विशाल कुमार नामक सज्‍जन के नाम से है. प्रश्‍न यह है कि क्‍या इतनी बड़ी कंपनी अपने आधिकारिक एकाउंट के बदले किसी निजी एकाउंट से आवेदन शुल्‍क मांगेगी! विज्ञापन में आवेदन शुल्‍क जमा कराने के बाद रसीद और अन्‍य कागजात दिल्‍ली के कालका जी में पोस्‍ट बाक्‍स नम्‍बर 31 या फिर mlpscompany@gmail.com पर भेजने के निर्देश दिए गए हैं. जबकि माइक्रोसॉफ्ट का भारत में मुख्‍यालय बंगलुरु में है. विज्ञापन में दिया गया मेल भी आधिकारिक नहीं है. जबकि अधिकांश बड़ी कं‍पनियां अपना आधिकारिक ई-मेल आईडी देती हैं. इन सभी तथ्‍यों से स्‍पष्‍ट है कि माइक्रोसॉफ्ट के नाम पर लोगों को बेवकूफ बनाकर ठगने का प्रयास किया जा रहा है. जिसमें चंद रूपये के बदले विश्‍व का सबसे बड़ा अखबार भी भागीदार बन गया है.

सबसे प्रमुख बात यह है कि यह मीडिया समूह या इसके कर्ताधर्ता इस विज्ञापन को जारी करने से पहले किसी तथ्‍य पर ध्‍यान नहीं दिया। या इन लोगों को इस विज्ञापन में कोई कमी नजर नहीं आई अथवा धन के नाम पर इसकी अनदेखी कर दी गई। पूरा मामला सामाजिक दायित्‍व और विश्‍वसनीयता का है. क्‍या कुछ रूपये के बदले किसी भी बड़े अखबार में ठगी के धंधे का विज्ञापन छपवाया जा सकता है? क्‍या पैसे के लिए अखबार सारे मूल्‍यों की तिलांजलि दे सकते हैं? अगर युवा इस विज्ञापन पर भरोसा करके आवेदन राशि जमा करा दी और लूट लिए गए तो इसके लिए कौन जिम्‍मेदार होगा? क्‍या अखबार के किसी कोने में 'अपने स्‍तर से जांच-परख कर विज्ञापनों पर भरोसा करें' जैसे वाक्‍य लिख दिए जाने से ये अबखार अपने नैतिक एवं सा‍माजिक मूल्‍यों से बरी हो जायेंगे! इस विज्ञापन पर माइक्रोसॉफ्ट इंडिया के लीगल सेल ने आश्‍चर्य जताया है. कंपनी ने इस मामले पर कानूनी कार्रवाई भी करने की बात कही है.

साभार : भड़ास4मीडिया

Thursday, January 27, 2011

''भास्कर'' को निपटा रहा ''पत्रिका'' दमादम

बिल्डिंग निर्माण में नियम ताक पर
विनय जी. डेविड // मोबाईल :- 98932 21036
(भोपाल // टाइम्स ऑफ क्राइम)


जबलपुर। सिविक सेन्टर में निर्माणाधीन '' भास्कर'' की बिल्डिंग में नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। भाजपा विधायक हरेंद्रजीत सिंह बब्बू ने मामले की शिकायत जल संसाधन एवं पर्यावरण मंत्री जयंत मलैया से की। मामले की गंभीरता को देखते हुए मलैया ने कलेक्टर को जांच कर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए। वहीं भवन में अनियमितता की शिकायतों पर नगर निगम ने अपनी जांच पूरी कर ली है। मामले में शीघ्र ही सख्त कार्रवाई की तैयारी चल रही है। जानकार सूत्रों के अनुसार सिविक सेन्टर स्थित 20 हजार वर्गफीट भूमि पर ''दैनिक भास्कर'' नियमों को ताक में रखकर मल्टीस्टोरी बिल्डिंग का निर्माण करा रहा है। लगभग चार साल पहले नगर निगम ने इस भूमि पर चार मंजिला भवन बनाने के लिए अनुमति दी थी।भास्कर प्रबंधन ने नक्शे को ठेंगा दिखाते हुए छह मंजिला भवन तान दिया। इतना ही नहीं आवंटित जमीन से कहीं अधिक हिस्से पर निर्माण करा लिया। दुस्साहस का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब तक निगम ने संशोधित नक्शा पास नहीं किया। संशोधित नक्शा पास करने का मामला निगम में विचाराधीन है। फिर भी निर्माण जारी है।
जमीन न पट्टा और नक्शा

पासजबलपुर सिविक सेंटर की भूमि हासिल करने के लिए सारी हदें पार करते हुए दैनिक भास्कर प्रबंधन ने भूमि खरीदने से पहले ही नक्शा पास करा लिया। संभवत: यह प्रदेश का पहला ऐसा मामला होगा जिसमें भूमि के स्वामित्व और कब्जे के बिना ही नक्शा पास करा लिया गया। दैनिक भास्कर के अवैध कार्य में नगर तथा ग्राम निवेश कार्यालय ने भरपूर सहयोग दिया। नगर तथा ग्राम निवेश कार्यालय में इसके लिए बकायदा डायरेक्टर राकेश अग्रवाल के नाम से गलत शपथ पत्र देकर कानून को ताक पर रख दिया गया।

वर्ष 2007 में अनुज्ञा, 2008 में भूमि का

पंजीयनसिविक सेंटर में बहुमंजिला भवन के निर्माण के लिए भास्कर प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर राकेश अग्रवाल के शपथ पत्र पर भवन निर्माण की अनुज्ञा के लिए 10 मई 2007 को आवेदन किया गया। आवेदन पर 3 अक्टूबर 2007 को पत्र क्रमांक 1855 के द्वारा ले-आउट स्वीकृति की अनुज्ञा जारी हुई। जबकि इस तारीख में दैनिक भास्कर के पास उक्त जमीन का मालिकाना हक ही नहीं था।जबलपुर विकास प्राधिकरण ने 2006 में एकतरफा कार्रवाई करते हुए पंचनामा के द्वारा भूमि का कब्जा भी वापस ले लिया था। आश्चर्यजनक बात है कि इसके चार माह बाद उक्त भूमि की लीजडीड का पंजीयन हुआ। जबलपुर विकास प्राधिकरण ने 30 जनवरी 2008 को कैलाश अग्रवाल प्रबंध संचालक दैनिक भास्कर के नाम से लीजडीड का निष्पादन किया। लीजडीड का विधिवत पंजीयन पंजीयक कार्यालय में पुस्तक क्रमांक ए-1, ग्रंथ क्रमांक 23 के पृष्ठ क्रमांक 99 से 103 पर अंकित किया गया।

अनुज्ञा और पंजीयन में नाम का फेर

जेडीए ने जनवरी 2008 में सिविक सेंटर की भूमि का पंजीयन कैलाश अग्रवाल प्रबंध संचालक दैनिक भास्कर के नाम से किया। जबकि चार माह पूर्व ही नगर तथा ग्राम निवेश कार्यालय से भास्कर प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड के नाम से अनुज्ञा प्राप्त कर ली गई। नक्शे और लीजडीड में स्वामित्व के अंतर को मिटाने के लिए 17 अपे्रल 2008 को मात्र 100 रूपए के स्टाम्प पर शुद्धि विलेख कराया गया। इसमें भी शासन और जेडीए को स्टाम्प शुल्क और ट्रांसफर फीस की लाखों रूपए की राशि का चूना लगाया गया।

जमीन न पट्टा फिर भी नक्शा पासस्वत: निरस्त होने का प्रावधान

भास्कर प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड के नाम से नगर तथा ग्राम निवेश कार्यालय द्वारा जारी अनुज्ञा में स्पष्ट लिखा है कि किसी प्रकार के विवाद की स्थिति में अनुज्ञा स्वत: ही निरस्त हो जाएगी। इसको दरकिनार करते हुए नगर निगम एवं अन्य विभाग में इसी अनुज्ञा का उपयोग किया गया।

ऎसे चला घटनाक्रम

  • 17 जून 2003- जेडीए ने विश्वम्भर दयाल अग्रवाल के वारिसानों के नाम से लीजडीड का निष्पादन किया। लीजडीड का बकायदा पंजीयन कराया गया।
  • 30 जनवरी 2008- पुरानी लीज के वैधानिक निरस्तीकरण के बगैर दूसरी लीजडीड का निष्पादन हुआ। दूसरी लीजडीड कैलाश अग्रवाल प्रबंध संचालक दैनिक भास्कर के नाम से पंजीकृत कराई गई।
  • 25 मार्च 2008- सिविक सेंटर की उक्त भूमि पर भास्कर प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड के नाम से अनापत्ति प्रमाण पत्र मांगा गया। सिडबी से ऋण के लिए इसकी आवश्यकता बताई।
  • 17 अपे्रल 2008- सौ रूपए के स्टाम्प पर शुद्धि विलेख का पंजीयन कराया गया। इसमें दैनिक भास्कर के स्थान पर "भास्कर प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड", जोड़ दिया गया।


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वहीं प्रथम और दूसरा अध्याय भी पाठकों को उपलब्ध कराया है अब इस अंक में आपको बीच का एक अध्याय प्रस्तुत कर रहे है जो इस किताब का प्रकाशित अंश है......


कलिनायक किताब में प्रकाशित

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तीसरा अध्याय
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ग्वालियर का फर्जीवाड़ा

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वह शतरंज का बाजीगर बन गया था।कारण कि, उसकी शतरंजंज के नियम-कायदे वह खुदुद अपने हिसाब से, तय करने लगा था। केवल उसका घोड़ा... ढाई घर तिरछा नहीं,बल्कि जहां चाहे, वहां वार करता था। उसने शतरंज की अपने मन मुताबिक गोटियां फिट कर दीं तो शह और मात की झड़ी लग गई और उसके सारे विरोधी धूल चाटने लगे। वे सफेद खानों पर चारों खाने चित्त हो गए, मगर वह तो काले खानों पर तांडव मचाता मोहरों को मसलता हुआ खुश होता रहा। यह शतरंज का अनूठा खेल कोई और नहीं, कलिनायक खेल रहा था।

निशाने पर ग्वालियर

  • हर अध्याय में आपको रमेश के अलग-अलग दुर्गणों का ज्ञान होगा। इस अध्याय में आप पढगं़े कि पतैंरेबाज रमशे के पास ''काण्डों'' को अजंाम देने का दमखम है। बिना इसके ग्वालियर पर कब्जा करना कठिन था। ग्वालियर में किये गये काण्डों को सही-सही गिन पाना आसान नहीं है। पते की बात यह है कि रमेश के काले कारनामें, जिसे वह सतरंगी सपने मानता है, इनको कितने अक्षरों, शब्दों, वाक्यों में पिरोया गया, शायद ही गिना जा सके। हम इस अध्याय में आपको इसकी एक झलक एट ए ग्लांस दिखा रहे हैं:-
  • सिंिधया राजघराने की नगरी ग्वालियर से सचं ालित कम्पनी-भास्कर पब्लिकेशन एंड एलाइड इंडस्ट्रीज, की स्थापना द्वारका प्रसाद के द्वारा की गई थी।
  • इस अध्याय में दिए गए तथ्यों की सच्चाई के सबूतों का अवलोकन करने के लिए दस्तावेजों का संलग्न सीडी में संकलन किया गया है। इससे ''कलिनायक'' की ''करतूतों'' के प्रमाणों से मुखातिब हुआ जा सकता है।
  • करतूतें खोलने से पहले आपको बता दिया जाए कि इस कम्पनी में द्वारका प्रसाद के परिवार के व्यक्तियों के दो गुट बन गए थे। एक गुट द्वारका प्रसाद, उनकी अर्धांगनी किशोरी देवी, और उनसे पैदा हुई हेमलताके अलावा द्वारका प्रसाद के अनुज विशम्भर दयाल का था। और दूसरा गुट द्वारका प्रसाद की पहली पत्नी कस्तूरी देवी के पुत्र रमेश, रमेश की पत्नी शारदा और रमेश की हॉं में हॉं मिलाने वाले खासमखास देवेन्द्र तिवारी का था। ये सब रमेशी शतरंज के माहिर खिलाड़ी थे।अब रमेशचन्द्र की नजर इस कंपनी पर पड़-गड़ गई।
रमेश की चाहतकर लं ग्वालियर मु_ी में
  • शुरू-शुरू में कम्पनी में रमेश का गुट अल्पमत में था। रमेश-पक्ष का वजन तो कम था। मगर लिप्सा का प्रेशर कुकर उसके दिमाग में फटने को तैयार था। इसलिए रमेश अपने पिता को हटाकर कम्पनी का मालिक बनना चाहता था। कंपनी का मालिक बनने तक जनाब का हाल-बेहाल था।
  • ग्वालियर का भी बनू... मै मालिक,
  • अब उसका ये नया एजेंडा था। अपने हड़पिया मंसूबे को पुरा करने के लिए जरूरी था कि रमेश गटुका कम्पनी में बहुमत हो। मौजूदा हाल में रमेश अपने बाप, बहन और चाचा के शेयर तो हड़प नहीं सकता था। समस्या का मगरमच्छ मुंॅह फैलाए खड़ा था। समस्या ये थी कि कम्पनी का मालिक कैसे बना जाये? कौन सी शतरंजी चाल चली जाए कि कपंनी जबड़े में जकड़ लें ? आखिरकार कैसे आए॥

मालिक बनू तो बनू कैसे?

  • बहुमत में आने के लिए आखिर क्या करें? इसे कहते हैं- कुर्सी की वासना। अपने नापाक उद्देश्य की पूर्ति हेतु उल्टी गंगा बहाने में विशेषज्ञ रमेश ने कूट-योजनापूर्वक कम्पनी पर कब्जा करने के लिए क्या षड्यंत्र रचा,उसने कैसी चालें चलीं, कैसे षडय़ंत्रों की गटरगंगा वही, आइये पाठकों, आप भी इसे जानिए:-ग्वालियर में बिछी बिसात, औैर यह थी रमेश की पहली सफलशतरंजी चाल... हड़पने के लिएशेयर कैपिटल बढ़ाकर, अकेले हड़पे वे सारे शेयर और बन बैठा मालिकहसबसे पहले रमेश ने मनमाने (Arbitrary) गैरकानूनी (illegal) और गलत (Wrongfull) तरीके से शेयर कैपिटल को बढ़ाया।हदस से तीस पर आया रमेेश-वह सन् 1987 के जुलाई माह का नौवा दिन था। जब रमेश ने अपने पिता की गरै हाजिरी में आयोजित मीटिंग में कम्पनी की शेयर कैपिटल दस हजार से बढ़ाकर तीस हजार कर दी।
  • रमेश ने ग्वालियर की कंपनी के अतिरिक्त शेयर किसी को जानकारी दिये बिना जारी कर दिये। और बाद में बढ़े हुए ये 6,603 शेयर किसी भी अन्य शेयर होल्डर को ऑफर नहीं किये।
  • वो सारे के सारे शेयर अपने माता-पिता, बहन या चाचा के नहीं बल्कि रमेश ने खुद अपने नाम पर आवंटित कर दिये। इस तरह खुद रमेश ने ही उन शेयरों को खरीद लिया।ग्वालियर की बिसात में रमेश की पहली चाल ने ही बाजी पलट दी:-सारे शेयर हड़प कर, कम्पनी अपनी बनाईरमेश ने यह सब फर्जीगिरी इसलिए की ताकि वह बढ़े हुए शेयर अपने नाम पर कर कपं नी पर अपना सिक्का जमा सके। हड़पे शेयेयरों की बदौलत रमेश गुट बहुमत में आ गया और रमेश के पिता का गटु अल्पमत में आ गया। वाह-वाह....क्या अनूठी चाल चली। खुद ही विक्रेता और खुद ही ग्राहक।
  • गैर कानूनी जोड़ तोड़ से कानून हुआ आहत
  • यही वो शातिर तरीका था...जिससे चतुर रमेश ने कंपनी-एक्ट और आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन के सारे प्रावधानों को धता बता कर गैरकानूनी तरीके से ग्वालियर की कंपनी को अपने कब्जे में ले लिया। कपट का ऐसा प्रहार कि, कानून हुआ तार-तार।
  • पिता का गुट मेमने की तरह मिमियाता और हाथ मलता रह गया। इस प्रकार रमेश के पहले ही वार ने मचाया हाहाकार। आस्तीन के सांप से डसे, अल्पमत का तो यही हश्र होना था कि उसके प्यादे पिट जाएं, उसके साथ इससे कम कुछ हो ही नहीं सकता था।
  • इस तरह दैनिक भास्कर ग्वालियर का साम्राज्य हड़पने की रमेश की काली इच्छा पूरी हो गई तो एसेे रमेश औैरंगजेबी अंदाज में कम्पनी का सर्वेसर्वा बन बैठा।
    लगातार.....
  • .नोट:- इस द्वंद युद्ध के पीछे की जानकारी का भी हम शीघ्र खुलासा करेंगे। इस खबर पर कमेन्टस हमारी बेबसाइट www.tocnewsindia. blogspot.com एवं timesofcrime@gmail.com पर भेज सकते है। वहीं जानकारी साझा करने के लिए संपर्क कर सकते हं।

Wednesday, January 26, 2011

गणतंत्र दिवस के बदले स्‍वतंत्रता दिवस की बधाई!

उत्‍तर प्रदेश, बिहार और मध्‍य प्रदेश में हिन्‍दुस्‍तान, अमर उजाला, जागरण, भास्‍कर, पत्रिका समेत लगभग सभी प्रमुख अखबारों ने 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के अवसर पर स्‍वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दी हैं. दरअसल यह न तो इन अखबारों की तरफ से दी गई शुभकामना है और ना ही अनजाने में हुई गलती है. यह टाटा डोकोमो का 3जी का विज्ञापन है. जिसको पढ़ने के बाद कई पाठक चौक गए.

कुछ ने कड़ी प्रतिक्रियाएं भी कीं. लेकिन जो सबसे दुखद है वह है गणतंत्र दिवस का माखौल उड़ाया जाना. पैसे के नाम पर जिस तरह से लगभग सभी अखबारों ने इस विज्ञापन को प्रमुखता से छापा है, उससे जाहिर है ये पैसे के लिए कुछ भी कर सकते हैं, कुछ भी. विज्ञापन के नाम पर कंपनी और अखबारों ने जिस तरह राष्‍ट्रीय पर्व का अपमान किया है उससे लोग स्‍तब्‍ध हैं. अभी तक पेड न्‍यूज के लिए बदनाम अखबार अब पैसे के लिए कुछ भी करने को तत्‍पर दिखाई पड़ने लगे हैं. चाहे उससे अपने राष्‍ट्रीय पर्व का अपमान ही क्‍यों न होता हो.

इसके बाद अब तो ऐसा भी लगने लगा है कि आप कुछ पैसे देकर देश के राष्‍ट्रपति, प्रधानमंत्री या किसी भी व्‍यक्ति संस्‍था के खिलाफ गाली-ग्‍लौज, अपशब्‍द तक विज्ञापन के रूप में प्रकाशित करा सकते हैं. और ये अखबार ऐसा करने से कतई गुरेज नहीं करेंगे. इस पर पाठकों ने काफी तीखी प्रतिक्रियाएं भेजी हैं. हालांकि यह अनजाने में हुई गलती नहीं है बल्कि एक विज्ञापन का हिस्‍सा है, लिहाजा हम उनके शब्‍दों को नहीं बल्कि भावनाओं को सामने लाने की कोशिश कर रहे हैं. नीचे आप भी इन अखबारों में छपे विज्ञापन पर नजर दौड़ाइये.

अमर उजाला

भास्‍कर

हिन्‍दुस्‍तान

जागरण

पत्रिका

Comments

Saturday, January 22, 2011

भास्कर के मुखिया का काला chittha किताब ’कलिनायक’ 100 रुपए में

महानतम किताब ’कलिनायक’ 100 रुपए में

सफल, मस्तीभरा जीवन जीने व 2 करोड़ के ईनाम जीतने के लिए, इक्कीसवीं सदी की महानतम किताब ’कलिनायक’ को 100 रुपए में खरीदें या http://www.rajasthankalinayak.net/ से मुफ्त डाउनलोड करें।
प्रकाशक- राजस्थान कलिनायक प्रकाशन, बीकानेर।

फोन
.0151-22000269, 09636003115

हाइवा से छात्र युवक की मौत

रिपोर्टर// बलराम शर्मा (सिंगरौली// टाइम्स ऑफ क्राइम)
रिपोर्टर से सम्पर्क : 99263 33470
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सिंगरौली। 12 जनवरी 2011 को नवानगर से माजनमोड़ आने वाले मुख्य मार्ग पर दोपहर तकरीबन डेढ़ बजे बजरंग कांस्ट्रशन का एक अनियंत्रित हाइवा क्रमांक यू.पी. 64 एच 5885 ने बैढऩ की ओर से आ रहे एक बाइक सवार प्रवीण कुमार सिंह पिता शिवाधार सिंह उम्र 17 वर्ष निवासी अमलोरी परियोजना, को जोरदार टक्कर मार दी, जो सरस्वती उ0मा0 विद्यालय-अमलोरी का कक्षा-12वीं का छात्र था। प्रवीण कुमार सिंह की घटना स्थल पर ही दर्दनाक मौत हो गयी। घटना की सूचना मिलने पर पहुॅंची कोतवाली पुलिस ने तकरीबन आधा घण्टा तक मृतक की शिनाख्त करनी चाही, परन्तु वहां मौजूद स्थानीय लोगों ने मृतक को पहचानने से इनकार कर दिया। जिस कारण पुलिस अधिकारियों ने शव को पंचनामा कर पोस्टमार्टम हेतु भेज दिया। शव के पोस्टमार्टम हेतु ले जाने के बाद आसपास के स्थानीय असामाजिक तत्वों ने मुख्य मार्ग पर बॉस की टटिया रख चकाजाम कर दिया। जिस कारण स्थिति गंभीर हो गयी। मौके की नजाकत भॉंपते हुये घटना स्थल पर मौजूद पुलिस अधिकारियों ने तत्काल अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दी। सूचना मिलते ही संयुक्त कलेक्टर डा. नवीन तिवारी, सीएसपी गोविन्द पाण्डेय, विन्ध्यनगर टीआई इशरार मंसूरी, जयंत चौकी प्रभारी मनीष त्रिपाठी , यातायात प्रभारी आर0पी0 सिंह अपने दल-बल के साथ घटना स्थल पर पहुॅंचे। कई घण्टे की समझाइस के बाद जब स्थानीय लोगों ने प्रषासन की बात मानने से इनकार कर दिया। तब अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ओ0पी0 त्रिपाठी घटना स्थल पर आये। उन्होंने महापौर रेनू शाह के सहयोग से स्थानीय लोगों को शांत कराने में सफलता प्राप्त की ।तब कहीं जाकर मामला शांत हुआ। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने सड़क के परिजनों को आर्थिक सहायता के रूप में 25 हजार रूपये देने की घोषणा की है। साथ ही बैढऩ पुलिस ने आरोपी वाहन चालक के विरूद्ध मामला पंजीबद्ध कर लिया है।

गोरबी चौकी प्रभारी लाइन अटैच

रिपोर्टर// बलराम शर्मा (सिंगरौली// टाइम्स ऑफ क्राइम)
रिपोर्टर से सम्पर्क : 99263 33470
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सिंगरौली। गोरबी चौकी प्रभारी के कब्जे से अवैध रूप में पाये गये डीजल को पुलिस अधिकारियों ने गंभीरता से लिया है और जांच अधिकारी मोरवा एसडीओपी के प्रतिवेदन के आधार पर पुलिस अधीक्षक ने चौकी प्रभारी सरला मिश्रा को लाइन अटैच कर दिया है वहीं दो अन्य उपनिरीक्षक तथा एक सहायक उपनिरीक्षक को इधर से उधर पुलिस अधीक्षक द्वारा किया गया है। मालूम हो कि चौकी प्रभारी सरला मिश्रा अपने करतूतों के चलते काफी चर्चित हो गयी थी और चौकी प्रभारी की लगातार शिकायतें मिल रही थी। इधर गत दिवस पुलिस कप्तान के मुखबिरों ने सूचना दिया कि चौकी प्रभारी के यहां अवैध रूप से डीजल रखा हुआ है। पुलिस अधीक्षक ने एसडीओपीस मोरवा जीतेन्द्र सिंह बिसेन को जांच अधिकारी नियुक्त कर मामले की जांच करने के लिये निर्देशित किया जहां जांच अधिकारी एसडीओपी मौके पर पहुंच चौकी प्रभारी के कब्जे से करीब 40 लीटर अवैध डीजल पाया गया। जांच अधिकारी ने अपना जांच प्रतिवेदन तैयार कर एसपी के यहॉं प्रस्तुत किया, जहां पुलिस अधीक्षक ने चौकी प्रभारी सरला मिश्रा को लाईन अटैच कर दिया है। वहीं पुलिस अधीक्षक ने दो उपनिरीक्षक तथा एक सहायक उपनिरीक्षक को नई जिम्मेदारी सौंपी है। पुलिस अधीक्षक कार्यालय के सूत्रों ने बताया है कि उपनिरीक्षक शिवराम को पुलिस लाइन सिंगरौली से बैढऩ थाना एवं बैढऩ थाना में पदस्थ उपनिरीक्षक पुष्कर मुबेल को चितरंगी थाने में पदस्थ किया है। वहीं नवीन पदोन्नति प्राप्त सहायक उपनिरीक्षक रामप्यारे मिश्रा को गोरबी चौकी प्रभारी बनाया गया है।
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हाइवा से छात्र युवक की मौत
जनवरी 2011 को नवानगर से माजनमोड़ आने वाले मुख्य मार्ग पर दोपहर तकरीबन डेढ़ बजे बजरंग कांस्ट्रशन का एक अनियंत्रित हाइवा क्रमांक यू.पी. 64 एच 5885 ने बैढऩ की ओर से आ रहे एक बाइक सवार प्रवीण कुमार सिंह पिता षिवाधार सिंह उम्र 17 वर्ष निवासी अमलोरी परियोजना, को जोरदार टक्कर मार दी, जो सरस्वती उ.मा. विद्यालय-अमलोरी का कक्षा-12वीं का छात्र था। प्रवीण कुमार सिंह की घटना स्थल पर ही दर्दनाक मौत हो गयी। घटना की सूचना मिलने पर पहुॅंची कोतवाली पुलिस ने तकरीबन आधा घण्टा तक मृतक की शिनाख्त करनी चाही, परन्तु वहां मौजूद स्थानीय लोगों ने मृतक को पहचानने से इनकार कर दिया। जिस कारण पुलिस अधिकारियों ने शव को पंचनामा कर पोस्टमार्टम हेतु भेज दिया। शव के पोस्टमार्टम हेतु ले जाने के बाद आसपास के स्थानीय असामाजिक तत्वों ने मुख्य मार्ग पर बॉस की टटिया रख चकाजाम कर दिया। जिस कारण स्थिति गंभीर हो गयी। मौके की नजाकत भॉंपते हुये घटना स्थल पर मौजूद पुलिस अधिकारियों ने तत्काल अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दी। सूचना मिलते ही संयुक्त कलेक्टर डा. नवीन तिवारी, सीएसपी गोविन्द पाण्डेय, विन्ध्यनगर टीआई इशरार मंसूरी, जयंत चौकी प्रभारी मनीष त्रिपाठी ,, यातायात प्रभारी आर.पी. सिंह अपने दल-बल के साथ घटना स्थल पर पहुॅंचे। कई घण्टे की समझाइस के बाद जब स्थानीय लोगों ने प्रशासन की बात मानने से इनकार कर दिया। तब अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ओ.पी. त्रिपाठी घटना स्थल पर आये। उन्होंने महापौर रेनू शाह के सहयोग से स्थानीय लोगों को शांत कराने में सफलता प्राप्त की। तब कहीं जाकर मामला शांत हुआ। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने सड़क के परिजनों को आर्थिक सहायता के रूप में 25 हजार रूपये देने की घोषणा की है। साथ ही बैढऩ पुलिस ने आरोपी वाहन चालक के विरूद्ध मामला पंजीबद्ध कर लिया है।

एनसीएल निगाही परियोजना में चोरी का सिलसिला जारी

चोरों के निशाने पर निगाही खदान
रिपोर्टर// बलराम शर्मा (सिंगरौली// टाइम्स ऑफ क्राइम)

रिपोर्टर से सम्पर्क : 99263 33470
toc news internet channel

सिंगरौली. एनसीएल निगाही परियोजना की खदान पूरी तरह कबाड़ चोरों के निशाने पर है। लगातार दुस्साहसिक घटनाओं को अंजाम देते हुए कबाड़ चोर खदान क्षेत्र से लाखों रूपये मूल्य के केबल व उपकरणों को चुरा चुके हैं। आये दिन कबाड़ चोरों द्वारा खदान क्षेत्र से केबल काटकर चुरा लिए जाने से उत्पादन पर भी व्यापक दुष्प्रभाव पड़ रहा है। नवम्बर-दिसम्बर महीने में चोरी के आकड़ों पर प्रकाश डालें तो स्थिति निरंतर बद से बदतर होती जा रही है। गत 2 नवम्बर को निगाही सबस्टेशन नवम्बर-3 से चोरों ने 84 हजार रूपये मूल्य का आर्मट केबल चुरा लिया। उसी रात्रि खदान क्षेत्र में खड़े डम्पर से 98 हजार रूपये का पावर केबल की चोरी हुई। 4 नवम्बर को कनवेयर नम्बर-9 सी से 20 हजार रूपये मूल्य का 10 नग टाप रोलर चोरों ने चुरा लिया।
दूसरे ही दिन 5 नवम्बर को सीएचपी से 1 लाख 12 हजार रूपये मूल्य का आर्मट केबल चोरों की भेंट चढ़ा। 8 नवम्बर को डम्पर नवम्बर-27 एवं 16 ईस्ट एवं वेस्ट पार्किंग की 8 लाख रूपये मूल्य की पावर केबल चुरा ली गयी। 9 नवम्बर को माइनस आवास स्थित ट्रांसफार्मर से 350 लीटर तेल चोरी हुआ। 11 नवम्बर को सीएचपी से 80 मीटर केबल चोरी कर चोरों ने निरंतर दबदबा बनाये रखा। 12 नवम्बर को सीएचपी की विभिन्न साइटों से 250 मीटर एवं 12 नवम्बर को ही ड्रिल मषीन से 45 एवं डम्पिंग क्षेत्र से 60 मीटर एसी कन्ट्रोल केबल चुरा ली गयी। 13 नवम्बर, 17 नवम्बर, 18 नवम्बर, 20 नवम्बर, 21 नवम्बर एवं 22 नवम्बर को विभिन्न क्षेत्रों से केबल चोरी का सिलसिला जारी रहा। बड़ा कारनामा करते हुए चोरों ने दो दिन पूर्व खदान क्षेत्र में खड़े चार टेरिक्स डम्पर से 4 लाख रूपये मूल्य का केबल चुरा लिया। कबाड़ चोरों के दुस्साहस के समक्ष पुलिस व सुरक्षा गार्ड बौने साबित हो रहे हैं। लोगों का मानना है कि यदि यही स्थिति रही तो वह दिन दूर नहीं कि कबाड़ चोर सम्पूर्ण खदान क्षेत्र को ही चट कर जायेंगे। इस सम्बन्ध में सिंगरौली के पुलिस अधीक्षक ने कहा कि कबाड़ चोरी पर अंकुश के लिए पुलिस पूरी तरह गम्भीर है, किन्तु खदान क्षेत्र में तैनात सुरक्षा गार्डों को भी मुस्तैद रहना होगा।

बीस लाख से अधिक का कबाड़ बरामद

रिपोर्टर// बलराम शर्मा (सिंगरौली// टाइम्स ऑफ क्राइम)
रिपोर्टर से सम्पर्क : 99263 33470
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सिंगरौली. पुलिस अधीक्षक ने विन्ध्यनगर थाना क्षेत्र के जयनगर स्थित एक मकान पर सोमवार की शाम छापामार कार्यवाही करते हुये भारी भरकम स्क्रैप एवं सिविल कार्य करने में लगने वाले सामग्रियों को जप्त कर लिया है और आज दूसरे दिन भी उक्त मकान में भी छापामार कार्यवाही जारी रही है, जिसमें अभी तक बीस लाख कीमत अनुमानित सामग्रियॉं बरामद की गयी हैं। एक कबाड़ी के घर से इतनी मात्रा में सामग्री मिलने पर स्थानीय पुलिस के होश उड़ गये हैं और उनकी कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं। खबर यहॉं तक है कि विन्ध्यनगर पुलिस के संरक्षण में उक्त कारोबार चल रहा था। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पुलिस अधीक्षक को मुखबिरों के माध्यम से खबर मिली कि विन्ध्यनगर थाना क्षेत्रान्तर्गत जयनगर स्थित रामसकल शाल पिता कालीचरण शाह के आवास में लाखों कीमत के बेशकीमती पार्टस व स्क्रैप सहित अन्य कबाड़ सामग्रियॉं रखी है। मुखबिरों के उक्त खबर के आधार पर पुलिस अधीक्षक नगर पुलिस अधीक्षक सहित अन्य पुलिस बल के साथ रामसकल के स्थित आवास में छापामार कार्यवाही की जहां करीब दो ट्रक सामग्री जिसमें पुरानी पाईप, एंगल, प्लेट, स्क्रैप सहित अन्य सामग्रियॉं बरामद हुई। वहीं उक्त कार्यवाही रातभर जारी रही और मंगलवार को दो ट्रक फिर से विभिन्न सामग्रियॉं बरामद की गयी है।
जिसकी कीमत करीब बीस लाख रूपये से ऊपर बताया जा रहा है। पुलिस का कहना है कि रामसकल एनटीपीसी से सामग्री खरीदना बता रहा है। जिसकी जांच की जा रही है। फिलहाल रामसकल के आवास से भारी भरकम कबाड़ संबंधित सामग्रिया एवं बेशकीमती मशीनों के पाटर्स मिलने से स्थानीय पुलिस भी सकते में आ गई है।

बालाघाट-जबलपुर ब्राडगेज रेल्वे और वन विभाग की लापरवाहीं से लटकी योजना

सिटी चीफ // मुकेश तिवारी (बालाघाट // टाइम्स ऑफ क्राइम)
प्रतिनिधि से सम्पर्क 9301220500

बालाघाट। बालाघाट से जबलपुर की नैरोगेज परियोजना जो ब्राडग्रेज में परिवर्तन का काम चल रहा था। अब ठंडे बस्ते में चली गई है। रेल्वे द्वारा किये जा रहे निर्माण कार्यों में वन विभाग की आपत्ति के चलते कार्यों में विलंब हो रहा है वन विभाग ने रेल्वें पर आपत्ति लगाते हुए कहा कि बगैर अनुमति एवं प्रस्तावों को पास किये बगैर रेल्वे अवैध रूप से जमीन अधिग्रहित की है। क्योंकि ब्राडगेज की रेल्वे लाईन को बालाघाट और सिवनी जिले की सीमाओं से गुजरना पड़ता है यह वो इलाका है जहां दो राष्ट्रीय पार्क कान्हा और पेंच की सीमाएं हैं जो कि टाइगर रिजर्व क्षेत्र हैं। यदि यहां से ट्रेने गुजरेंगी तो वन्य प्राणियों को परेशानी हो सकती है। अत: पर्यावरण मंत्रालय ने भी फाइलें पेंडिग़ रखी है। चंूकि यह परियोजना को 2013 में पूरा हो जाना था किंतु शेष 2 वर्षों में इतना प्रोजेक्ट पूरा हो जायेगा संदेह है। क्योंकि अभी जमीन हस्तांतरण का मामला ही वन एवं रेल्वे विभाग में अधर में लटका है। समय जैसे बढ़ रहा है परियोजना की लागत भी बढ़ रही है। जब यह प्रोजेक्ट की स्वीकृति मिली थी तब इसकी अनुमानित लागत 511 करोड़ रूपये की थी। इस मार्ग में छोटे-छोटे पुलों का निर्माण कार्य प्रारंभ है एवं वन विभाग की स्वीकृति न मिलने के कारण अर्थ वर्क का कार्य बीच में ही रोक देना पड़ा था। रेल्वें के अधिकारियों के बीच मंथन जारी है। कि इस योजना को कैसे पूरा किया जाय। इसके दो विकल्प हैं कि स्वीकृति क्षेत्र को वन क्षेत्रों के संवेदनशील जगह से अन्य स्थान में ट्रेक बनाया जाय। किंतु इसमे समय, पैसा एवं पुन: तकनीकी स्वीकृति कराई जाय। दूसरा विकल्प यह है कि बताये गये ट्रेक में निर्माण कार्यों की चाल को सुस्त की जावें जब तक जनप्रतिनिधि एवं जनता आंदोलन इस कार्य कों पुन: चालू करने के लिए आगे न आये। फिलहाल रेल्वे बालाघाट के मार्ग में पूरा करने में लगा है ताकि एक छोर पूरा हो सके।

झुग्गी झोपड़ी प्रकोष्ठ की विशाल आमसभा

जिला प्रतिनिधि // डी। जी. चौरे (बालाघाट // टाइम्स ऑफ क्राइम)
प्रतिनिधि से सम्पर्क 93023 02479

बालाघाट. झुग्गी झोपड़ी प्रकोष्ठ कांग्रेस इँकाई के जिला अध्यक्ष मकसूद खान ने बताया कि जिले में रह रहे झुग्गीवासियों द्वारा गरीब दलित, आदिवासी, मुस्लिम दाइयों की ओर से इपनी मांगों को लेकर एवं केन्द्र द्वारा 400 से अधिक कल्याणकारी योजना को राज्य सरकार द्वारा लागू करने हेतु प्रकोष्ठ की अगुवाई में आमसभा का आयोजन किया जावेगा। झुग्गी झोपड़ी प्रकोष्ठ की प्रमुख मांगे-बी.पी.एल कार्डधारियों को 200/- रूपये में गैस कनेक्शन एवं प्रतिमाह 100/- रूपये में गैस की टंकी दी जाए। केन्द्र सरकार की झुग्गी मुक्त योजना जवाहर लाल नेहरू शहरी नवीनीकरण हेतु पक्के मकान बनाकर जल्दी से जल्दी बी.पी.एल. कार्डधारियों को उपलब्ध कराई जाये, बी.पी.एल को प्रत्येक माह 35 किलो राशन दिया जाय, प्रत्येक पंचायत को इंदिरा आवास का आवेदन दिया जावें, भूमाफियों द्वारा झुग्गियों में अवैध कब्जा किया है उससे मुक्त कराकर गरीबों को बांट दिया जावे। प्रत्येक दांयी की बच्ची की शादी में सरकार 10,000/- की अनुदान राशि भेंट की मांग शामिल हैं। इस अवसर पर जिला कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष पुष्पा बिसेन ब्लॉक कांगेस वारासिवनी, स्वपनिल डोगरे, वारासिवनी विधायक गुड्डा जैसवाल, पूर्व विधायक अशोक सरस्कर, पुष्पलता कावरे जिला पंचायत के सदस्य, जनपद एवं कांग्रेस के समस्त कार्यकत्र्ता रहेंगे।

बिना व्यवस्था जिले में चल रहे 36 निजी नर्सिग होम

ब्यूरो प्रमुख // राजेश रजक (सागर //टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरो प्रमुख से सम्पर्क 94065 56846

सागर । जिसमें अधिकांश नर्सिग होम आवासीय कोलोनियों में स्थित है। निजी चिकित्सालयों से प्रतिदिन निकलने वाले बायो मेडिकल अपशिष्ट को नष्ट करने की व्यवस्था इस नर्सिग होमों में नहीं है इन नर्सिग होमों से प्रतिदिन सैकड़ो मरीजों को ग्लूकोज की बोटल इंजेक्शन और दवाईयां दी जाती है जिसका कचरा संबंधित चिकित्सा संस्थाओं के आसपास फेंक दिया जाता है प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इन नर्सिग होम इस मेडिकल अपशिष्ट को खत्म करने के लिए इंसीनरेटर लगाने के निर्देश दिये हैं। लेकिन इन नर्सिग होमो के संचालक इन निर्देशों को ताक पर रख दिया इससे आम जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है और शासन प्रशासन नींद में है।
हाऊसिंग बोर्ड पद्माकर कालोनी में स्थित नारायण नर्सिग होम संचालक एन.पी. शर्मा जो कि लगभग 20 सालों से नर्सिग होम चला रहे है बिल्ंिडग चार मंजिल जो कि पंचायत राज 73 के तहत केवल तीन मंजिल तक के निर्देशित है अतिक्रमण का सहारा लेकिन पूरे सड़क पर अपना नर्सिग होम चला रहें पार्किग की कोई व्यवस्था नहीं है फिर नर्सिग होम धड़ल्ले से चल रहा है, अस्पताल के अन्दर पैथलॉजी लेब, मेडिकल स्टोर सोनोग्राफी एक्सरे मशीन, ब्लड का चढऩा उतरना सभी शामिल है जो केवल सरकारी अस्पतालों में काम होता है।
पूरा नर्सिग होम अतिक्रमण की आड़ मे चला रहें शर्मा जी सड़क पर जनरेटर की व्यवस्था है आवासीय कालोनियों का व्यवसायिक इस्तेमाल किया जा रहा है। शर्मा जी के पास पालिशन प्रदूषण बोर्ड का परमिशन है या नहीं है इन्हें केवल राजनैतिक संरक्षण प्राप्त होने के कारण शासन प्रशासन इन पर कार्यवाहीं करने से डर रहा है। शर्मा जी को केवल पैसो से मतलब इनको न बायो मेडिकल अपशिष्ट निकलने वाले कचरे से मतलब न ही यातायात व्यवस्था से मतलब न इनको आम जनता की सेहत से मतलब केवल नर्सिग होम चलना चाहिये पैसा आना चाहिये। शासन प्रशासन को आम जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वालों के साथ क्या करना चाहिये..........
अपिता नर्सिग होम संचालक डॉ. अरूण सिंघई श्रीमति ममता सिंघई जो कि इनका नर्सिग होम हाऊसिंग नगर पद्माकर कालोनी नगर में स्थित जो कि पूर्णत: आवासीय कालोनी के बावजूद न पार्किग व्यवस्था, न ही अपशिष्ट पदार्थों की व्यवस्था की है। बल्कि इन्होंने अतिक्रमण की आड़ मे लेकर पूरे सड़क पर ही नर्सिग होम बना लिया और न ही प्रदूषण की मान्यता है फिर भी नर्सिग होम चल रहे हैं। चलिये बात करते है भागीरथी नर्सिग होम जो पद्माकर कालोनी मे स्थित है। आवासीय कालोनी इन्होंने तो नर्सिग होम के बाजू में में ही कचरा घर बना रखा है,जिनके संचालक है डॉ. साधना मिश्रा। डॉ. हर्ष मिश्रा डिलेवरी का पूरा काम होता है। निकलने वाली गन्दगी को नर्सिग होम के दो एकड़ जमीन में कचरा घर बना दिया है। अब बताइये प्रदूषण बोर्ड ने इनको मान्यता दी है।
इन नर्सिग होमों के पास प्रदूषण बोर्ड ने इंसीनेटर लगाने के निर्देश दिये गये थे या अपशिष्ट पदार्थों को गड्ढे में डालकर जलाकर नष्ट करने के नियम बनाये लेकिन किसी भी नर्सिग होम ने यह व्यवस्था नहीं की है।
शांति नर्सिग होम संचालक डॉ. राकेश शर्मा जो है इन डॉक्टर साहब ने नीचे घर, ऊपर नर्सिग होम बनाया हुआ है आवासीय कालोनी होने के बावजूद इससे निकलने वाले कचरे को सड़क पर फेक दिया जाता है। फरेनदास नर्सिग होम संचालक डॉ. कमला ठाकुर जो डिलेवरी पूरा काम करती है। इनक े स्टॉफ की विशेषता है कि सारे व्यक्ति 6-7 वीं पास सारे काम करते है एक भी योग्य प्रशिक्षित व्यक्ति नहीं जो इंजेक्शन लगा सकें। जिले में जितने भी नर्सिग होम है आम जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। ऐसा नहीं कि स्वास्थ्य विभाग को इसकी जानकारी नहीं हैं लेकिन राजनैतिक दबदबा होने के कारण शासन प्रशासन मौन और क्यों न हो इसका मोटा हिस्सा पहुंचा दिया जाता है।च