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Saturday, January 1, 2011

तू ऐसे नहीं तो ऐसे मरेगी लेकिन मरेगी जरूर

दुसरी शादी में रोड़ा बन रही पहली पत्नि का मृत्यु प्रमाण
बैतूल // रामकिशोर पंवार (टाइम्स ऑफ क्राइम)
बैतूल. मध्यप्रदेश के मुखिया शिवराज भैया की बहनो के सैया उनके साथ किस कदर मानसिक प्रताडना कर रहे है इस बात का उन्हे अंदाजा भी नहीं होगा। ग्राम जैत तहसील बुदनी जिला सीहोर निवासी शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश शासन की एक आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले की एक दलित समाज की मुँहबोली बहन श्रीमति संगीता बाघमारे हाल मुकाम अर्जून नगर बैतूल के पति सुरेश बघमारे निवासी रामनगर बैतूल के पति ने जब उसकी पत्नि संगीता को चाह कर भी अपने रास्ते से नहीं हटा पाया तो उसकी मृत्यु का प्रमाण पत्र ही हासिल कर लिया। अब बेचारी बहन पति की बेवफाई और उसकी शादी के बाद अपने जीवित होने का प्रमाण पत्र लाने के खण्डवा और बैतूल के बीच में घनचक्कर बन कर घुम रही है। मजेदार बात तो यह है कि दलित बहन का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने वाली प्रदेश के केबीनेट मंत्री कुंवर विजय शाह की जीवन संगनी श्रीमति भावना शाह महापौर खण्डवा के कार्यालय से जारी किया गया है। आदिवासी समाज के नेता कुंवर विजय शाह की जीवन संगनी श्रीमति भावना शाह अब उस बेचारी दलित महिला की भावना को क्या समझ पायेगी...?
मध्यप्रदेश की बहनो के मुँहबोले शिवराज भैया के सुराज में ऐसा भी कुछ हो जाता है कि भाजपा शासित महानगर निगम कार्यालय एक जीवित महिला को ही मरा साबित कर डाले और जब वह अपने जीवित होने का प्रमाण दे तो उसे नजरअदांज कर अपने पापो को छुपाने का काम कर रही है। अपनी बहन की इस दर्दनाक पीड़ा की खबर उनके कानो तक नहीं पहुंच पा रही है क्योकि बेचारी बहन तो बैतूल और खण्डवा के बीच अपने जिंदा होने का प्रमाण पाने के लिए घनचक्करी बनी हुई है। वैसे भी बहन के मायके और ससुराल से भैया की चार इमली वाली हवेली की दूरी दो सौ किलोमीटर से कम नहीं है। बैतूल की संगीता सुरेश बाघमरे कहती है कि वह अपने पति की बेवफाई से ज्यादा दुखी इस बात को लेकर है कि अब मैं अपने जीवित होने का सबूत कहां से लांऊ...?
कागजों पर अपनी पहली पत्नी की मृत्यु का प्रमाण पत्र पाने वाले संगीता के पति ने अपनी पहली पत्नि से बिना तलाक लिये दुसरा विवाह कर मजे की जिदंगी जी रहा है। बैतूल कोर्ट में दोनो पति - पत्नि के बीच चल रहे एक प्रकरण के दौरान जब सच्चाई मजिस्टे्रज के सामने आई तो उनका भी माथा चकरा गया.....? अब न्याय की कुर्सी पर बैठा मजिस्टे्रज आखिर किसकी बाते को माने.....? कागज सही है या फिर वह महिला जो चीख - चीख कर कह रही है कि वहीं संगीता है तथा जिंदा आपके समाने खडी है....? पूरे प्रकरण के बारे में संगीता बाघमारे कहती है कि पति की मानसिक प्रताडना एवं शारीरिक यातना के चलते वह पिछले कुछ वर्षो से अपने पिता के पास रह रही थी। इस बीच उसकी शिकायत पर दर्ज प्रकरण न्यायालय में चल रहा है जिसके फैसले के पूर्व ही उसके पति ने खण्डवा महानगर निगम कार्यालय से उसकी मृत्यु का फर्जी प्रमाण पत्र बनवा कर दुसरी अन्य लड़की से शादी कर ली है। अपने पति की करतूतो को लेकर पीडित दलित महिला पुलिस अधिक्षक के पास भी पहुंची लेकिन पुलिस तो सारे मामले में तब तक नहीं जागती जब तक की कोई दलित - आदिवासी महिला फुलिया बाई या उर्मिला की तरह जहर खाने के लिए मजबुर नहीं हो जाती।

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