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Wednesday, January 19, 2011

माइन्स तहसील, पुलिस वनाधिकारियों की सह पर अवैध खनन

कोरांव में कई अवैध आरा मशीने चालू-कटानों खनन से राजस्व की क्षति

ब्यूरो प्रमुख उ. प्र.// सूर्य नारायण शुक्ल (इलाहाबाद //टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरो प्रमुख उ. प्र. से सम्पर्क 99362 29401

इलाहाबाद।कोरांव थाना एवं वन रेंज कोरांव अन्तर्गत पुलिस तथा वन विभाग के अफसरों व कर्मचारियों की मिली भगत से महीनों से अवैध रूप से आरा मशीनें चल रही हैं और क्षेत्र के हरे भरे बाग बगीचों एवं जंगलों के वृक्ष ठेकेदारों द्वारा किसानों- वृक्ष स्वामियों से औन पौन दाम पर पुलिस -फारेस्ट की स्वयं जिम्मेदारी ओढ़कर खरीद करके आरा मशीनों पर पहुंचा कर सिल्लियां- पट्टियां बनवा कर फर्नीचर के दुकानों पर बेच दे रहे हैं। इसी तरह वन विभाग की जमीनों कई स्थानों- पहाड़ों, नालों, प्लाटों पर भी अवैध रूप ये गिट्टी बोल्डर, मोरम, बालू की खदानें चल रही हैं जिससे वन, पाषाण पर्यावरण राजस्व की अपूर्णनीय क्षति हो रही हैं।
उल्लेखनीय है कि अवैध रूप से आरक्षित पर्वतीय वनों में विगत वर्ष इमारती पत्थर पटिया की खदाने निरन्तर शिकायतों समाचारी-पत्रों में प्रकाशन से हरकत में आकर वन विभाग यू.पी. एम.पी.के सीमा वनाधिकारियों से बन्द कराकर विधिक कार्यवाहीं की जिससे पटिया की खदानें व सप्लाई तथा फर्जी प्रपत्रों का इस्तेमाल बन्द हो गया। लेकिन पत्थर माफिया ठेकेदारों ने कोरांव बन रेंज के अधिकारी, वन दरोगा वन रक्षकों, व ईलाकई थाना पुलिस को माहवारी सुविधा शुल्क देकर युद्ध स्तर पर क्षेत्र के बढ़वारी कला पहाड़ी, महुली सेक्शन के अंतरेजी, मोहरना, कुंडवा, बिल्लीघाट, बदौआ, नेवढिय़ा, हंडिया, बसहा, बड़ोखर के पहाड़ी क्षेत्र, पटपरों नदियों नालों,व पहाड़ी के किनारे किनारे यू.पी.,एम.पी. बार्डर पर युद्ध स्तर पर गिट्टी, बोल्डर, पत्थर, की तुडा़ई, खदानें लगाकर रात दिन, ट्रकों ट्रेक्टरों के माध्यम से सड़कों, चेक डैमो, कूपों आदि के निर्माणाधीन प्रोजेक्टरों पर सप्लाई कर रहे हैं और मालामाल हो रहे हैं। उसी प्रकार छोटी, बड़ी, नदी-नालों से रद्दी किस्म की बालू मोरम, पत्थर, कंकड़ भी खनवा- खोदवा कर पे्राजेक्टों पर अवैध ढंग से चल रही कोरांव में दो तीन आरामशीनें,मोगन, बड़ोखर व आसपास के गांवों में चल रही है जिस पर तथा सभी उक्त कारोबारों पर तहसील कोरांव के तहसीलदार, माइन्स इन्सपेक्टर, कोरांव बन रेंजर, थानेदार आदि की निगााह है लेकिन कोई बोल नहीं रहा है। इस बाबत आम नागरिकों ने प्रशासनिक उच्च अधिकारियों, उच्च वनाधिकारियों पुलिस कप्तान आदि से शिकायत की है। जनता ने मुख्यमंत्री से फैक्स भेजकर कार्यवाहीं करने की मांग की हैं।

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