नई दिल्ली। आरूषि हेमराज हत्याकांड में जिस सीबीआई ने तीनों नौकरों को गिरफ्तार किया था उसी सीबीआई की नई टीम ने जांच के बाद इन नौकरों को क्लीनचिट दे दी। सीबीआई ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा है कि इस हत्याकांड में नौकरों की कोई भूमिका नहीं है। तीनों नौकर निर्दोष हैं। क्लोजर रिपोर्ट के सामने आने के बाद अब इन नौकरों के वकील सीबीआई पर मानहानि का दावा ठोंकने की तैयारी कर रहे हैं।
मामले की जांच कर रही सीबीआई की पहली टीम ने एक वक्त ये खम ठोंककर दावा कि आरुषि और हेमराज की हत्या तीन नौकरों ने की है। ये तीनों कृष्णा, राजकुमार और विजय मंडल थे। अरुण कुमार की सीबीआई टीम ने हत्याकांड के आरोप में इन तीनों नौकरों को एक-एक कर गिरफ्तार किया। न सिर्फ इनसे कई दिनों तक पूछताछ की गई बल्कि इनका नार्कों और लाइडिटेक्टर समेत कई साइंटिफिक टेस्ट कराए गए। लेकिन आखिर में उनका हाथ सिर्फ सिफर ही आया। तीनों नौकरों को इस दोहरे हत्याकांड के आरोप में सीबीआई ने गिरफ्तार तो कर लिया लेकिन उनके खिलाफ न तो उसे कोई सबूत मिला और न ही केस में कोई लीड। लिहाजा कोर्ट ने तीनों नौकरों को जमानत दे दी।
रिपोर्ट में सीबीआई ने कहा है कि जांच में ये पता चला कि वारदात की रात पड़ोस में काम करने वाला विजय मंडल कार गैरेज में अपने परिवार के साथ सो रहा था। इस बात के सबूत है कि वारदात की रात कृष्णा अपने घर में सो रहा था। जांच में ये भी पता चला कि तीनों नौकरों की न तो टेलीफोन पर कोई बातचीत हुई और न ही व्यक्तिगत रूप से ये आपस में मिले।
सीबीआई को नौकरों के खिलाफ कुछ नहीं मिला। अपनी क्लोजर रिपोर्ट में नौकरों पर सीबीआई ने आगे लिखा है कि नौकरों की हिम्मत नहीं थी कि तलवार दम्पत्ति की मौजूदगी में वो फ्लैट में इकट्ठा हों।
- सीबीआई के मुताबिक रात साढ़े ग्यारह बजे राजकुमार ने अपनी मालकिन अनिता दुर्रानी के लिए खाना बनाया। अनीता दुर्रानी ने व्रत की वजह से रात 12 बजे के बाद खाना खाया। खाना खाने के बाद रात साढ़े 12 बजे वो अपने अपने कमरे में सोने चले गए।
- सीबीआई के मुताबिक दुर्रानी के घर से साइकिल पर आरुषि के घर तक पहुंचने में कम से कम 20 मिनट का समय लगता है। जबकि हत्या का समय रात 12 से एक के बीच था। ऐसे में ये असंभव है कि राजकुमार कत्ल के वक्त कत्ल की जगह पहुंच पाए।
- डॉ. दुर्रानी ने घर में खुद अंदर से ताला लगाया था। ऐसे में राजकुमार के लिए चुपके से बाहर निकलना मुश्किल था।
- आरुषि की सोसायटी और दुर्रानी की सोसायटी के दरबानों ने दोनों जगहों में से कहीं भी राजकुमार को उस रात नहीं देखा था।
- राजकुमार की ना तो विजय मंडल और कृष्णा से फोन पर भी बातचीत नहीं हुई थी। इसलिए इन तीनों ने आपस में कोई साजिश नहीं रची।
- राजकुमार विजय मंडल को जानता तक नहीं था जबकि कृष्णा से उसकी मामूली मुलाकात थी।
-विजय मंडल की भी मोबाइल पर किसी से बात नहीं हुई।
-कृष्णा के पास से मिली खुखरी भोथरी थी और उसपर न तो खून के और न ही उंगलियों के निशान मिले।
सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट में इन तीनों नौकरों के बारे में कहा है कि हिरासत में लेकर लंबी पूछताछ के बाद भी इन नौकरों से कोई जानकारी नहीं मिली। सबूत ये बताते हैं कि हत्या की रात वो मौके पर मौजूद नहीं थे।
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