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Wednesday, February 2, 2011

आर्थिक अपराधों एवं नशे के लिए चोरी कर रहे नाबालिग

ब्यूरो प्रमुख // डा। मकबूल खान (छतरपुर //टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरों प्रमुख से सम्पर्क : 9926003805
नौगांव। नगर के कई सघन इलाकों की बस्तियों में ज्यादातर नाबालिग उम्र के लड़के सट्टा जुआ और नशे के सिलसिला सिर्फ तबाही ला रहा है। पिछले कुछ वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आये जिसमें नाबालिग उम्र के लड़के लिप्त पाये जाते है जिनके मां बाप बच्चों की गति विधियों से अंजान रहते है और शिक्षा नहीं दिलाने में रुचि नहीं लेते है जिससे ऐसे बच्चे भटक जाते है और जुआ सट्टा में हारने के साथ नशे के आदी हो रहे है जिसकी पूर्ति के लिए नाबालिग चोरी की घटनाओं को अंजाम दे रहे है जिन्हें बड़े चोरों का संरक्षण मिलने से हौसले बढ़ जाते है। जिसका नतीजा है कि नाबालिग घरों से बर्तन लोहा लंगर और कबाड़ पर बिकने वाली वस्तुओं पर हाथ साफ कर रफूचक्कर हो जाते है इतना ही नहीं ग्रामीण इलाकों में भी कम उम्र के लड़के खेतों पर पड़े कृषि यंत्रों पाइप आदि की चोरी कर रहे है। जिसका प्रमाण है आये दिन हो रही साइकिल एवं चाय पान की दुकानों से हो रही चोरी की घटनाए हालहि में एक्सचेंज चौराहे जैसे सघन इलाके में स्थिति सुंदर लाल रैकवार के होटल में हुई चोरी की घटना जिसमें बड़ा एवं छोटा सिलेन्डर नमकीन एवं राजश्री गुटखों के पैकेट चोर उड़ा ले गये। जिसमें नशेडिय़ों की अहम भूमिका बताई जाती है। ऐसी दर्जनों घटनाए समाज में एक ऐसा कुष्ठ है जिसका फिलहाल कोई इलाज नहीं दिखता है हम खुद अपने बच्चों को बुरी आदतों से बचाने में असमर्थ होते जा रहे है। जुए के पक्षधर महाभारत की मिसाल देकर इसे मानव सभ्यता के आदि काल से चली आ रही परम्परा का दर्जा देकर साधक भाव से इसका अनुसरण कर रहे है स्थिति यह है कि ये नाबालिग छोटे छोटे अपराध करते हुये बड़े बड़े अपराध करना शुरु कर देते है पहले वह मां बाप से झूठ बोलता है फिर घर में रखी चोजों को चुराना या छिपाना सीखता है जिसके बाद जिसका नतीजा है कि आज आये दिन साईकिल एवं घर दुकानों से हो रही चोरी की घटनाओं में नाबालिग लिप्त होते है आखिर नाबालिगों में ऐसी प्रवृत्ति क्यों उत्पन्न होती है इस विषय में अनेक व्यक्तियों ने अपने अपने सुझाव देते हुए कहा कि शायद निर्धनता के कारण बालक की आवश्यकताओं की पूर्ति न हो पाने के कारण नशा और अपराधों को बढ़ावा मिल रहा है वरिष्ट नागरिकों से पूछे जाने पर उन्होंने बालक के मन में अपराध करने की भावना जन्म लेती है अधिक कांश परिवारों के माता पिता का सामाजिक रीति रिवाज के दायरे में रखकर जीवन निर्वाहन करत है और बालक की आवश्यकताओं की पूर्ति भी उचित रुप से नहीं होती हो और इसी वजह से अपराधी बन रहे हो।
कचरा बीनने वाले कर सकते है चोरी
नगर के भुक्तभोगी नागरिकों की आपबीती यह सच्चाई सामने ला रही है कि नगर के घरों के पीछे एवं आगे कचरा बीनने वाले मौके का फायदा उठा कर हर उस सामग्री को चुरा लेते है जिसे कबाड़ी खरीद कसते है और सूने घर इनके खास निशाने पर होते है जो गृहस्थी का सामान बर्तन बाल्टी लोटा सहित खाने पीने की वस्तुओं पर भी हाथ साफ कर देते है आमलोगों का मानना है कि यदि यही हाल रहा तो ये बिगड़ैल सीधे दिखाने वाले किशोर भविष्य में किसी बड़ी वारदात को अंजाम दे सकते है लेकिन पुलिस सिर्फ मलाईदार मामलों पर ध्यान देते है।

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