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Friday, March 25, 2011

सरगुजा में सार्वजनिक प्रणाली का बंटाधार

ब्यूरो प्रमुख // राजेन्द्र कुमार जैन (अम्बिकापुर // टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरों से सम्पर्क : 98265 40182

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सार्वजनिक वितरण के तहत जरूरतम उपभोक्ताओ राषन सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित करने शासन के निर्देश पर शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में उचित मुल्य की दुकाने खोली गई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार खाद्य विभाग की देख रेख मे संचालित उचित मूल्य की दंकानो में कार्डधारी उपभोकता को उनके स्तर के अनुसार प्रत्येक माह चावल, गेहु, मिटटी तेल, अमृत नमक इत्यादि राशन सामग्री का वितरण किया जाता है।
उपभोक्ता दुंकानो में शासन द्वारा निधारित मूल्य पर खाद्यान्न वस्तुओ का आबंटन एव वितरण सेल्समेन द्वारा किया जाकर वितरण पंजी में उसका उल्लेख करना जरूरी है। जिससे की आपूर्ति के अनुरूप व्यवस्था को सुचारू बनाया जा सके। बहरहाल अम्बिकापुर क्षेत्र के 40 वार्डो के उपभोक्ताओ के लिए उचित मूल्य की दुंकाने संचालित है। नियमानुसार कार्डधारक उपभोक्ता को ही राशन सामग्री प्रदाय करने का प्रावधान बताया गया है, जबकि कुछ धंधेबाज किस्म के लोग रोजाना गरीबो के राशन कार्ड एकत्रित करने के बाद राशन सामग्री प्राप्त करने उचित मूल्य की दुकानों के इर्द - गिर्द मंडराते देखे जा सकते है।
कभी मिटटी तेल, कभी गेहु तो कभी चावल आबंटन हासिल करने के बाद रिक्षा या सायकल पर ढुलाई करने के साथ ही खुले बाजार में उन वस्तु को अधिक दामो बेंचकर कतिपय लोग मुनाफा कमाने में लगे हुए है। ज्ञात है कि मजदूरी कर अपना जीवन यापन करने वाले निम्न तबके के लोग कुछ पैसे के लालच में अपना राशन कार्ड इन मुनाफाखोरों को सौप देते है। जिससे खाद्यान्न, मिटटी तेल प्राप्त कर यें दुगुना तिगुना लाभ कमाते है।
बताया जाता है कि गरीबी रेखा के नीले राशन कार्ड एव अन्त्योदय योजना के कार्ड इन धन्धेबाज लोगो द्वारा जमकर दुरूपयोग किया जा रहा है। उचित मूल्य के दुकान के सेल्स मेन से इन मुनाफाखोरो की मिलीभगत के चलते यह करोबार फल फूल रहा है। जबकि खाद्या विभाग के अफसर सब कुछ जानकर भी मौनी बाबा बने हुए है। बताया जाता है। कि, उपभोक्ता भंडार से शासकीय दर पर क्रय की बई वस्तुओ खाद्यान्न मिटटी तेल इत्यदि सामग्री को खरीदकर काली कमाई करने वालो का एक गिरोह शहर में सक्रिय है।
इस राशन माफिया गिरोह के लोग उचित मूल्य की दंकान के आसपास मंडराते रहते है। अनेक उपभोक्ताओ को जिसमें कि अधिकारी गरीब, बजदूर या बिडी कामगार होते है को राशन सामग्री क्रय करने हेतु माफिया गिरोह लोग राशि फायनेंस भी करते है। उपभोक्ता भंडार से कार्डधारक उपभोक्ता द्वारा सामग्री प्राप्त करते ही फायनेंसर व्यक्ति उसे घेर लेता है और निर्धारित से कुड अधिक मूल्य देकर सारी सामग्री को अपने अधिकार मे का लेता है। विशेष रूप से केरोसिन पर माफिया गिरोह की गिद्ध दृष्टि रहती है। इसके लिए कुछ निठल्ले लोगो की खाली डब्बा या जरीकेन और पैसा देकर उपभोक्ताओ को कतार में खडा कर दिया जाता है। सामग्री प्राप्त करने के बाद बतौर सेवा शुल्क पांच दस रू. उन्हें चलता कर दिया जाता है। इस तरह दुगुना तिगुना लाभ कमाकर कुछ लोग गरीबो का खुला शोषण कर रहे है। गौरतलब है कि शासकीय उचित मूल्य की उपभोक्ता दुकान से राशन की वस्तुएॅ, सामग्री अवैध रूप से खुले बाजार में बेंचते पाये जाने पर कार्रवाई तो संभावित है। लेकिन बेखौप हो रहे इस अवैध कारोबार से अब एैसा प्रतित होने लगा है। कि किरदार निभा रहा है। जबकि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के साथ सुनियोजित खिलवाड़ कर रहे है। और दाल भात केन्द्र की आड़ में मुनाफाखोरी करने वाले कथिक माफिया के खिलाप शिकायत के बावजूद राजनैतिक संरक्षण के चलते आज पर्यन्त कोई ठोस जॉच अथवा कार्रवाई खाद्य विभाग द्वारा नही की गई है।
बहरहाल शासकीय उचित मूल्य की दुकानो से प्राप्त सामग्रर के अफरा - तफरी के इस अवैध कारोबार पर जिला प्रशासन द्वारा रोक नही लगाई गई तो शासन के उद्देश्यों पर सवाल खड़ा हो जाएगा। वही सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर भी उंगलिया उठने लगेगी।

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