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Friday, March 25, 2011

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का बुरा हाल

ब्यूरो प्रमुख // राजेन्द्र कुमार जैन (अम्बिकापुर // टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरों से सम्पर्क : 98265 40182
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अम्बिकापुर । प्रदेश में प्रधानमंत्री ग्राम सडक योजना का बरा हाल है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रो में सड़क बन नही पा रही है केन्द्र सरकार से प्रर्याप्त राशि भी नही मिल पा रही है। और सडको का गुणवत्ता सुधाने का नाम नही ले रही है। स्टाफ की कमी से जूझ रहे विभाग को काम का माहौल तैयार करने में सालभर लग गया। अब घटिया निर्माण के लिए ठेकेदार के साथ अधिकरी व सलाहकार की भी फंासने को तैयारी की जा रही । गत वितीय वर्षो में एक हजार सड़कों का निर्माण पूर्ण हुआ जिसकी लम्बाई 4020 कि.मी. है जिसमें 2122 बसावटो को जोडने का दावा किया गया है इस दौरान कुल 800 करोड़ रू. खर्च किए गए लेकिन केन्द्र से केवल 510 करोंड़ रू ही मिले जबकि राज्य सरकार को 2200 करोड़ रू मिलना था 20-22 फीसदी 800 करोड़ रू खर्च किए गए लेकिन केन्द्र से केवल 510 करोड़ रू ही मिले राशि से कितनी निर्माण होगा और गुणवत्ता में कितने खरे उतरे होगें ? इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। वर्ष 2008 के बाद से नई सड़को के स्वीकृति नही मिली है।

प्रधानमंत्री ग्राम सडक विकास अभिकरण के विवादास्पद मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री हल्दकार को हटाने के बाद विभागीय कामकाज महौल बनने में काफी समय लग गया जिस कारण सड़क का निर्माण एव गुणवत्ता पर ज्यादा दबाव नही बन पाया । यही वजह है कि समीक्षा बैठक में उच्चाधिकारियों को बार बार गुणवत्ताा पर जोर देना पड़ा लेकिन नक्सल प्रभावित क्षेत्रो में स्वीकृत सड़को का निर्माण गत वर्ष भी शुरू नही हो पाया । दसके चलते भी केन्द्र से राशि नही मिल पायी । नक्सल प्रभावित क्षेत्रो में 200 सड़के नही बन पा रही है जो 600 कि.मी. की है।
40 फीसदी पद खाली
विभाग की छवि खराब होते ही इंजीनियर भी भाग खडे हुए । अब हालत यह है कि संविदा नियुक्ति में भी इंजीनियर यहा आने को तैयार नही है। जिस कारण 40 फीसदी पद यहा खाली पड़े है। विभाग के 1500 पदों में से 900 पद भरे है जबकि 600 पद खाली है। विभाग को अच्छे सिविल इंजीनियर मिल नही रहे है। जो इंजीनियर यहॉ काम करना चाहते है। वे नक्सल प्रभावित क्षेत्रो में जाना नही चाहते।

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