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Saturday, April 23, 2011

बिक रही गोकुल की गायें, एक बार तो कान्हा जी प्लीज आयें

बैतूल // राम किशोर पंवार (टाइम्स ऑफ क्राइम)
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भैंसदेही, बैतूल: मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर द्वारा शुरू की गई गोकुल ग्राम की योजना के प्लाप सिद्ध हो जाने के बाद अब बड़े पैमाने पर बैतूल जिले की सीमा में गौधन की तस्करी खुले आम हो रही हैं। जिले के हर पुलिस थाने गौधन की तस्करी से मालामाल हो रहे हैंं। जिला मुख्यालय पर भाजपा जिलाध्यक्ष के निवास से मात्र 1 किलोमीटर दूर एवं पुलिस थाने के पीछे आज भी स्लाटर हाऊस चल रहा हैं। लंबे समय बाद फिर पशुधन तस्करी करते हुए तीन ट्रकों को पकड़ा गया है और हर बार की तरह इस बार भी यह तस्करी पकडऩे का काम पुलिस की जगह तथाकथित हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं ने किया है। इस पशुधन तस्करी के पकड़े जाने से इस बात की फिर पुष्टि हुई है कि तस्करी का यह काम बैतूल जिले के माध्यम से बड़े पैमाने पर चल रहा है।

जिसमें पुलिस की मिली भगत बहुत से सवालों को जन्म दे रही है जिनका पुलिस के पास कोई जवाब नहीं हैं। जब हिन्दू संगठन पुलिस पर मिलीभगत का आरोप लगाते हैं तो पुलिस के पास भी एक तरी हैं जिसे वही ठीक निशाने पर लगा कर लोगो की बोलती बंद कर देती हैं। पुलिस का दावा हैं कि कथित हिन्दू संगठन खास कर शिवसेना के नाम पर सवालमेंढ़ा पशु बाजार में तस्करी में शामिल लोगो से जगरिया वसूली होती हैं। पुलिस कई बार प्रयास भी कर चुकी हैं कि जिले में लगने वाले सदर , दुनावा , सावलमेढ़ा पशु बाजार बंद हो ताकि कुछ हद तक तस्करी रूके। पुलिस का तो यह तक आरोप हैं कि आदिवासी और दलित समाज के युवको एवं युवतियों को आगे करके उनसे गौधन की तस्करी करवाई जा रही हैं। होंगाबाद जिले के पिपरिया के निकट बनखेड़ी गांव से तीन ट्रक मवेशी भरकर महाराष्ट्र के अचलपुर , परतवाड़ा के लिए निकले थे, जो कौढ़ीढाना से होते हुए सांवलमेढ़ा की ओर अंतराज्यीय मार्ग पर जा रहे थे।

स्थानीय भैंसदेही बस स्टैंड पर हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं को संदेह हुआ तो उन्होंने मोटरसाइकिल से इन ट्रकों का पीछा किया और कौढ़ीढाना पर जाकर उन्हें रोक लिया। बाद में तलाशी लिए जाने पर ट्रक में बीस मवेशी पाए जाने पर नागरिकों के सहयोग से ट्रकों को थाने लाया गया। पशुधन तरस्करी के मामले में पुलिस ने पशु क्रूरता अधिनियम और मप्र पशुधन एक्ट के तहत आरोपियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया है। जिसमें पुलिस ने रमेश आनंद इंगड़े अंजनगांव, इरफान हारून बेग, मंगलू पीर, शाहिर मुबारक, फईम बेग, अब्दुल समीर, अब्दुल राजू और जौहरी रामसिंग को गिरफ्तार किया है। सभी पशुओं को स्थानीय गौशाला में भेज दिया गया है। जब ट्रक या किसी वाहन से पशुधन तस्करी होती है तो गुदगांव-सांवलमेढ़ा के बेरियर से बचने के लिए भैंसदेही क्षेत्र में झल्लार से बायपास आमला होते हुए भैंसदेही नगर पंचायत के निकट से वाहन ले जाते हुए पलासपानी से सीधे हाइवे पर ट्रक पहुंचते हैं।

वहीं पैदल पशुधन तस्करी में कोयलारी के निकट जामझिरी पंचायत से होते हुए पूर्णा नदी के निकट से देवलवाड़ा रोड से सियार होते हुए हनुमानढाना के आगे निकलते हैं। ट्रकों में बेरहमी के साथ मवेशियों को भरा गया था। हर ट्रक में दो लेयर बनाई गई थी। जिसमें नीचे की लेयर में मवेशी भरे गए थे और ऊपर की लेयर में मजदूरों को बैठाला गया था। तीनों ट्रक में बीस मवेशी भरे हुए थे। जिसमें 18 बैल और दो बछड़े शामिल थे। विशेष बात यह है कि सभी मवेशियों के ऊपर नंबर अंकित किए गए थे और उनके पैरों में कील ठोकी गई थी। जिले में कहीं भी पशुधन तस्करी की घटना प्रकाश में आती है तो उसे पकडऩे में अहम भूमिका हमेशा हिंदू संगठन के कार्यकर्ता और ग्रामीण ही अदा करते हैं। बाद में जब पुलिस को पकड़कर मवेशी सौंप दिए जाते हैं तब पुलिस कार्रवाई करती है। अंतराज्यीय स्टेट हाइवे पर बैतूल जिले की सीमा में थाने और चौकियां मौजूद हैं। इसके बावजूद आखिर पुलिस पशुधन तस्करी पकडऩे में सफल क्यों नहीं होती।

यह प्रश्न हर बार उठता है लेकिन इसका कोई भी ठोस जवाब पुलिस के पास मौजूद नहीं है। जिस तरह से जिले में पशुधन तस्करी हो रही है वह बगैर पुलिस के जानबूझकर अनदेखा करने के संभव नहीं है। वरना क्या कारण है कि हिंदू संगठन के कार्यकर्ता ट्रक पकड़ लेते हैं पुलिस नहीं पकड़ पाती हैं। पुनीत खंडेलवाल भाजपा युवा मोर्चा की प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य हैं वे कहते हैं कि प्रदेश में अपनी ही सरकार की दाल में काला नहीं बल्कि पूरी दाल ही काली है। हमारे यहां तो हर तरीके से पशुधन की तस्करी हो रही है और लंबे समय से हो रही है। इस पशुधन तस्करी के कारण क्षेत्र में अच्छा-खासा माफिया पल रहा है। जिसके तार पुलिस विभाग में भी जुड़े हुए हैं।

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