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Saturday, May 28, 2011

ये है यूपी की जंगली पुलिस!

मुरादाबाद(भीष्म सिंह देवल)।

वाहन चेकिंग के नाम पर उत्तर प्रदेश पुलिस किस कदर गुंडई करती है, इसका उदाहरण मुरादाबाद में देखने को मिला जब एक पत्रकार को वाहन चेकिंग के नाम पर चौकी इंचार्ज ने सड़क पर गिरा-गिराकर पीटा। बीच-बचाव करने आए दो साथी पत्रकारों पर भी यूपी की जंगली हो चुकी पुलिस ने जमकर डंडे बरसाए। मौके पर मौजूद लोगों के मुताबिक पुलिस, पत्रकारों को इस कदर पीट रही थी कि मानो वो किसी का क़त्ल करके भाग रहे हों। पत्रकारों को इतनी बेरहमी से पीटे जाने की ख़बर से पुलिस महकमे में खलबली मच गई। अंततः डीआईजी को मौके पर आना पड़ा, हालांकि आरोपी पुलिसकर्मी ने पूरे समाज के सामने पत्रकार से अपने इस निंदनीय कृत्य के लिए माफी मांग ली।

चौकी से दस कदम दूरी पर रहने वाला सिटी न्यूज़ का पत्रकार लवलीन यादव अपने घर से ऑफिस जाने के लिए निकला, चौकी प्रभारी प्रेम प्रकाश वाहन चेकिंग कर रहे थे। पत्रकार यादव को अपने ऑफिस 10 बजे तक पहुचना होता है, लेकिन कुछ दूर जाने के बाद उसे याद आया की वो कैमरे की एक्स्ट्रा बैटरी घर भूल आया है, लवलीन फिर वापस वहीं से गुजरा जहां प्रेम प्रकाश जी वाहन चेकिंग कर रहे थे, प्रेम प्रकाश जी जो वहा चैकिंग के नाम पर अवैध वसूली करने में लगे हुए थे, उनकी निगाह लवलीन पर पड़ गई थी, लवलीन का घर चौकी से दस कदम की दूरी पर है, ये सभी चौकी वाले उसे जानते थे। कहीं ये पत्रकार उन्हें फंसा न दे इसी कारण वो उसके लौटने का बेसब्री से इंतजार करने लगे, और जैसे ही लवलीन अपने ऑफिस जाने के लिए वहां से गुजरा, सिपाही देवदत्त गौढ़ और ब्रजपाल सिंह जिन्होंने लवलीन को रोक लिया और वाहन चेकिंग के नाम पर उससे बदतमीजी शुरू कर दी। जैसे ही लवलीन ने अपने बारे में बताया की वो एक पत्रकार है और आप लोगो को बहुत अच्छी तरह जानता है तो आव देखा न ताव वहा मौजूद और लोगो के सामने उसकी पिटाई शुरू कर दी वो गिड़गिड़ाता रहा की उसका कसूर तो बता दो, लेकिन प्रेम प्रकाश पर जूनून सवार था वो सिपाहियों से कह रहा था की ये यहाँ से बचकर जाना नहीं चाहिए और दोनों सिपाही उस पर ताबड़तोड़ डंडे बरसा रहे थे।

वाहन चैकिंग के नाम पर पत्रकार लवलीन को जनता की रक्षक मुरादाबाद पुलिस के दरोगा प्रेम प्रकाश और उनके सहयोगी दोनों सिपाही इतनी बुरी तरह पीट रहे थे की वहां मौजूद लोगो ने उसे बचाने का भी प्रयास किया लेकिन नतीजा कुछ नहीं देख अन्य पत्रकारों को फोन पर सूचना दे दी की यहाँ पत्रकार को पीटा जा रहा है।

सूचना पाकर दो अन्य पत्रकार जवाहर सुल्तान व उनके साथ अनसुल वहां पहुंच गए और पत्रकार को पीटने का कारण जैसे ही जूनियर प्रेम प्रकाश से पूछा तो अपने को फसता देख उल्टा वहां पहुंचे इन दो पत्रकारों पर भी अपना पूरा गुस्सा और पुलिसिया ताकत दिखाते हुए आक्रामक हो गए, इनके साथ भी मारपीट की गयी, फिर जो नजारा इन पत्रकारों के कैमरे में कैद हुआ। बिना सोचे बिना सुने, गुंडा और क्रिमिनल और न जाने क्या क्या कहते हुए उन पर भी डंडे बरसाने शुरू कर दिए, पूरे इलाके के लोग भी अपने घरों से बाहर आ गए थे।
लोगों के सामने ही इन तीनों पत्रकारों पर ताबड़तोड़ लाठी डंडे और लात-घूसों से बुरी तरह पीटकर घसीटते हुए चौकी के अन्दर ले जाया गया और चौकी के अन्दर बंद कर बुरी तरह पीटा गया। मामला तूल पकड़ने लगा, इधर जनता भी पत्रकारों के साथ हुए इस वेह्शियाना सलूक से गुस्से में आ गई और चौकी पर हज़ारो लोगों का जमावड़ा लग गया। क्योंकि ये जो पत्रकार थे यहाँ की जनता इन पत्रकारों को भली भाँती जानती थी। सूचना एस. ओ. मझोला फ़तेह सिंह को मिली की पत्रकारों को बुरी तरह पीटा गया है। वो तुरंत वहां पहुंचे। एस. ओ. मझोला जो इन पत्रकारों को भली भाँती जानते थे। उनकी इतनी बुरी हालत देख कर अपना सर पकड़ कर बैठ गए और सोचने लगे की क्या करें, अपने से मामला सुलटते ना देख उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को फोन पर बता दिया और अपनी असमर्थता जाहिर कर दी।

लिहाजा वहां पर सी.ओ.हाइवे मनोज पांडे आ गए, लेकिन ये क्या वो भी इन पत्रकारों की हालत को देह हैरान और परेशान हो गए क्योंकि इन पत्रकार को कई गंभीर चोट आई थी जिनसे खून बह रहा था। चंद मिनटों में सी.ओ. साहब ने पता लगा लिया की गलती चौकी इंचार्ज प्रेम प्रकाश की थी। सी.ओ.-साहब ने डी. आई जी को पूरे मामले से अवगत कराया की चौकी इंचार्ज की गलती है और इन पत्रकारों को वो जानते है, डी. आई जी ने उन्हें आदेश दिया की जिसकी गलती है, उसके खिलाफ कार्यवाही की जाए।

जैसे ही चौकी इंचार्ज को इसकी भनक लगी गिरगिट की तरह रंग बदलते हुए माफ़ी मांगने की बात कहने लगा, लेकिन लोगों में गुस्सा फूट पड़ा और सामने आकर बताया की जबसे इस चौकी पर प्रेम प्रकाश को तैनात किया गया है वो वाहन चैकिंग के नाम पर उनसे अवैध वसूली करता है। लोगों ने जानकारी दी की उनके घर में बाइक होते हुए भी साइकिल पर सवार हो कर यहाँ से गुजरने लगे हैं, यदि वो ऐसा न करें तो उन्हें 500 से 1000 रुपये तक देने पड़ते हैं।

सी.ओ. साहब पशोपेश में थे कि आखिर क्या किया जाए एक तरफ उनका और दूसरी तरफ वो बुद्धिजीवी वर्ग जो सामने कलम और कैमरे लेकर सामने खडा था।

लाचार और लचर होती पुलिस को देख हम सभी पत्रकारों को उन पर दया आ गई हालांकि प्रेम प्रकाश को अभी अपने किये पर कोई पछतावा नहीं हो रहा था। उसका व्यवहार अभी भी ऐसा था जैसे किसी पागल का होता है। सी.ओ. साहब फुटेज देख चुके थे, लिहाजा उनके मुंह से भी कुछ नहीं निकल पा रहा था की किस मुंह से पत्रकारों को मनाए। लेकिन यहाँ हम बता दे की हम भी इंसान है उन इंसान से गलतियां होती हैं। ये सोचकर हमने पहल की की कोई हल निकला जाए क्योंकि हम ये नहीं चाहते थे की हमारी वजह से किसी का सर्विस रिकॉर्ड खराब हो। हमारी ही पहल पर प्रेम प्रकाश जी आगे आये और पूरे समाज के सामने अपने द्वारा किये गए इस कुकृत्य के लिए माफ़ी मांगी।


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