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Tuesday, May 31, 2011

डाक्टर अशोक वीरांग की याचिका सुप्रीमकोर्ट से भी खारिज

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भोपाल . विभाग के संयुक्त संचालक डाक्टर अशोक वीरांग की याचिका आज सुप्रीम कोर्ट की डबल बैंच ने खारिज कर दी है . डॉ . वीरांग ने इस याचिका के माध्यम से मध्यप्रदेश शासन की पदोन्नति प्रक्रिया पर सवालिया निशान लगाए थे .

स्वास्थ्य विभाग में लंबे समय से सक्रिय भ्रष्ट अफसरों की साजिशें थमने का नाम नहीं ले रही हैं . दवा माफिया से जुड़ी इस लॉबी ने संयुक्त संचालक डाक्टर अशोक वीरांग की पदोन्नति को लेकर जो मुहिम चला ऱखी है उसे आज एक बार फिर देश की सर्वोच्च अदालत ने तगड़ा झटका दिया है . डाक्टर वीरांग ने सिविल याचिका क्रमांक एसएलपी 15471-2011 के माध्यम से माननीय सुप्रीम कोर्ट के समक्ष हाईकोर्ट की डबल बैंच के फैसले के विरुद्ध अपना पक्ष प्रस्तुत किया था . इस याचिका में कहा गया था कि हाईकोर्ट ने उनके पदोन्नति के दावे को गलत खारिज किया है . इस पर सुप्रीम कोर्ट के विद्वान न्यायाधीश जस्टिस जी . एस . सिंघवी और जस्टिस चौहान की बैंच ने यह कहते हुए उनकी याचिका निरस्त कर दी कि उन्हें तकनीकी आधार पर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के फैसले के विरुद्ध उच्चतम न्यायालय में अपील करने का अधिकार नहीं है . इस याचिका में डाक्टर वीरांग ने मध्यप्रदेश सरकार की पदोन्नति प्रक्रिया पर स्थगन मांगा था .

गौरतलब है कि स्वास्थ्य विभाग में डाक्टर योगीराज शर्मा और डाक्टर अशोक शर्मा पर लगे भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों , दवा खरीद का बजट दलालों को बेच देने , जांच एजेंसियों के छापों में काला धन बरामद होने जैसे मामलों के बाद राज्य शासन ने पदोन्नति के लिए डीपीसी बुलाई थी . इस प्रक्रिया में उपलब्ध दस्तावेजों और गोपनीय चरित्रावली के आधार पर डा . . एन . मित्तल को स्वास्थ्य संचालक के रूप में पदोन्नति दी गई थी . डाक्टर मित्तल ने पदभार संभालने के बाद शासन की सिफारिश पर तमिलनाडू ड्रग कार्पोरेशन की दवा खरीद नीति सख्ती से लागू की थी . इस कदम से दवा माफिया की कारगुजारियों को तगड़ा झटका लगा था .

शासन की इस नीति से क्षुब्ध दवा माफिया ने पदोन्नति की पूरी प्रक्रिया पर सवालिया निशान लगाना शुरु कर दिये . इस संबंध में लोकायुक्त संगठन में शिकायत भी की गई जिस पर शासन ने पदोन्नति में अपनाई गई समस्त पारदर्शी प्रक्रिया की जानकारी लोकायुक्त के समक्ष प्रस्तुत कर दी थी . इसके बाद अशोक वीरांग को जब हाईकोर्ट की डबल बैंच ने दो टूक शब्दों में यह कहकर लौटा दिया कि वे इधर उधर की नहीं सिर्फ अपनी बात कहें तो वे सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए . जहां आज जस्टिस सिंघवी ने उन्हें फटकार लगाकर वापस लौटा दिया

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